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'धरती के फेफड़ों' में लगी आग क्यों है पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय

'धरती का फेफड़ा' कहे जाने वाले अमेजन के जंगलों में लगी आग पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इससे पता...
'धरती के फेफड़ों' में लगी आग क्यों है पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय

'धरती का फेफड़ा' कहे जाने वाले अमेजन के जंगलों में लगी आग पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इससे पता चलता है कि किस तरह क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग धरती की बायोडायवर्सिटी को प्रभावित कर रहे हैं। इस आग को लेकर ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो आलोचकों के निशाने पर हैं। दूसरी तरफ राष्ट्रपति बोल्सोनारो खास तौर पर पश्चिमी देशों पर निशाना साध रहे हैं और उनका कहना है कि आग को जबरन मुद्दा बनाया जा रहा है ताकि ब्राजील के आर्थिक विकास की गति को बाधित किया जा सके। ब्राजील की ही बात करें तो इससे सबसे अधिक प्रभावित अमेजोनाज, एकरे, रॉन्‍डोनिया, रोराइमा पारा और माटो ग्रोसो हैं। यह हैरानी वाली बात है कि इस जंगल में इसी वर्ष 72 हजार से अधिक आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें इस जंगल में लगी छोटी व बड़ी सभी तरह की आग को शामिल किया गया है। इसके अलावा इनमें इंसानों की गलती और प्राकृतिक तौर पर लगी आग भी शामिल हैं। 

दुनिया को बीस फीसदी ऑक्सीजन देने वाले अमेजन की आग का संकट गंभीर है। अमेजन के जंगलों का क्षेत्र 5.5 मिलियन स्क्वॉयर किमी, है जो भारत के कुल क्षेत्रफल से अधिक है। यह पूरी पृथ्वी के करीब चार फीसदी क्षेत्र में फैला हुआ है।  विश्व के करीब 60 फीसदी रेनफॉरेस्ट हिस्सा अकेले अमेजन जंगलों में है।  

बढ़ीं आग लगने की घटनाएं

ब्राजील की नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के सैटलाइट डेटा के अनुसार, 2018 में आग लगने की घटनाओं में 84 फीसदी की वृद्धि देखी गई। नासा का कहना है कि इस साल आग लगने की घटनाएं अभी तक औसत से कम रही हैं। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि साओ पाउलो के करीब 2,700 किमी. तक के आकाश में इस आग के कारण काला धुआं बढ़ गया। कुछ मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पराग्वे से आ रहे धुएं के कारण भी आसमान पर काला गुबार छा गया है।

क्या है कारण

आम तौर पर शुष्क मौसम में जंगल में आग लगने की घटनाएं होती हैं। कई बार जान-बूझकर भी जंगलों में आग लगाई जाती है ताकि उस जमीन का प्रयोग खेती के लिए किया जा सके। ब्राजील के आईएनपीई का कहना है कि आग लगने की घटनाओं में वृद्धि अस्वाभाविक परिस्थितियों के कारण हो रही है। सामान्य मौसम में औसत से थोड़ी ही कम बारिश होने के बाद भी आग लगने की घटना हुई है।

राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार

ब्राजील के राष्ट्रपति पर विश्व समुदाय का आरोप है कि वह पर्यावरण के मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है। दूसरी तरफ बोल्सोनारो ने आईएनपीई प्रमुख को ही इस महीने पद से हटा दिया। बोल्सोनारो ने कहा कि आईएनपीई प्रमुख जंगल की आग को लेकर भ्रामक सूचनाएं दे रहे थे। वैज्ञानिकों का कहना है बोल्सोनारो के कार्यकाल में जंगलों की कटाई व्यापक स्तर पर हुई है। उनके कार्यकाल में गैर-कानूनी तरीके से जंगल काटनेवालों पर सख्त कार्रवाई नहीं की।

क्यों अमेजन के जंगल हैं लाइफलाइन

अमेजन जीव पारिस्थितिकी के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। पृथ्वी के 30 फीसदी से अधिक पेड़-पौधों और कीटों का निवास स्थान है। अमेजन में विश्व का 10 फीसदी बायोमास (जीव ईंधन) है। इस कारण इन जंगलों में बड़ी मात्रा में पूरे विश्व का कॉर्बन रहता है। जंगल में लगी आग के कारण बड़े पैमाने पर जंगल से कॉर्बन उत्सर्जित होगा और यह ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने का भी कारण है। अमेजन के जंगलों में 39 हजार करोड़ पेड़ हैं और 16,000 से अधिक जीव प्रजातियां मौजूद हैं।

आग के 72 हजार से अधिक मामले

अमेजन के जंगल में लगी आग को लेकर ब्राजील की स्‍पेस एजेंसी नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ स्‍पेस रिसर्च के मुताबिक आग लगने के इस वर्ष 72843 मामले सामने आ चुके हैं। 2013 जब से यहां पर लगने वाली आग का रिकॉर्ड किया जाना शुरू किया है तब से लेकर अब तक यह आंकड़े बेहद चिंताजनक है। नासा की तस्‍वीरों से मिली जानकारी के मुताबिक अमेजन बेसिन में ही केवल इस बार 9507 आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। आपको बता दें कि अमेजन दुनिया का सबसे बड़ा जंगल माना जाता है। इस तरह के जंगल ग्‍लोबल वार्मिंग से बचाने में समर्थ हैं।

जंगल की आग से कई देश परेशान

अमेजन की आग से सिर्फ ब्राजील के ही राज्‍य प्रभावित नहीं हो रहे हैं बल्कि पेरू के सीमावर्ती राज्‍य भी इसकी मार झेल रहे हैं। ब्राजील के माटो ग्रासो और पारा में भी आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो यहां पर खेती के लिए धड़ल्‍ले से जंगलों को काटा जा रहा है। ऐसा करने वालों में यहां का स्‍थानीय लकड़ी माफिया भी शामिल है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अमेजन के जंगल में आग प्राकृतिक तौर पर कम बल्कि षड़यंत्र के तौर पर ज्‍यादा लग रही है। इस बात को कहने का आधार मौसम है। जानकार मानते हैं कि अमे‍जन के जंगल में गर्मियों में आग लगना सामान्‍य घटना हो सकती है लेकिन यदि इसके अलावा इस तरह की भीषण आग लगती है तो इसकी वजह या तो मानवीय भूल हो सकती है या फिर षड़यंत्र। अगर इन मानवीय भूलों को नहीं सुधारा गया तो इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियां भुगतेंगी।

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