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कौन है प्रवीण झा, जिसने बढ़ा दी है नीतीश कुमार की मुश्किलें

मधुबनी के बेनीपट्टी थाना अंतर्गत महमदपुर गांव में बीते महीने मार्च की 29 तारीख को यानी होली के दिन हुए...
कौन है प्रवीण झा, जिसने बढ़ा दी है नीतीश कुमार की मुश्किलें

मधुबनी के बेनीपट्टी थाना अंतर्गत महमदपुर गांव में बीते महीने मार्च की 29 तारीख को यानी होली के दिन हुए नरसंहार में पांच लोगों की हत्या कर दी गई जबकि छठा व्यक्ति कोमा में है। इस मामले में मुख्य अपराधी प्रवीण झा है, जो बगल के गांव गइदीपुर के रहने वाला है। ये क्योंथ पंचायत में आता है जबकि सेना से रिटायर्ड पीड़ित सुरेंद्र सिंह का परिवार महमदपुर पंचायत का रहने वाला है। एडीजी के मुताबिक प्रवीण झा को बुधवार को मधुबनी से गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इस पूरे मामले में 35 लोगों के शामिल होने की बात कही गई है। अन्य की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी चल रही है। लेकिन, प्रवीण झा को गिरफ्तार किए जाने की जगह सवालों के घेरे में है। कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी नेपाल से हुई है। जब इस बाबत बुधवार को मीडिया ने एडीजीपी से सलाव पूछा तो कुछ सेंकेंड रूकने के बाद उन्होंने कहा कि प्रवीण झा की गिरफ्तारी मधुबनी से हुई है। इस पर राजद के मुखिया और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को घेरा। वीडियो ट्वीट कर कहा, "नरसंहार आरोपी प्रवीण झा की गिरफ़्तारी कहाँ से हुई है? ADGP- अं..अं..........आ..ई..ई..मधुबनी से ही........हुई है। बस इसी में ही नीतीश कुमार का किरदार छिपा हुआ है। वैसे जेडीयू की “कु-कर्मी” पुलिस ने यह नहीं बताया गिरफ़्तारी कहाँ, कब, कौन और किसके गाँव से हुई है?"

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सुरेंद्र सिंह के तीन पुत्र रणविजय सिंह, विरेंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह की मौत हो चुकी है। वहीं, उनके भतीजे राणा प्रताप सिंह एवं रुद्रनारायण सिंह की भी मौत हो गई है। राणा प्रताप सिंह बीएसएफ में एएसआई के पद पर तैनात थे। होली में ये छुट्टी पर घर आए हुए थे। सुरेंद्र सिंह के भाई राम नारायण सिंह भी सेना से रिटायर्ड हैं। उनके बेटे मनोज कुमार सिंह कोमा में हैं। जबकि महंथ रूद्र नारायण सिंह को भी अपराधियों ने गोलियों से भून दिया। पीड़ित परिवार से दो सौ मीटर की दूरी पर अमरजीत सिंह का घर है। आउटलुक से बातचीत में वो कहते हैं, "प्रवीण झा से संबंधित जानकारियां बताने से लोग अभी बच रहे हैं। लेकिन, उनकी कोई पहले से गंभीर अपराधिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। पिता सीआरपीएफ से रिटायर्ड हैं। जबकि झा की उम्र तीस साल के करीब है। वो इस बार पंचायत चुनाव में मुखिया पद के दावेदार था। वो रावण नाम से सोशल मीडिया ग्रुप को संचालित करता हैं। जिसमें कई लोग जुड़े हुए हैं। निर्मम नरंसहार से लोग सहमे हुए हैं।" इस वक्त प्रवीण झा का पूरा परिवार जेल में है। वहीं, उनके घर की कुर्की जब्ती हो चुकी है। 

अमरजीत सिंह के मुताबिक पहले से कोई अपराधिक मामलों में भी प्रवीण झा की संलिप्तता नहीं रही है। लेकिन, जिस तरह से इस वारदात को अंजाम दिया गया है। उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस के अनुसार योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया है। वहीं, पुलिस मामले में बयान देने से बच रही है। यदि प्रवीण झा पहले से अपराधिक वारदातों में शामिल नहीं था तो फिर उसके पास कैसे इतने सारे हथियार आए। आउटलुक के इस सवाल पर बेनीपट्टी के डीएसपी अरूण कुमार सिंह जवाब देने से इंकार कर जाते हैं। वो कहते हैं, "पूरी चीजें जांच के दायरे में है। अभी कुछ नहीं कह सकते हैं।"

आउटलुक से अमरजीत सिंह कहते हैं, "होली के दिन गांव में डीजे बज रहा था, इस वजह से गोलियों की आवाज ज्यादा दूर तक सुनाई नहीं दी। हत्या के बाद बॉडी को छत विछत कर दिया गया था। लाशें देखने लायक नहीं बची थी। इसमें धारदार हथियारों का इस्तेमाल किया गया है।" वो आगे कहते हैं, "बीते साल छठ-पूजा के दौरान पोखर में मछली पालन करने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। दोनों परिवार के बीच इसके बाद दबंगई वाली लड़ाई होने लगी।"

घटना के बाद राज्य के मुख्यमंत्री सवालों के घेरे में हैं। पुलिस प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। पीड़ित परिवार का आरोप है कि बेनीपट्टी विधायक और स्थानीय प्रशासन की प्रवीण झा के साथ सांठ-गांठ है। हालांकि, इस एंगल से जांच के सवाल पर डीएसपी ने इंकार किया है। तेजस्वी द्वारा लगाए गए आरोप को भी डीएसपी खारिज करते हैं। दरअसल, तेजस्वी ने कहा था, "जेडीयू पुलिस का अपरधियों के साथ उठना-बैठना है।"

मधुबनी नरसंहार पर नीतीश कुमार से जब प्रतिक्रिया मांगी गई थी तो उन्होंने कहा था, "राज्य में लॉ-एंड-ऑर्डर की जिम्मेदारी पुलिस के पास है। इसमें उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं है।" फिलहाल नेताओं और मंत्रियों के पीड़ित परिवार से मिलने का सिलसिला जारी है। वहीं, मंगवार को तेजस्वी यादव ने पीड़ित परिवार को कुल ग्यारह लाख रूपए की रकम सौंपी। हालांकि, अभी तक नीतीश सरकार की तरफ से किसी भी मुआवजे का ऐलान हीं हुआ है। जबकि, नीतीश के मंत्री खुद बिहार पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं। 

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