Advertisement

यूएन में रूस के खिलाफ प्रस्ताव से भारत समेत इन 4 देशों ने बनाई दूरी, नहीं लिया वोटिंग में हिस्सा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किए गए यूक्रेन के क्षेत्रों पर रूस...
यूएन में रूस के खिलाफ प्रस्ताव से भारत समेत इन 4 देशों ने बनाई दूरी, नहीं लिया वोटिंग में हिस्सा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किए गए यूक्रेन के क्षेत्रों पर रूस के कब्जे की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मसौदा प्रस्ताव पर भारत मतदान करने से दूर रहा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव के मसौदे से परहेज किया, जिसमें रूस के ‘‘अवैध जनमत संग्रह’’ और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपने बलों को तत्काल वापस बुलाए।

बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन से कब्जाए चार इलाकों को अपने देश में शामिल कर लिया है। पुतिन ने ये कदम उठाकर सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों को दरकिनार कर दिया है. रूस के इस कदम से अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देश भड़क गए हैं।

पुतिन के फैसले पर ऐतराज जताते हुए अमेरिका और अल्बानिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ एक प्रस्ताव लेकर आए। इस प्रस्ताव को 10 देशों का समर्थन मिला, लेकिन भारत, चीन, ब्राजील और गैबॉन ने इस प्रस्ताव से दूरी बनाते हुए वोट ही नहीं किया। हालांकि, अंत में रूस ने अपने वीटो पावर का पावर का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

दरअसल, यूएन में 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया जो रूस के "यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर क्षेत्रों में अवैध तथाकथित जनमत संग्रह के संगठन" की निंदा करता है। यूएन में रूस के राजदूत, वसीली नेबेंजिया ने सुरक्षा परिषद के पांच वीटो-धारक स्थायी सदस्यों में से एक की निंदा का प्रस्ताव लाना अभूतपूर्व कदम बताया है।

प्रस्ताव में घोषणा की गई है कि रूस ने यूक्रेन के अस्थाई नियंत्रण वाले क्षेत्रों लुहान्स्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्ज्या के कुछ हिस्सों में 23 से 27 सितंबर तक कराए गए "अवैध तथाकथित जनमत संग्रह" की कोई कानूनी "कोई वैधता नहीं" है और यूक्रेन के इन क्षेत्रों की स्थिति के किसी भी परिवर्तन के लिए आधार नहीं बना सकता है, जिसमें मास्को द्वारा इनमें से किसी भी क्षेत्र का "कथित विलय" शामिल है।

रूस द्वारा वीटो किए जाने के कारण यह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो सका। 15 देशों की परिषद में से, 10 देशों ने प्रस्ताव के लिए मतदान किया, जबकि चीन, गैबॉन, भारत और ब्राजील ने भाग नहीं लिया।

वोट पर बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान हैं और नई दिल्ली ने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं आ सकता है।

उन्होंने कहा, "हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं। मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए संवाद ही एकमात्र जवाब है, हालांकि यह इस समय कितना भी कठिन क्यों न हो।"

बता दें कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग अभी खत्म नहीं हुई है। रूस ने इस दौरान ऐसा कदम उठाया है, जिससे अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश नाराज हो गए हैं। दरअसल, रूस ने इतने दिनों तक चले युद्ध के बाद यूक्रेन के चार इलाकों डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया और खेरसॉन पर कब्जा कर लिया। इसके बाद हाल ही में रूस ने इन्हें अपने देश में मिला लिया है। रूस ने पश्चिमी देशों को यह धमकी भी दी है कि अगर अब इन इलाकों पर हमला करने की कोशिश की तो रूस पूरी ताकत से इसका जवाब देगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad