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समीक्षा शेफ : सैफ ने परोसी साधारण डिश

चांदनी चौक का छोरा रोशन कालरा छोरे-भटूरे की छोटी सी दुकान चलाने वाले से बहुत प्रभावित है। वह उन्हीं की...
समीक्षा शेफ : सैफ ने परोसी साधारण डिश

चांदनी चौक का छोरा रोशन कालरा छोरे-भटूरे की छोटी सी दुकान चलाने वाले से बहुत प्रभावित है। वह उन्हीं की तरह बनना चाहता है। पर पिता उसे हलवाई बनते नहीं देख सकते इसलिए वह छोटी उम्र में ही घर से भाग जाता है। अमृतसर की गलियों से गोवा, कोच्चि होते हुए अमेरिका में शेफ बन जाता है। यह सब फिल्म के बीच-बीच के टुकड़ों में ही पता चलता है। सैफ अली खान ने बहुत कोशिश की कि रोशन कालरा की यात्रा में दर्शक भी शामिल हो सकें पर यह फिल्म बस चलती रही पर किसी को जोड़ नहीं पाई।

जिस तरह पूरी फिल्म में सैफ एक ही डिश बनाते दिखते हैं, रोटज्जा। फिल्म भी बस उसी तरह एक ही ढर्रे पर चलती है। रोशन के पिता से बहुत अच्छे संबंध नहीं दिखाए गए हैं लेकिन यही रोशन अपने सपने के लिए तलाक लेकर अपने छोटे से बेटे को छोड़ कर अमेरिका चला जाता है। लेकिन तलाक के बाद भी बेटे की वजह से तलाकशुदा पत्नी से दोस्ताना संबंध रखने वाला रोशन अपने बेटे के लिए कोच्चि आता है। लेकिन यदि अमेरिका में एक ग्राहक को उसने अपने खाने की बुराई करने पर घूंसा न मारा होता, और उस वजह से उसे नौकरी से न निकाला गया होता तो क्या वह अपने बेटे से वैसे संबंध रख पाता। लेकिन बाद की पूरी फिल्म में रोशन के पिता, रोशन और रोशन के बेटे अरमान (स्वर कांबले) के बीच बाप-बेटे की कहानी चलती है। लेकिन कम मसाले वाली वैसी ही बेमजा। ऊब की हद तक बनावटी।

रोशन की पत्नी की भूमिका में पद्मप्रिया जानकीरमन और उनके दोस्त की भूमिका में मिलिंद सोमण वाकई जमे हैं। पद्मप्रिया सैफ से ज्यादा सहज लगी हैं। इस फिल्म को निर्देशक राजा कृष्ण मेनन ने दो साल पहले हॉलीवुड में जॉन फैवरो की इसी नाम से आई फिल्म से प्रेरणा लेकर बनाया है। लेकिन राजा पिता-बेटे की भावनात्मक यात्रा और एक कॅरिअरस्टिक लड़के के बीच फंस गए से लगते हैं। यह फिल्म कई एंगल पर दिखाने की कोशिश से बेस्वाद हो गई है। कालरा के मार्फत वह यह भी दिखाना चाहते हैं कि चालीस साल के होने के बाद आदमी की ताकत चुक जाती है, वह टाइप्ड हो जाता है और नया कुछ करने से डरने लगता है।

अगर वह इसी भाग पर ध्यान देते तो शायद फिल्म और निखर कर आ सकती थी। पर वह फैमेली, पेरेंटिंग, कॅरिअर, बिजनेस सब बातों को थोड़ा-थोड़ा चटनी की तरह दिखाना चाहते थे। इससे अच्छा होता वह एक ही डिश कंप्‍लीट बना कर दर्शकों को परोस देते, तो वे उसका भ्‍ार पेट स्‍वाद भी ले सकते।

फिल्म में कालरा एक मोबाइल रेस्टोरेंट डालता है, वह कोच्चि से दिल्ली के लिए इस रेस्टोरेंट को लेकर निकल पड़ा है। बीच में गोवा हॉल्ट के दौरान कुछ लोग रोशन के साथ सेल्फी खिंचवाना चाहते हैं और कहते हैं कि आपने जो उस अमेरिकन को पंच मारा था वह शानदार था। बस के ड्राइवर के डायलॉग पर गौर कीजिएगा, ‘ये लोग इनके खाने से नहीं, गुंडागर्दी से इम्प्रैस हैं।’ अब आप समझ ही गए होंगे कि राजा कृष्ण मेनन कहां चूक कर गए हैं।

आउटलुक रेटिंग दो स्टार 

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