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हस्तलेख से सुधारें अपना व्यक्तित्व

लिखावट से कोई भी अपना स्वभाव जान सकता है और इसके जरिये अपनी कमियों को खूबी में बदला जा सकता है
हस्तलेख से सुधारें अपना व्यक्तित्व

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क्या आप मानेंगे इस वाक्य में आपके व्यक्तिव की छाया छुपी हुई है। अगर को ग्रेफोलॉजिस्ट यह वाक्य लिखवाए तो जान लीजिए वह आपके अंदर की सारी बातें जान सकता है। यह ज्योतिष विज्ञान नहीं है, बस एक वैज्ञानिक तथ्य है।

आखिर यह ग्रेफोलॉजी यानी लिखावट विज्ञान क्या है। ग्रेफोलॉजी से व्यक्ति का हाल जाना जा सकता है। मन का भी और तन का भी। तन यानी शरीर में कोई अस्वस्था है या आने वाली है तो इसका भी पता लगाया जा सकता है। यह तथ्य प्रमाणित है कि जब कोई भी व्यक्ति बोलता है तो उसका सिर्फ 15-20 प्रतिशत दिमाग काम करता है, लेकिन जब कोई लिखता है तो मस्तिष्क की 85-90 प्रतिशत कोशिकाएं काम करने लगती हैं। इसी वजह से बोलने के बजाय लिखा हुआ पढ़ने से ग्राफोलॉजिस्ट व्यक्ति के मनोभाव आसानी से पढ़ लेता है। जिस तरह से व्यक्ति  शब्द कागज पर लिखता है उसकी बनावट, आकार, प्रकार से इसे पढ़ने वाले विशेषज्ञ अध्ययन करते हैं और बताते हैं कि फलां व्यक्ति का स्वभाव कैसा होगा, उसकी आदतें कैसी होंगी और वह क्या किसी रोग से ग्रस्त है या आने वाले वक्त में इसकी कोई संभावना है।

ग्राफोलॉजिस्ट और भावनात्मक परामर्शदाता डॉ. राघवेन्द्र कुमार कहते हैं, ‘लिखावट किसी के भी व्यक्तित्व को पूरी तरह खोल कर रख सकती है। इसके कई आयाम हैं। किसी भी व्यक्ति को सरल और जटिल जैसे खांचों में नहीं डाला जा सकता। हर व्यक्ति के मन में कई परतें होती हैं। कुछ परतें तो ऐसी होती हैं, जिनके बारे में खुद उसे पता नहीं होता। लिखावट के जरिये कई ऐसी बातें पता लगाई जा सकती हैं, जिन्हें जान कर व्यक्ति अपने स्वभाव में, काम में और आचरण में बदलाव ला सकता है।’ आउटलुक ने डॉ. राघवेन्द्र कुमार को अलग-अलग उम्र, लिंग, वर्ग और शैक्षणिक योग्यता के लोगों के लिखावट के नमूने दिए। इन व्यक्तियों से डॉ. राघवेन्द्र कुमार का कोई परिचय नहीं था। सिर्फ लिखावट को पहचान कर डॉ. राघवेन्द्र को इन व्यक्तियों की आदतों, स्वभाव का अध्ययन करना था। डॉ. राघवेन्द्र ने लिखावट से जो पहचाना वह उन व्यक्तियों के स्वभाव से बहुत कुछ मेल खाता है।

नमूने की प्रति में पहले क्रमांक (स्कैन की गई फोटो देखें) की लिखावट के बारे में तार्किक शक्ति के बारे सटीक तौर पर लिखा, ‘तार्किक शक्ति समान्य से बहुत अधिक प्रबल है जो एक निश्चित कारक पर काम करती है। इस वजह से जीवन की लय बाधित होती है। क्योंकि कोई भी गतिविधि तब तक आगे नहीं बढ़ पाती जब तक उस पर पूरी तरह से तार्किक स्पष्टता न हो। यह नमूना जिस व्यक्ति का है वह बहुत बुद्धिमान होते हुए भी उस मंजिल को नहीं पा सका है जितनी बुद्धि उसके पास है।

