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सीओपी 24: कामयाबियों, उपलब्धियों और नाकामियों का मूल्यांकन

पेरिस समझौते के लिए नियमों की पुस्तिकाओं को 15 दिसम्बर को कैटोविस, पौलेण्ड में सीओपी 24 में अपनाया गया।...
सीओपी 24: कामयाबियों, उपलब्धियों और नाकामियों का मूल्यांकन

पेरिस समझौते के लिए नियमों की पुस्तिकाओं को 15 दिसम्बर को कैटोविस, पौलेण्ड में सीओपी 24 में अपनाया गया। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि इसके द्वारा सभी देश पेरिस समझौते के विभिन्न अवयवों को एक समकक्ष तरीके से लागू कर सकेंगें।

हालांकि सीओपी 24 विश्वस्तरीय चुनौतियों के लिए किए गए सामुहिक प्रयासेां की बड़ी असफलताओं को दर्शाता है, जिनका विवरण आईपीसीसी की स्पेशल रिपोर्ट  1.5 डिग्री सेल्सियसम में दिया गया है।

सबसे संवेदनशील विकासशील देश जैसे भारत, बांग्लादेश और छोटे द्वीप सीओपी के तहत विचाराधीन हैं। इन्हें सिविल सोसाइटी और युवाओं का समर्थन प्राप्त है। अंत में वे राष्ट्रपति ट्रम्प के यूएस प्रतिनिधिमंडन तथा सऊदी अरब, रूस और कुवैत की अनिच्छा के चलते सफल नहीं हो सके। ऐसे में सीओपी को इस पहल का स्वागत करना चाहिए (जिसे 197 में से 193 देशों का समर्थन मिला है) या सिर्फ आईपीसीसी रिपेर्ट  को ‘नोट’ करना चाहिए (जिसे सिर्फ चार देशों का समर्थन मिला है)। अंत में ये चारों देश रिपोर्ट  के पूरा होने का स्वागत करते हैं लेकिन इसके अवयवों का नहीं।

यह विज्ञान एवं भारत जैसे विकासशील देशों के लिए बड़ा झटका है। फिर भी पेरिस की नियम पुस्तिका के अनुरूप कई अच्छे फैसले लिए गए हैं।

2015 में किया गया पेरिस समझौता एक गेमंचेजर है जो सभी हितधारकों को सरकारी समर्थन के बिना इसके सभी अवयवों को अमल में लाने की अनुमति देता है। इसका उदाहरण इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प के पेरिस समझौते से बाहर निकलने के बावजूद थी यूएस बराक ओमा के वादे के अनुसार उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। ट्रम्प द्वारा कोयले को बढ़ावा दिए जाने के प्रयासों के बावजूद अमेरिका में राज्य और शहर स्तर के मुख्य निवेशक नव्यकरणी स्रोतों की ओर रुख कर रहें हैं क्योंकि ये सस्ते हैं।

अंत में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो ग्युटेरेस सीओपी 24 के उद्घाटन के लिए कैटोविस आए और अंत में समझौता अपने अंतिम रूप पर पहुंच गया।

अगले साल सीओपी 25 का आयोजन दिसम्बर 2019 में सैंटिआगो, चिले में होगा, जिसमें कई मुख्य पहलुओं पर महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। हालांकि सीओपी 25 की शुरूआत से पहले श्री एंटोनियो ग्यूटेरेस सितम्बर 2019 में न्यूयार्क  में जलवायु परिवर्तन पर एक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। संयुक्तराष्ट्र महासभा के दौरोन आयोजित यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुख्य पहलुओं पर रोशनी डालेगा। अगली सितम्बर और दिसम्बर से पहले भारत जैसे देशों को कड़ी तैयारी करनी होगी अगर हम चाहते हैं कि इन दो महत्वपूर्ण विश्वस्तरीय बैठकों के विश्वस्तरीय परिणाम हों।

यह भारत सरकार के लिए अच्छा मौका है कि सही हितधारकों और सिविल सोसाइटी को विश्वस्तरीय जलवायु बदलाव पॉलिसी के लिए तैयार किया जाए।

(लेखक पर्यावरण स्वास्थ्य पर लिखते हैं और कम्युनिकेशन विशेषज्ञ हैं)

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