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भगत सिंह को अपना मानता है पाकिस्तान

पड़ोसी देश पाकिस्तान भी इन दिनों अपने स्वतंत्रता दिवस की सत्तरवीं वर्षगांठ के उत्साह में है। वहां यह जश्न हम से एक दिन पहले मनाया जाता है। हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान में शहीदों को याद करते समय भगत सिंह की शान में भी खूब कसीदे पढ़े गए।
भगत सिंह को अपना मानता है पाकिस्तान

ऐसा हो भी क्यों नहीं। शहीद भगत सिंह पर वे लोग हमसे ज्यादा अपना हक जो मानते हैं। भगत सिंह पंजाब के लायलपुर के जिस बंगा गांव में पैदा हुए वह अब पाकिस्तान में है जो अब फैसलाबाद कहलाता है। जिस सेंट्रल जेल में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई वह भी लाहौर में है। जन्म और शहादत के स्थान की नजर से देखा जाए तो पाकिस्तान का भगत सिंह पर दावा हमसे मजबूत ही नजर आता है। पाकिस्तान के भगत सिंह संबंधी दावे को और मजबूत करने को वहां एक डॉक्युमेंटरी फिल्म 'इंडेलिबल भगत सिंह' का निर्माण भी इन दिनो हो रहा है जो शीघ्र ही पाकिस्तान और भारत में रिलीज होगी। इस फिल्म का निर्माण पाकिस्तान के मशहूर हफीज चाचड़ और जैनब धर कर रहे हैं।

पाकिस्तान के नायाब शहर लाहौर के भगत सिंह चौक पर स्वतंत्रता दिवस के आयोजन में भगत सिंह को खूब याद किया गया। ठीक इसी जगह उन्हें फांसी दी गई थी। तब यह जगह सेंट्रल जेल का हिस्सा थी। इस चौक पर सिविल सोसाईटी के लोग भगत सिंह की मूर्ति भी लगाने का प्रयास आजकल कर रहे हैं मगर इस्लाम में बुतपरस्ती की मनाही के चलते कट्टरपंथी इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि अधिकांश लोग फिर भी यहां शहीद के स्टेचू के समर्थक हैं। लाहौर के ही नेशनल कॉलेज में भगत सिंह औरअन्य शहीदों की तस्वीरें लगी हुई हैं। इस कॉलेज की स्थापना लाला लाजपत राय ने की थी और भगत सिंह उन दिनों यहीं पढ़ते थे जब उन्होंने नौजवान भारत सभा का गठन किया था। लाहौर हाईकोर्ट में ही इन दिनों भगत सिंह को सजा दिए जाने के पुराने फैसले के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई है। भगत सिंह मेमोरीयल फाउंडेशन ऑफ पाकिस्तान के इम्तियाज राशिद कुरैशी की अपील पर यह मुकदमा दुबारा खुला है। कुरैशी ने अदालत को बताया कि सांडर्स मर्डर केस में भगत सिंह के खिलाफ़ कोई गवाह नहीं था फिर भी अंग्रेजो ने उन्हें झूठा फंसा दिया।

भगत सिंह पर पाकिस्तान की मोहब्बत की मिसाल बनने जा रहा है उनका पैतृक घर। पाकिस्तान सरकार ने इस घर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर रखा है और उसके सौंदर्यिकरण पर हाल ही में पांच करोड़ रुपए भी खर्च किए हैं। हाल ही पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी पाकिस्तान सरकार से बंगा गांव में शहीद के स्मारक में आर्थिक सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की है। बता दें कि भगत सिंह की शहादत के दिन यानी 23 मार्च को उनकी याद में इस गांव में एक मेला भी लगता है। क्या इसे इत्तेफ़ाक ही कहा जाए कि जगदंबिका प्रसाद मिश्र के गीत 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले' पर अमली जामा भारत से ज्यादा पाकिस्तान में पहनाया जा रहा है।

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