लिखावट को पढ़ने और समझने वाले वैज्ञानिक लिखावट को मस्तिष्क द्वारा दिए जाने वाले संकेत मानते हैं। इसका विश्लेषण एक विज्ञान है जिसे विश्वभर में मान्यता मिली हुई है। विदेशों में इस पर बहुत शोध किए गए हैं और लगातार यह सिलसिला चल रहा है। इसे व्यक्तित्व का सटीक विश्लेषण बताने वाला भी माना गया है। सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि लिखावट से आप व्यक्तिव की परतों का पता लगा सकते हैं। लेकिन यदि किसी को यह पता भी चल जाए कि फलां व्यक्ति के स्वभाव में यह कमी है तो इसका उपाय क्या है। लिखावट से व्यक्तित्व में सुधार पर सलाह देने वाले के मकरंद शर्मा कहते हैं, ‘कोई भी व्यक्ति जैसा लिखता है, कहीं न कहीं उसका संबंध उसके स्वभाव से होता है। इसलिए यदि अक्षरों की बनावट को सुधार लिया जाए तो बहुत हद तक जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।’ जैसे मकरंद सलाह देते हैं कि किसी भी व्यक्ति को अपने हस्ताक्षर इस तरह नहीं करना चाहिए कि कोई अक्षर कटे। यानी कई लोग स्टाइल से लिखने के शौक में नीचे इस तरह लकीर खींचते हैं कि हस्ताक्षर कट जाता है। या फिर अंग्रेजी वर्णमाला ‘ए’ से शुरू होने वाले नाम इस तरह लिखे जाते हैं कि पहला अक्षर यानी ‘ए’ कट जाता है। इससे व्यक्ति जो भी काम करता है, उसे उस काम का पूरा श्रेय नहीं मिल पाता या श्रेय मिलता भी है तो उसमें विवाद का असर होता है। इसी तरह जब अंग्रेजी वर्णमाला में ‘टी’ लिखा जाए तो आड़ी लकीर, खड़ी लकीर को पूरी तरह काटती हो। यानी यदि कैपिटल लैटर में लिखा जाए तब भी और जब स्मॉल लिखा जाए तब भी।

जब कोई व्यक्ति अपनी खूबियां या कमियां पहचान लेता है तो उसे सबसे पहले इनके समाधान चाहिए होते हैं। यह सिर्फ निजी जीवन ही नहीं कार्यस्थल के लिए भी जरूरी है। जैसे लिखावट के नमूने 5 पर नजर डाले तो डॉ. राघवेन्द्र ने वैचारिक स्तर का विश्लेषण करते हुए लिखा है, ‘वैचारिक स्तर पर इनको सहायता की जरूरत होती है जो इनके व्यक्तित्व के लिए अच्छा है। क्योंकि‌ इनका स्तर इतना उच्च नहीं है कि यह खुद अपने लिए निर्णय ले पाएं।’ इसी तरह उन्होंने आत्मविश्वास के बारे में भी सटीक आकलन करते हुए लिखा है, ‘इसे सामान्य रखने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है। इस कारण से परिवेश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। यही अतिसावधानी परिस्थिति के प्रति आग्रही बना देती है। जिसके कारण ऐसे लोग खुद पर बहुत दबाव महसूस करते हैं।’ डॉ. राघवेन्द्र कहते हैं, ‘जब पता चला जाए कि आपके व्यक्तित्व में क्या कमी है तो इसे सुधारना बहुत मुश्किल नहीं है।’ लिखावट से विश्लेषण के अलावा डॉ. राघवेन्द्र सभी तरह के दिमागी परेशानियों के समाधान के रूप में भी देखते हैं। इसे वह इमोशलन इंजीनियरिंग कहते हैं। इससे तनाव, अ‌निद्रा, रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकता है। इमोशनल इंजीनियरिंग से नेतृत्व क्षमता का विकास भी किया जा सकता है। यह इतना उन्नत और विकसित विज्ञान है कि इससे किसी भी व्यक्ति की प्रतिभा का विकास बिलकुल नए सिरे से किया जा सकता है। चूंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में यूनीक यानी अलग तरह का होता है। हर व्यक्ति का सीखने और समझने का अलग-अलग स्तर होता है। ग्राफोलॉली और इमोशनल इंजीनियरिंग के द्वारा अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर भी व्यक्ति की कमियों को पकड़ा जा सकता है।

प्रत्येक व्यक्ति के अलग होने के कारण हर किसी की विकास विधि बदलती है। एक ही विधि दूसरे व्यक्ति पर लागू नहीं की जा सकती। जैसे लिखावट के नमूने 3 और 6 में व्यक्तित्व की समानता काफी हद तक एक है। लेकिन क्रमांक 6 के व्यक्तित्व में थोड़ी आक्रमकता है, जो इस व्यक्ति में थोड़ा गर्व भी ले आती है। जबकि नमूने 3 की लिखावट में विनम्रता के साथ दायित्वबोध भी है। नमूना क्रमांक 3 की लिखावट में हालांकि सकारात्मकता का बोध है और महत्वाकांक्षा प्रबल होने के साथ इसे पाने के लिए प्रयास के लक्षण भी हैं। वहीं नमूना क्रमांक 6 में महत्वाकांक्षा के साथ कल्पनाशीलता अधिक है।

आत्मविश्वास, प्रचंड तार्किक शक्ति, प्रबल समाजिकता, उन्नतिशील दृष्टिकोण, काल्पनिकता, योजना शक्ति, दायित्वबोध, आशावाद, धैर्य और दूसरे की बात सुनने का धैर्य ऐसे गुण हैं जो किसी भी व्यक्ति में होंगे तो वह अव्वल ही रहेगा। जब इन सभी गुणों का सही-सही अनुपात होगा तो नेतृत्व का गुण खुद ब खुद पल्लवित होगा। यदि कोई पहले से ही नेतृत्व के क्षेत्र में है और समस्याग्रस्त है तो उसे ग्राफोलॉजी और ग्राफोथैरेपी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है, जो पारंपरिक मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा में पूरी तरह संभव नहीं हो पाता। 

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