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आखिर क्यों खाएं, ‘बरेली की बर्फी’

हंसाना दुनिया का सबसे कठिन काम है। लव स्टोरी में तो सच में बहुत कठिन। लेकिन तिवारी दंपती ने मिल कर बहुत सारे चेहरों पर मुस्कान ला दी है। मीठी-मीठी बर्फी सही जम गई है, भाईसाब!
आखिर क्यों खाएं, ‘बरेली की बर्फी’

बरेली की बर्फी बनाने की विधि

सामग्री

एक नरैटर – जो बीच-बीच में अपने संवादों से दर्शकों को गुदगुदाता रहे

कहानी – अश्विनी अय्यर तिवारी मार्का यानी छोटा शहर, बड़ी-बड़ी बातें।

संगीत – चिकभिन्नाट टाइप का एक डांस आइटम जो शादी में डीजे पर बज सके। हो सके तो एक टूटे दिल का गाना भी।

एक्टिंग – जितनी मात्रा में चाहें ले सकते हैं।

रोना-धोना- कहानी की आवश्यकतानुसार।

विधि

नरैटर को एक दिलचस्प कहानी दे दीजिए जो विविध रंग लिए हो। कहानी लव ट्रैंगल टाइप होगी तो भी फिल्म निर्माण विधा में विशेषज्ञ हो चलीं निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी उसे ऐसे एंगल से दिखाएंगी कि दो घंटे तीन मिनट बड़े मजे-मजे में कट जाएंगे। अब कहानी में सिचुएशनल कॉमेडी डालिए, बिट्टी (कृति सेनन), चिराग दुबे (आयुष्मान खुराना), प्रीतम विद्रोही (राजकुमार राव) को खूब सारे सीन में मिलाइए और ऊपर से बिट्टी के मम्मी-पापा (सीमा पाहवा-पंकज त्रिपाठी) से सजा कर दर्शकों के सामने परोस दीजिए। ये है स्वादिष्ट बरेली की बर्फी जिसे पूरे परिवार के साथ मजे से खाया...हां जी देखा जा सकता है।

अपनी पिछली फिल्म निल बटे सन्नाटा से निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने जो उम्मीद जगाई थी वह इस फिल्म से भी बरकरार है। प्रतिभाशाली निर्देशक नितेश तिवारी ने श्रेयस जैन और रजत नोनिया के साथ मिल कर कहानी लिखी है। नितेश खुद अच्छे निर्देशक हैं, दंगल का निर्देशन उसका सबूत है। बरेली की बर्फी मजेदार ढंग से कही गई एक प्रेम कहानी है, जिसमें लव टैंगल होते हुए भी नहीं है। यह कहानी सिर्फ छोटे शहर की नहीं छोटे शहर की बड़ी मानसिकता की भी है। बरेली जैसे शहर में एक लड़की है जो सुट्टा मारती है, कभी-कभार बीयर भी पी लेती है और ब्रेक डांस की शौकीन है। एक बिगड़ी हुई लड़की का खिताब पाने के लिए इत्ते ‘लच्छन’ बहुत हैं। फिर वह अपने माता-पिता की दुलारी है। रात-रात भर घूमने को लेकर उसके माता-पिता हल्ला नहीं मचाते। मुझे बिट्टी नहीं पूरे समाज में सच में उसके मम्मी-पापा जैसे पापा चाहिए। चिराग को भी ऐसी ही लड़की चाहिए और जब बिट्टी चिराग के जीवन में है तो बीच में गफलत में प्रीतम भी है। इसी घालमेल ने ही बर्फी को इतना स्वादिष्ट बना दिया है। खुराफाती चिराग दुबे अपने ही जाल में फंस गया और निकालेगा कौन प्रीतम बेचारा सीधा-सादा या तेज तर्रार बिट्टी। यही देखने वाली बात है। चिराग और प्रीतम ने मिल कर भाईसाब सच में समां बांध दिया है। प्रीमत के रोल में राजकुमार राव ने कमाल किया है। उन्होंने अपने किरदार को इतने अच्छे से जिया है कि इस बार उन्हें फिल्मफेयर जरूर दिया जाना चाहिए।

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