Advertisement

फोटो के पीछे एक अलिखित समीकरण

जब मैंने बिहार के शपथ ग्रहण समारोह में लालू प्रसाद यादव और अरविंद केजरीवाल की तस्वीर देखी, तो मुझे बहुत दुःख हुआ, शर्मिंदगी भी महसूस हुई।
फोटो के पीछे एक अलिखित समीकरण

मैंने ट्विटर पर लिखा "अब यही दिन भी देखना था!" यह भी लिखा "Sad day for Indians against corruption. Political capital of the movement sold to symbols of political corruption. Ashamed!" इसके बहुत जवाब आये। जब भी नरेंद्र मोदी या अरविंद केजरीवाल की कोई भी आलोचना की जाय तो बहुत गाली-गलौज भी सुननी पड़ती है, वो भी हुआ। फिर भी कई सवाल पूछे गए हैं जिनका जवाब देना चाहिए:

-- ये सामान्य शिष्टाचार था, इसको इतना तूल क्यों दे रहे हैं?
-- लालू जी ने जबरदस्ती पकड़ कर फोटो खिचवा ली, अरविंद का क्या दोष?
-- कई लोगों ने मेरी अखिलेश यादव के साथ फोटो लगाकर पूछा की तो मुलाक़ात गलत नहीं थी? 

मेरी समझ में राजनीति में सामान्य शिष्टाचार बहुत जरूरी है। विरोधियों के साथ भी शालीनता, संवाद और दुआ-सलाम होना चाहिए। अगर अरविंद अब यह शिष्टाचार सीख रहे हैं तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन पटना के समारोह में लालू जी से मुलाकात कोई संयोग नहीं था। यह दो महीने से चल रहे एक अनौपचारिक गठबंधन की परिणीति थी, एक नए राष्ट्रीय मोर्चे का इशारा था। अरविंद का खेमा पिछले दो महीने से प्रचार कर रहा था कि उनका समर्थन सिर्फ नीतिश कुमार के लिए है, वे लालू जी के साथ कभी स्टेज पर नहीं जायेंगे। ऐसे में लालू प्रसाद यादव (तथा शरद पवार, देवेगौड़ा, फारूख अब्दुल्ला और राहुल गांधी) के साथ स्टेज पर बैठना सिर्फ सामान्य शिष्टाचार नहीं था। सवाल ये नहीं है कि गले लगाने की शुरुआत किसने की। टीवी फुटेज से स्पष्ट है कि पहल लालूजी ने ही की थी और अरविंद इस सार्वजनिक प्रदर्शन से संकोच में थे। 

असली बात यह है कि लालूजी ने (शायद जबरदस्ती से ही) उस समीकरण को सार्वजनिक कर दिया जो उस समारोह की अलिखित बुनियाद थी। और वह समीकरण सीधा है - सिद्धांत, नैतिकता और भ्रष्टाचार जाएं भाड़ में, बीजेपी के विरोध में सब क्षेत्रीय दल सब कुछ भूल कर एक साथ हैं। ये वही तर्क है जो कांग्रेस समर्थक लोकपाल आंदोलन के विरोध में इस्तेमाल करते थे। कहते थे कांग्रेस भष्टाचारी तो है लेकिन उसका विरोध नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बीजेपी को फायदा मिलेगा। इस समीकरण को स्वीकार कर अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का माथा नीचा किया है, उन लाखों आंदोलनकारियों का अपमान किया है जिन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखा था।

रही बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ मेरी फोटो की, वह मुख्यमंत्री, उनके कैबिनेट सहयोगियों और मुख्यसचिव (वो भी फोटो में हैं) के साथ औपचारिक मुलाकात थी - जैसी मुलाकात अरविंद अक्सर देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से करते हैं। सूखाग्रस्त इलाकों की हमारी संवेदना यात्रा के बाद हमने सभी मुख्यमंत्रियों को सूखे की स्थिति और उसके समाधान के बारे में चिठ्ठियां लिखी थीं और उन्हें सार्वजनिक भी किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जवाब में हमें बातचीत के लिए बुलाया। बाकी राज्यों (कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और हरियाणा) से जवाब का इंतजार है, न्योता मिलेगा वहां भी तो जरूर जाऊंगा और फोटो भी खिंचवाऊंगा!

उम्मीद है आपको अपने सवालों के जवाब मिल गए होंगे।

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad