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चीन में आजीवन शासन कर सकते हैं शी

चीन में एकदलीय राजनीति में सबसे बड़े बदलाव के संसद ने ऐतिहासिक संविधान संशोधन को मंजूरी दे दी जिससे...
चीन में आजीवन शासन कर सकते हैं शी

चीन में एकदलीय राजनीति में सबसे बड़े बदलाव के संसद ने ऐतिहासिक संविधान संशोधन को मंजूरी दे दी जिससे राष्ट्रपति शी चिनफिंग के दो बार के कार्यकाल की अनिवार्यता समाप्त हो गयी और वह आजीवन सत्ता में बने रह सकते हैं।

64 वर्षीय शी इस महीने दूसरी बार अपने पांच वर्ष के कर्यकाल की शुरुआत करने वाले हैं और हाल के दशकों में सर्वाधिक शक्तिशाली नेता हैं जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) और सेना के प्रमुख हैं। वह संस्थापक अध्यक्ष माओ-त्से-तुंग के बाद पहले चीनी नेता हैं जो आजीवन सत्ता में बने रह सकते हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, संसद ने संविधान में ऐतिहासिक संशोधन कर देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की अनिवार्यता की दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर दिया है। अब मौजूदा राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपने पूरे जीवन काल तक पद पर बने रह सकते हैं। संसद ने लगभग दो- तिहाई बहुमत के साथ संविधान संशोधन को पारित कर मौजूदा राष्ट्रपति शी चिनफिंग(64) के जीवन- पर्यंत पद पर बने रहने का रास्ता साफ कर दिया है।

अगले महीने से अपने दूसरे कार्यकाल में प्रवेश कर रहे64 वर्षीय शी चिनफिंग हालिया दशकों में चीन के सबसे मजबूत नेता हैं। वह सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तथा सेना के प्रमुख हैं। पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष माओ त्से तुंग के बाद जीवन पर्यंत राष्ट्रपति पद पर बने रहने वाले शी दूसरे नेता हो सकते हैं। संसद ने सीपीसी से मंजूरी प्राप्त संशोधनों और प्रस्तावों को बिना झिझक पारित करने की अपनी परंपरा को जारी रखते हुए आज का संविधान संशोधन भी पारित कर दिया है।

सरकारी मीडिया की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए महज दो कार्यकाल की अनिवार्यता को समाप्त करने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर मतदान के दौरान2,958 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में जबकि दो ने विरोध में वोट डाला। मतदान के दौरान तीन सांसद अनुपस्थित थे। गौरतलब है कि संशोधन के विरोध में पड़े दो वोट विविधता को दर्शाने के लिए सरकार के इशारे पर ही डाले गये।

चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने  मतदान में ईवीएम या हाथ उठाने के स्थान पर मतपत्रों का प्रयोग किया। मतपत्र में सहमत, असहमत और अनुपस्थित रहनेके विकल्प थे। बीजिंग में‘ ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल’ में मतदान के दौरान राष्ट्रपति शी ने सबसे पहले अपना वोट डाला।

चीन का पहला संविधान1954 में प्रभावी हुआ था। मौजूदा संविधान1982 से प्रभावी है और अभी तक इसमें1988, 1993, 1999 और2004 में चार बार संशोधन हो चुके हैं। चीन में1949 से लागू एक दलीय प्रणाली में आज सबसे बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ है।

संसद में मतदान से पहले सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष संगठन, सात सदस्यीय स्थायी समिति ने संविधान में संशोधन कर राष्ट्रपति के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की अनिवार्यता को समाप्त करने संबंधी विधेयक को आम सहमति से मंजूरी दी थी। संशोधन पारित होने के साथ ही एक दलीय राजनीति वाले देश में तानाशाही से बचने के लिए सीपीसी द्वारा पालन की जा रही सामूहिक नेतृत्व प्रणाली खत्म हो गयी है।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि संविधान संशोधन ने चीन में सत्ता को एक दलीय से प्रणाली से एक नेता के शासन की ओर बढ़ने का रास्ता साफ कर दिया है। कुछ लोगों द्वारा‘ सम्राट’ कहे जाने वाले शी चिनफिंग अब जब तक चाहें पद पर बने रह सकते हैं। आज के बदलावों के प्रस्ताव से पूरी दुनिया, विशेष रूप से पड़ोसी देश काफी चिंतित हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि शी का सत्ता में बने रहना भारत के लिए खासतौरपर महत्वरखता है, विशेष रूप से पिछले वर्ष73 दिन तक चले डोकलाम गतिरोध की पृष्ठभूमि में।

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