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भारत-चीन कठिन दौर से गुजर रहे, हम मदद करने का प्रयास कर रहेः ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत और चीन अत्यंत कठिन दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका...
भारत-चीन कठिन दौर से गुजर रहे, हम मदद करने का प्रयास कर रहेः ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत और चीन अत्यंत कठिन दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले इन दोनों पड़ोसी देशों की मदद करने के लिए उनके बात कर रहा है।

लद्दाख की गलवान घाटी में बीते 15 जून की रात को चीन के सैनिकों के साथ हिंसक टकराव में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। बिना फायरिंग का यह संघर्ष इतना भयानक था कि पूरी दुनिया के विशेषज्ञ की बारीकी को समझने में जुट गए हैं। भारत में 45 साल से चीन के साथ लगी सीमा पर कभी इतनी बड़ी संख्या सैनिक शहीद नहीं हुए। इस संघर्ष में चीन के सैनिकों के भी हताहत होने की रिपोर्ट मिली हैं लेकिन चीन की सरकार ने मरने वाले सैनिकों की संख्या के बारे में अभी तक कुछ भी नहीं कहा है।

दोनों देशों के लिए बड़ा झटका

ट्रंप ने व्हाइट हाउस के बाहर पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह अत्यंत कठिन स्थिति है। हम भारत और चीन से बात कर रहे हैं। उन दोनों के सामने बड़ी समस्या आ गई है। दोनों के लिए बड़ा झटका है, हम बात करेंगे कि आखिर हुआ क्या है। हम उनकी मदद करने का प्रयास कर रहे हैं।

मध्यस्थता की पेशकश की थी

भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले महीने सोशल मीडिया पर कहा था कि हमने भारत और चीन को बताया है कि अमेरिका सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने को तैयार, इच्छुक और सक्षम है। उन्होंने यह भी कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी चीन के साथ बड़े टकराव को देखते हुए अच्छे मूड में नहीं है।

भारत-चीन ने प्रस्ताव अस्वीकार किया

हालांकि अमेरिका के इस प्रस्ताव को भारत और चीन दोनों ने ही खारिज कर दिया और कहा कि वे अपने मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाएंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि हम इस मुद्दे को सुलझाने के लिए चीन के साथ वार्ता कर रहे हैं।

हाल में व्हाइट हाउस ने मध्यस्थता से इन्कार किया

बीते बुधवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैलीग मैनएनी ने कहा कि भारत-चीन के बीच सीमा विवाद में मध्यस्थता करने की अमेरिकी राष्ट्रपति की कोई औपचारिक योजना नहीं है।

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