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फेसबुक को एक साल में लगा 34 हजार करोड़ का चूना, आपकी प्राइवेसी के साथ हुआ था खिलवाड़

दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही, लगातार...
फेसबुक को एक साल में  लगा 34 हजार करोड़ का चूना, आपकी प्राइवेसी के साथ हुआ था खिलवाड़

दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही, लगातार विवाद झेल रहे फेसबुक पर अब अमेरिकी नियामक फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) ने जुर्माना लगाया है। फेसबुक पिछले काफी समय से यूजर्स की निजता के उल्लंघन मामले में दुनिया भर के तमाम देशों के सवालों से घिरा हुआ है और इसको लेकर इस  पर कई तरह के जुर्माने भी लगाए जा रहे हैं। अगर फेसबुक पर पिछले और ताजा जुर्माने की बात करें तो इस पर अब तक 34 हजार करोड़ से अधिक का जुर्माना लग चुका है।

ताजा मामला अमेरिकी नियामक फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) का है जिसने फेसबुक पर पांच अरब डॉलर (करीब 34 हजार करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया है। एफटीसी ने ब्रिटिश फर्म कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा की गई डाटा चोरी के मामले में फेसबुक पर यह जुर्माना लगाया है। निजता के उल्लंघन मामले में किसी भी टेक फर्म पर एफटीसी की ओर से लगाया गया यह अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना बताया जा रहा है।

कैंब्रिज एनालिटिका के अलावा भी फेसबुक को यूजरों की गोपनीयता व डाटा सुरक्षा में खामियों को लेकर कई अन्य आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में फोटो शेयरिंग साइट इंस्टाग्राम के लाखों यूजर का पासवर्ड सुरक्षित रखने में लापरवाही करने को लेकर पर फेसबुक पर सवालिया निशान खड़े हुए थे।

पिछले साल एफटीसी ने की थी ये घोषणा

पिछले साल एफटीसी ने यह घोषणा की थी कि उसने कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा करोड़ों यूजर्स का निजी डेटा चुराने के मामले में फेसबुक के खिलाफ जांच फिर से शुरू कर दी है। बता दें साल 2016 में डॉनल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान के लिए राजनीतिक सलाहकार कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने ही काम किया था और कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा फेसबुक के करीब 8.7 करोड़ यूजर्स का डेटा चोरी करने का मामला सामने आया था।

क्या है फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी)

ये अमेरिका की एक इंडिपेंडेट एजेंसी है जिसे फेडरल ट्रेड कमीशन ऐक्ट के तहत बनाया गया है। मौटे तौर पर समझें तो इस एजेंसी का मकसद कंज्यूमर के हित की रक्षा करना है। एफटीसी कंज्यूमर या कंपनियों द्वारा की गई शिकायत की जांच करने का काम करती है। इनमें फ्रॉड, भ्रामक विज्ञापन शामिल हैं।

जर्मन अथॉरटीज ने लगाया था 15 करोड़ 86 लाख रुपये का जुर्माना

इसी महीने की शुरुआत में फेसबुक पर जर्मन की अथॉरटीज ने आरोप लगाया था कि जर्मनी में फेसबुक अपने सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर अवैध सामग्री वाले कन्टैंट को दिखा रही है, जिससे इंटरनेट ट्रांसपेरेंसी कानून का उल्लंघन हुआ है। इसके लिए अथॉरटीज ने फेसबुक पर 2.3 मिलियन डॉलर (लगभग 15 करोड़ 86 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया था।

ब्रिटिश सूचना कार्यालय ने लगाया 4.30 करोड़ रुपये का जुर्माना

निजता उल्लंघन के मामले में फेसबुक पर पहले भी जुर्माना लग चुका है। पिछले साल ब्रिटिश सूचना कार्यालय ने भी फेसबुक पर पांच लाख पौंड (करीब 4 करोड़ 30 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना भी कैंब्रिज एनालिटिका के डाटा चोरी मामले में फेसबुक की भूमिका को लेकर लगाया गया था।

कैम्ब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के बाद जकरबर्ग की संसद में हुई थी पेशी

ब्रिटिश कंसल्टेंसी फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका को डेटा लीक करने के मामले में फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग की अमेरिकी संसद में भी पेशी हुई थी। उसके बाद एफटीसी ने जांच शुरू कर दी थी। फेसबुक ने अपने खिलाफ जांच शुरू होने के बाद ही कानूनी समझौते के लिए 3 से 5 अरब डॉलर के सेटलमेंट का प्रस्ताव रखा था। एफटीसी ने भी मामले की जांच खत्म करने के लिए इन्हीं शर्तों के तहत कंपनी पर जुर्माने की रकम तय की। हालांकि, फैसला देने वाले कमीशन के दो सदस्यों ने कहा कि जुर्माने की रकम 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा होनी चाहिए।

जानें कैसे होता है डेटा चोरी

जानकारी के मुताबिक, पूरे विश्व में तेजी से स्मार्टफोन यूजर बढ़ रहे हैं। सभी स्मार्टफोन यूजर फेसबुक का इस्तेमाल जरूर करते हैं। फेसबुक का इस्तेमाल करने के कारण ही आपका निजी डाटा फेसबुक तक आसानी से पहुंच रहा है। फेसबुक एकाउंट लॉगइन करने के साथ ही आपसे जुड़ी सारी जानकारी स्मार्टफोन से सिंक्रोनाइज (Sync) हो जाती हैं।

इसके अलावा भी स्मार्टफोन में जब कोई नया ऐप डाउनलोड करते हैं तो उनमें साइन इन का विकल्प आता है। ज्यादातर ऐप्स शुरू होने के लिए आपसे जीमेल अकाउंट या फिर फेसबुक अकाउंट का लॉगइन करना होता है, जैसे ही आप इन ऐप्स में लॉग इन करते हैं तो आपके अकाउंट्स से जुड़ी सारी जानकारी इन ऐप्स पर पहुंच जाती है।

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