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जी-20 के नेताओं ने आर्थिक अपराधियों को सुरक्षित पनाह देने से इनकार करने की प्रतिबद्धता जताई

भ्रष्टाचार को एक वैश्विक चुनौती मानते हुए जी-20 देशों के नेताओं ने शनिवार को इस खतरे के खिलाफ लड़ने और...
जी-20 के नेताओं ने आर्थिक अपराधियों को सुरक्षित पनाह देने से इनकार करने की प्रतिबद्धता जताई

भ्रष्टाचार को एक वैश्विक चुनौती मानते हुए जी-20 देशों के नेताओं ने शनिवार को इस खतरे के खिलाफ लड़ने और आर्थिक अपराधियों को सुरक्षित आश्रय देने से इनकार करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है "हम भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए व्यावहारिक सहयोग जारी रखेंगे और भ्रष्टाचार के लिए मांगे गए लोगों को सुरक्षित पनाहगाह से वंचित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेंगे।"

इससे पहले जी -20 शिखर सम्मेलन में भारत ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने की कड़ी वकालत की।भारत के शेरपा  सुरेश प्रभु ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। इसलिए, विदेशी रिश्वतखोरी का मुकाबला करके सभी जी -20 देशों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए।

संयुक्त बयान में कहा गया है कि प्रत्येक जी-20 देश में विदेशी रिश्वत के अपराधीकरण के लिए जल्द से जल्द एक राष्ट्रीय कानून होना चाहिए।

आगे कहा गया "हम गंभीर आर्थिक अपराधियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर स्कूपिंग पेपर के लिए तत्पर हैं।"

पिछले कुछ वर्षों में, भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक भगोड़ों के मुद्दे को उठा रहा है, जो टैक्स हैवन्स में पैसा हड़पने वालों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

प्रभु ने बैठक में हुई चर्चा के बारे में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने की जरूरत को हमेशा सामने रखते आये हैं। यह एक मजबूत एजेंडा रहा है। हम कर चोरी, भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों और देश से भागने वाले भगोड़े अपराधियों पर काम करते रहे हैं। हम इन मुद्दों पर मुखरता से बोलते आये हैं।’’      उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सभी वैश्विक मंचों पर ये मुद्दे उठाते रहते हैं। जी20 शेरपाओं की बैठक के बाद प्रभु ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगता है कि एक वैश्विक समुदाय होने के नाते हमें आर्थिक अपराध करने वाले और अपने देश से भाग जाने वाले लोगों के मुद्दे से निपटने के लिये निश्चित तौर पर काम करना चाहिये।’’

भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के ओसाका घोषणापत्र में क्यों शामिल नहीं हुआ?

यह पूछे जाने पर कि भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के ओसाका घोषणापत्र में क्यों शामिल नहीं हुआ, प्रभु ने कहा कि इसका कारण जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को बता दिया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में यकीन करता है और इस डिजिटल एजेंडा को पाने के लिये बड़ी संख्या में बैंक खाते खोलने समेत कई कदम उठाये गये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में डिजिटल लेन-देन को लेकर एक वृहद कार्यक्रम है। हमने बड़ी संख्या में लोगों के बैंक खाते खोले हैं। काफी लेन-देन डिजिटल तरीके से हो रहे हैं।’’        

प्रभु ने कहा कि भारतीय रेल में 8.1 अरब यात्री हर साल यात्रा करते हैं जिसमें से ज्यादातर डिजिटल माध्यम से टिकट खरीदते हैं। प्रभु राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पहली सरकार में रेल मंत्री भी रहे हैं।

बैठक में उठे ये मुद्दे

बैठक में भारत द्वारा उठाये गये अन्य मुद्दों में पर्यावरण परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, कृषि, पर्यटन, सामाजिक सुरक्षा के प्रति संरचनात्मक बदलाव और वृद्ध होती आबादी को वित्तीय लाभ प्रदान करना शामिल रहा है। प्रभु ने कहा कि भारत वृद्धि के लिये आवश्यक गुणवत्तायुक्त बुनियादी संरचना बनाने पर भी जोर देता रहा है।

एजेंसी इनपुट

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