Advertisement

मॉरिशस में बोलीं सुषमा स्वराज, देशों में हिन्दी को बचाने की जिम्मेदारी भारत ने ली है

मॉरिशस में शनिवार को 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन की शुरूआत हुई। इस सम्मेलन की शुरूआत विदेश मंत्री सुषमा...
मॉरिशस में बोलीं सुषमा स्वराज, देशों में हिन्दी को बचाने की जिम्मेदारी भारत ने ली है

मॉरिशस में शनिवार को 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन की शुरूआत हुई। इस सम्मेलन की शुरूआत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से विश्व के हिन्दी प्रेमियों को अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने का मौका मिलेगा।

इस दौरान विदेश मंत्री ने संस्कृति और भाषा को बचाने पर जोर देते हुए कहा कि अलग-अलग देशों में हिन्दी को बचाने की जिम्मेदारी भारत ने ली है। 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान अपने उद्घाटन संबोधन में सुषमा स्वराज ने कहा कि भाषा और संस्कृति एक दूसरे से जुड़ी हैं। ऐसे में जब भाषा लुप्त होने लगती है तब संस्कृति के लोप का बीज उसी समय रख दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि भाषा को बचाया जाए, उसे आगे बढ़ाया जाए, साथ ही भाषा की शुद्धता को बचाए रखा जाए।

देशों में लुप्त हो रही हिन्दी भाषा को बचाने की जिम्मेदारी भारत की है: सुषमा

विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्दी भाषा को बचाने, बढ़ाने और उसके संवर्द्धन के बारे में कई देशों में चिंताएं सामने आई। ‘ऐसे में इन देशों में लुप्त हो रही इस भाषा को बचाने की जिम्मेदारी भारत की है।’ उन्होंने कहा कि इस बार विश्व हिन्दी सम्मेलन का प्रतीक चिन्ह ‘मोर के साथ डोडो’ है। पिछली बार मोर था, इस बार इसमें डोडो को भी जोड़ दिया गया है। डोडो लुप्त होती हिन्दी का प्रतीक है और भारत का मोर आएगा और उसे बचाएगा।

साइबर टावर को अब अटल बिहारी वाजपेयी टावर नाम देने की हुई घोषणा

मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर दो डाक टिकट जारी किए। एक पर भारत एवं मॉरिशस के राष्ट्रीय ध्वज और दूसरे पर दोनों देशों के राष्ट्रीय पक्षी मोर और डोडो की तस्वीर है। मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने भारत के सहयोग से बने साइबर टावर को अब अटल बिहारी वाजपेयी टावर नाम देने की घोषणा की।

इस बार भाषा के साथ साहित्य नहीं, संस्कृति को जोड़ा गया

सुषमा ने कहा कि पिछले विश्व हिन्दी सम्मेलनों में भाषा और साहित्य पर जोर होता था। इस बार भाषा के साथ संस्कृति को जोड़ा गया है। ऐसे में एक विषय ‘हिन्दी, विश्व और भारतीय संस्कृति’ रखा गया है। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया देशों में उन्होंने भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता देखी है।

मॉरिशस के पीएम में साफ झलकती है संस्कृति को बचाने की बेचैनी: सुषमा

इस संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि उन्हें ज्यादा हिन्दी नहीं आती है लेकिन भाषा को न जानने की निराशा और संस्कृति को बचाने की बेचैनी उनमें साफ झलकती है। सुषमा ने कहा कि सम्मेलन के दौरान एक विषय ‘भाषा और संस्कृति के अंतर संबंध’ रखा गया है। इसके अलावा एक अन्य विषय ‘हिन्दी शिक्षण और भारतीय संस्कृति’ है।

उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान पहले सत्र होता था, चर्चाएं होती थी, अनुशंसाएं होती थी लेकिन अनुवर्ती कार्य नहीं देखा गया। पिछले छह महीने के परिश्रम से पिछले सम्मेलन की अनुशंसाओं और अनुवर्ती कार्यो का संकलन करने का कार्य किया गया है। यह केवल मौखिक रूप में नहीं बल्कि लिखित रूप में पुस्तक के रूप में है जिसका शीर्षक ‘भोपाल से मॉरिशस’ है। इसमें एक एक अनुशंसा पर की गई कार्रवाई का वर्णन है।

वाजपेयी के सम्मान में रखा गया दो मिनट का मौन

11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन शुरू होने से पहले सभागार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

ये थे सम्मेलन में शामिल होने वाले मुख्य शख्सियत

गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी विशिष्ठ अतिथि हैं। सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री वी.के सिंह, गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, विदेश राज्य मंत्री एम.जे अकबर, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह आदि हिस्सा ले रहे हैं। मॉरिशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी दुकन लक्षुमन ने सम्मेलन में आए अतिथियों का स्वागत किया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad