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तालिबान से नहीं भारत की कोई बात: विदेश मंत्रालय

भारत तालिबान के साथ किसी भी तरह की बातचीत को तैयार नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने...
तालिबान से नहीं भारत की कोई बात: विदेश मंत्रालय

भारत तालिबान के साथ किसी भी तरह की बातचीत को तैयार नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भारत के रुख पर सफाई दी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है कि भारत तालिबान से कोई बात नहीं करेगा। गुरुवार को भारत ने कहा था कि वह अफगानिस्तान पर रूस द्वारा आयोजित की जा रही बैठक में गैर-आधिकारिक स्तर पर भाग लेगा। इस बैठक में तालिबान के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

इस बैठक पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था। उमर ने लिखा, "अगर मोदी सरकार को तालिबान के साथ ग़ैर आधिकारिक स्तर पर बातचीत मंज़ूर है तो जम्मू कश्मीर में मुख्य धारा से अलग संगठनों से इस तरह की बातचीत क्यों नहीं हो सकती है? जम्मू कश्मीर की छीनी हुई स्वायतत्ता और उसकी बहाली पर गैर आधिकारिक बातचीत क्यों नहीं?"

दरअसल, अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए आज भारत पहली बार तालिबान के साथ मंच साझा करेगा. ये बातचीत रूस के मॉस्को में होने जा रही है. भारत इस बातचीत में गैर आधिकारिक स्तर पर शामिल होगा।

9 नवंबर को रूस मॉस्को में अफगानिस्तान पर एक बैठक की मेजबानी कर रहा है

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बैठक में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम अवगत हैं कि रूस 9 नवंबर को मॉस्को में अफगानिस्तान पर एक बैठक की मेजबानी कर रहा है।

भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है

उन्होंने कहा, 'बैठक में हमारी भागीदारी गैर-आधिकारिक स्तर पर होगी.' उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है, जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा तथा देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा। रवीश कुमार ने जोर दिया कि भारत की सतत नीति यह रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व में, अफगान-स्वामित्व वाले और अफगान-नियंत्रित तथा अफगानिस्तान सरकार की भागीदारी के साथ होने चाहिए।

रूसी समाचार एजेंसी 'तास' के मुताबिक यह दूसरा मौका है, जब रूस युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में शांति लाने के तरीकों की तलाश करते समय क्षेत्रीय शक्तियों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है। इस प्रकार की पहली बैठक इसी साल चार सितंबर को प्रस्तावित थी, लेकिन आखिरी समय में इसे रद्द कर दिया गया था। उस समय अफगान सरकार बैठक से हट गई थी।

इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इन देशों को भेजा गया था निमंत्रण

रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को निमंत्रण भेजा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की थी। उसके बाद यह बैठक आयोजित की जा रही है।

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