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दक्षिण एशिया में मोदी की अंतरिक्ष कूटनीति

भारत ने एक अद्भुत अंतरिक्ष कूटनीति को अपना कर आगे बढ़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पहली बार भारत दक्षिण एशियाई देशों को 450 करोड़ रूपये के एक खास तोहफे के जरिए लीक से हटकर अतंरीक्ष कूटनीति को आजमा रहा है।
दक्षिण एशिया में मोदी की अंतरिक्ष कूटनीति

अंतरिक्ष में अपने लिए एक अलग स्थान बना रहा भारत इस सप्ताह 'दक्षिण एशिया उपग्रह' के माध्यम से अपने पड़ोसियों को एक नया उपग्रह उपहार में देने वाला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के लिए अपना दिल खोल रहा है।

एेसे में यह प्रतीत होता है कि अंतरिक्ष मे अपनी खास दिलचस्पी के लिए पहचाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरिक्ष आधारित इस मंच को उपलब्ध करवाकर इसरो को एक नई कक्षा में स्थापित कर रहे हैं। कुल 12 साल के जीवनकाल के इस उपग्रह के लिए इसके भागीदार देशों को लगभग 150 करोड़ डाॅलर खर्च करने पड़ते। 

आईआईटी कानपुर से प्रशिक्षित इंजीनियर प्रशांत अग्रवाल विदेश मंत्रालय में हैं और इस परियोजना से जुड़े एक अहम व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नारे "सबका साथ, सबका विकास" को भारत के पड़ोस तक विस्तार दे दिया है ताकि दक्षिण एशिया की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

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