Advertisement

आइएमएफ प्रमुख बोलीं, पाकिस्तान को बताना होगा चीन से लिया कितना कर्ज

अार्थिक संकट से उबरने के लिए पाकिस्तान ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आइएमएफ) से गुहार लगाई है। इमरान खान के...
आइएमएफ प्रमुख बोलीं, पाकिस्तान को बताना होगा चीन से लिया कितना कर्ज

अार्थिक संकट से उबरने के लिए पाकिस्तान ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आइएमएफ) से गुहार लगाई है। इमरान खान के नेतृत्व वाली नई सरकार ने  आइएमएफ से 8 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज चाहती है।  पाकिस्तान की ओर से मांगा गया यह अब तक का सबसे बड़ा बेलआउट पैकेज है। लेकिन डॉन अखबार के अनुसार बेलआउट के लिए यदि पाकिस्तान आइएमएफ की शर्तों को मानता है तो यह रकम बढ़कर 12 अरब डॉलर तक हो सकती है। हालांकि इसके लिए उसे  जरूरी आर्थिक सुधार लागू करने होंगे।

इस बीच, आइएमएफ की प्रमुख क्रिस्टीना लोगार्ड ने कहा है कि बेलआउट के लिए पाकिस्तान को अपने कर्जों को लेकर पूरी पारदर्शिता दिखानी होगी। खासकर, चीन ने सीपीईसी के लिए उसे कितना कर्ज दिया है, यह बताना होगा। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी के बाद आया है। ट्रंप ने कहा था कि बेलआउट का इस्तेमाल पाकिस्तान चीन का कर्ज चुकाने में कर सकता है।

 पिछली सरकार के समय से हो रही है कोशिश

आइएमएफ से ऋण लेने की पाकिस्तान की यह कोशिश उस समय से चल रही है जब पाकिस्तान में मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की सरकार सत्ता में थी। पाकिस्तान को इस सहायता की कितनी जरूरत है कि इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चुनावों के दौरान रहने वाली अंतरिम सरकार भी लगातार आइएमएफ से बातचीत कर रही थी। सोमवार की रात पाकिस्तान के मौजूदा वित्त मंत्री असद उमर ने बताया था कि घरेलू आर्थिक संकट और विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए सरकार ने आइएमएफ से मदद मांगी है। आइएमएफ का एक दल भी 27 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच पाकिस्तान का दौरा कर चुका है। गौरतलब है कि पाकिस्तान अब तक आइएमएफ से 12 बार वित्तीय पैकेज ले चुका है। अंतिम पैकेज 6.4 अरब डॉलर का था जो अगस्त 2016 में पूरा हुआ। 

गंभीर संकट

-कुछ समय पहले पाकिस्तान के केंद्रीय स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने बताया था कि  पाकिस्तान का बजट घाटा 6.6 फीसदी पर पहुंच गया है और आने वाले दिनों में यह 7 फीसदी तक जा सकता है।
-सरकार कर्ज में बुरी तरह डूबी हुई है और उसके पास घाटे की भरपाई के लिए पैसा नहीं है। पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़कर 95 अरब डॉलर का हो चुका है, जो 305 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का क़रीब 30 फ़ीसदी होता है।
-आंतकवाद के कारण विदेशी कंपनियां पाकिस्तान में निवेश नहीं करना चाहती। घरेलू निजी कंपनियों के पास जो रकम है, वह बहुत कम है।
-पाकिस्तान में इस समय एक डॉलर की कीमत 132 रुपयों के बराबर पहुंच गई है। पाकिस्तान अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है, ऐसे में उसका विदेशी मुद्रा भंडार बहुत तेजी से कम हो रहा है। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad