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नेता तो नतीजे के बाद ही चुनेगा हाइकमान | अशोक गहलोत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वैसे तो पार्टी के महासचिव (संगठन)...
नेता तो नतीजे के बाद ही चुनेगा हाइकमान | अशोक गहलोत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वैसे तो पार्टी के महासचिव (संगठन) हैं लेकिन राजस्थान विधानसभा के  लिए 7 दिसंबर के मतदान की रणनीति के केंद्र में वही हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान का अधिकांश जिम्मा उनके कंधों पर है। हर रोज छह से सात सभाएं कर रहे हैं। खासतौर से मारवाड़ और मेवाड़ में वे ज्यादा समय लगा रहे हैं। अधिकांश जगह पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भी वही दिखाई पड़ते हैं। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनकी सरकार पर वे अपनी रैलियों में तीखे हमले कर रहे हैं। पार्टी की चुनावी रणनीति और टिकट बंटवारे के गणित से लेकर बागियों तक को बैठाने में गहलोत की अहम भूमिका रही है। चुनाव प्रचार के अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच उन्होंने जोधपुर में आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह से बातचीत की। उन्‍होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं,  मुख्यमंत्री पद और वसुंधरा राजे सरकार की खामियों समेत तमाम मुद्दों पर विस्‍तार से रोशनी डाली। मुख्य अंशः

राजस्थान चुनावों को लेकर कई सर्वेक्षणों में कांग्रेस को भाजपा से आगे दिखाया गया है। लेकिन जोधपुर में कई लोगों से बातचीत में पता लगा कि हाल के दिनों में स्थिति कुछ बदली है। सट्टा बाजार भी भाजपा की स्थिति में सुधार का संकेत दे रहा है।

इस पर तो मैं कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि सट्टा बाजार पर हम लोग टिप्पणी नहीं करते। हम तो अपना काम कर रहे हैं। फील्ड में देख रहे हैं और उससे लगता है कि अंडरकरंट चल रहा है। बीते तीन दिनों में सात जिलों में होकर आया हूं। सातों जिलों के अनुभव के आधार पर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि पब्लिक का रुझान कांग्रेस की तरफ है और राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाएगी।

कितना बड़ा बहुमत मिलेगा आपको? आप लोग कितनी सीटों का टारगेट लेकर चल रहे हैं?

हमने कभी सीटों की संख्या नहीं बताई और न ही बड़े बहुमत पर चर्चा की। लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यहां आकर कहा था कि राजस्थान में भाजपा मिशन 180 का लक्ष्य लेकर चल रही है। गुजरात में उन्होंने 180 में से 150 सीटों का मिशन बताया था। वहां वे 96 पर आकर रुक गए तो उनका मिशन फेल हो गया। राजस्थान में बड़ी बात बोल गए हैं। स्थिति ऐसी है कि भाजपा बैकफुट पर आ चुकी है। अब उनका कोई नेता 180 सीटों का नाम नहीं ले रहा है। मैं समझता हूं कि वे खुद समझ चुके हैं कि मिशन 180 की बात बोलकर उन्होंने गलती की है। हो सकता है वे 50 के अंदर रह जाएं।

आपके मुताबिक राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? लोग वसुंधरा राजे सरकार को क्यों बदलना चाहेंगे?

भाजपा को 163 सीटों का बहुमत मिला था। लेकिन, उन्होंने कुछ काम नहीं किया, पूरा भट्ठा बैठा दिया। बड़ी रिफाइनरी के प्रोजेक्ट थे, आदिवासी इलाकों में रेल लाइन का प्रोजेक्ट था। करौली और टोंक का प्रोजेक्ट रोक दिया गया। जयपुर में मेट्रो का दूसरे फेज का बड़ा प्रोजेक्ट आ रहा था, उसे रोक दिया। एक सिंचाई का डैम था, हड़ौती के अंदर उसे बहुत डिले कर दिया। एक और प्रोजेक्ट था, भीलवाड़ा में, उसका पता नहीं। हमारी जन कल्याणकारी योजनाओं के सिर्फ नाम बदल दिए। उनसे काम चला रही हैं। इससे लोगों में बड़ा आक्रोश है। भामाशाह योजना लेकर आ गईं, उसमें अनावश्यक पैसे खर्च कर दिए। इस सरकार में बड़े पैमाने पर करप्शन हो रहा है। पता ही नहीं, राज्य में क्या हो रहा है।

आपको लग रहा है कि इस चुनाव में कुछ बड़े राष्ट्रीय मुद्दे भी हैं। आपकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार राफेल में घोटाले की बात कर रहे हैं?

देश के अंदर राफेल बड़ा मुद्दा बन गया है। स्विस बैंकों से काले धन का एक रुपया भी नहीं आया। दो करोड़ लोगों को रोजगार का पता नहीं। राजस्थान में वसुंधरा जी ने 15 लाख नौकरियों की बात की थी, उसका पता नहीं। इस प्रकार झूठे वादे किए और जनता ने देखा वे झूठे साबित हुए।

नोटबंदी का कुछ इम्पैक्ट है?

नोटबंदी का बहुत इम्पैक्ट है। काम-धंधे बंद हो गए हैं। लोगों को काम नहीं मिल रहा है। मजदूरी नहीं मिल रही है। छोटे-मोटे धंधे बंद हो गए। 150 के आसपास लोग मारे गए, उनके घर जाकर कोई नहीं मिला। उनके घर की स्थिति क्या है, किसी ने नहीं पूछा। ये स्थिति बनी है राजस्थान के अंदर और बहुत गंभीर स्थिति है। भयंकर आक्रोश है लोगों में।

वसुंधरा राजे से क्यों नाराजगी है?

वसुंधरा जी के प्रति लोगों में आक्रोश है। वे आज तक राज्य के किसी सर्किट हाउस में रात में नहीं रुकीं। सर्किट हाउस वह जगह होती है जहां गांव से, शहर से लोग इस उम्मीद में आते हैं कि मुख्यमंत्री या मंत्री, जनप्रतिनिधि वहां मिलेंगे। लेकिन वे मिली नहीं किसी से, महलों में रहीं, जो हेरिटेज होटल हैं और फाइव स्टार होटलों में बदल गए हैं। राज्य में दौरे भी नहीं किए। कोई सुनवाई नहीं की। राजस्थान में बहुत भयंकर एंटी इंकंबेंसी है।

किसानों का मुद्दा बड़ा है?

किसानों के मुद्दे बड़े थे। बिजली के दाम बढ़ा दिए गए। कर्जमाफी अधूरी रही। थोड़ी बहुत हुई। राशन की दुकान में राशन मिलता नहीं है। एक करोड़ लोगों के नाम काट दिए गए, जिनका फूड सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन हुआ था।

वसुंधरा राजे दावा करती हैं कि वे भाजपा की मुख्यमंत्री चेहरा हैं, लेकिन कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं है। दो-तीन लोग मुख्यमंत्री के दावेदार हैं?

वह जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं। उनके पास पांच साल की उपलब्धि गिनाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वे इस तरह की बातें करती हैं। हमारे यहां आजादी के बाद कभी भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं हुआ है। चुनाव के बाद हाइकमान जो फैसला करता है, उसे हम स्वीकार करते हैं। यह कोई मुद्दा नहीं है। मतभेद तो खुद भाजपा में थे, जिसके कारण 75 दिन तक वह प्रदेश अध्यक्ष तय नहीं कर पाई।

ब्राह्मणवाद पर सीपी जोशी के बयान को लेकर कुछ टिप्पणी भी हुई हैं?

राहुल गांधी जी ने ट्वीट कर दिया है। वह काफी है। पार्टी की स्थिति क्लियर हो गई। सीपी जोशी ने माफी मांग ली है।

टिकट वितरण को लेकर काफी विवाद हुआ और नाराजगी हुई। नेता प्रतिपक्ष तक ने बोल दिया कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा?

कोई नाराजगी नहीं हुई। उन्होंने बोला कुछ और, पब्लिक में मैसेज दूसरा चला गया। उनका मकसद वह बोलना नहीं था।

आप क्या कह रहे हैं लोगों से? क्या करेंगे?

हम सरकार में आएंगे। कांग्रेस की सरकार बनेगी। कोई झगड़े नहीं हो रहे हैं। सब मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने जो लोगों को लड़ाया है, उससे ध्यान भटकाने के लिए बार-बार कांग्रेस की बात करती है।

लोगों के बीच आप किन मुद्दों को लेकर जा रहे हैं? यदि कांग्रेस सरकार में लौटी तो किन चीजों पर फोकस करेंगे?

हम जन कल्याणकारी योजनाओं को लोगों के बीच लेकर जा रहे हैं। इनकी विस्तार से जानकारी हमारे मैनिफेस्टो में होगी। लेकिन हम उन योजनाओं को दोबारा मजबूती के साथ लागू करेंगे। राज्य में जो बड़े इन्‍फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अटक गए हैं, उनको दोबारा लाएंगे। इनमें रिफाइनरी के बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। रोजगार पर फोकस करेंगे।

अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर जो जमावड़ा हुआ और जिस तरीके से इसे मुद्दा बनाकर उछाला जा रहा है, क्या चुनाव पर उसका कुछ असर पड़ेगा?

चुनाव आते ही भाजपा को राम मंदिर याद आता है। हिंदू समाज में धीरे-धीरे ये बातें घर कर गई हैं कि ये राम के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। राम भी कभी मिल गए तो इनको माफ नहीं करेंगे।

मुख्यमंत्री क्या ओबीसी वर्ग से होगा?

मैंने कहा कि मुख्यमंत्री कौन होगा, यह चुनाव के बाद पार्टी हाइकमान तय करेगा।

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