Advertisement

सेशेल्स ने भारत के साथ नौसेना बेस बनाने की डील क्यों रद्द की?

सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने कहा है कि भारत के साथ असम्पशन द्वीप पर नौसैनिक बेस बनाने की...
सेशेल्स ने भारत के साथ नौसेना बेस बनाने की डील क्यों रद्द की?

सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने कहा है कि भारत के साथ असम्पशन द्वीप पर नौसैनिक बेस बनाने की परियोजना पर अब आगे काम नहीं होगा। इसके बजाय सेशेल्स खुद द्वीप पर सैन्य सुविधाएं तैयार करेगा। भारत और सेशेल्स के बीच परियोजना पर 2015 में समझौता हुआ था। दोनों देशों ने इसे गुप्त रखने का फैसला किया था।

सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे के 25 जून को प्रस्तावित भारत यात्रा की तैयारियां चल रही हैं। ऐसे में सेशेल्स ने भारत के साथ अपने असम्पशन आइलैंड पर नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते को रद्द कर दिया है। सेशेल्स के राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की कि इस प्रोजेक्ट के सभी उद्देश्य अब खत्म हो चुके हैं और सेशेल्स अगले साल अपने धन से इस सैन्य अड्डे का निर्माण करेगा। इस महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने कहा था कि जब वह भारत आएंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ असम्पशन आइलैंड प्रॉजेक्ट को लेकर कोई चर्चा नहीं करेंगे। सेशेल्स का यह कदम एक तरह से भारत के कूटनीतिक प्रयासों के लिए असफलता के तौर पर ही देखा जा रहा है।

क्या है ये डील?

सेशेल्स हिंद महासागर में 115 द्वीपों का एक देश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2015 में सेशेल्‍स की यात्रा पर गए थे और यहां पर उन्‍होंने सेशेल्स के साथ एक डील साइन की थी। डील के मुताबिक भारत सेशेल्‍स  में अपना मिलिट्र बेस तैयार करने वाला था। यह बेस सेशेल्स से असम्पशन द्वीप पर बनना था। इस डील के तहत भारत यहां पर 550 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाला था। भारत इस मिलिट्री बेस के जरिए दक्षिणी हिंद महासागर में भारतीय नौसेना के जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता था। इसका मकसद हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दखल को भी रोकना था।

इस डील के बाद सेशेल्‍स की राजधानी विक्‍टोरिया के दक्षिण पश्चिम में स्थित 1,135 किलोमीटर की दूरी तक भारतीय सैनिक तैनात होते। ये सैनिक यहां पर सेशेल्‍स के सैनिकों को भी ट्रेनिंग देते। साल 2015 में साइन हुई इस डील को जनवरी, 2018 में अंतिम रूप दिया गया था।

सेशेल्स में हुआ था डील का विरोध

इस डील के ठंडे बस्ते में जाने के आसार पहले ही नजर आ रहे थे। इस डील का सेशेल्‍स में विरोध हुआ था। मार्च, 2018 में यहां के स्‍थानीय नागरिकों से लेकर विपक्षी पार्टियां तक डील के विरोध में आए। लोगों का यह भी मानना है कि सैन्य अड्डा बनने से सेशल्स के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और इससे भारतीय कामगार बड़ी संख्या में वहां पहुंच जाएंगे। 

क्या है डील टूटने की वजह

सरकार इस डील के टूटने के लिए विपक्ष के नेता भारतीय मूल के रामकलावन को जिम्मेदार ठहरा रही है, जिन्होंने भारत की यात्रा के बाद इस समझौते के लिए हामी भर दी थी लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गए। यह डील विपक्ष की मंजूरी के बिना पास नहीं हो सकती है। 

कौन हैं रामखिलावन?

वेवेल रामखिलावन लिन्‍योन डेमोक्रेटिक सेसेल्‍वा के मुखिया हैं। साल 2016 में हुए संसदीय चुनावों के बाद यह पार्टी संसद में सबसे बड़ी पार्टी है। सेशेल्‍स का विपक्षी गठबंधन संसद में बहुमत रखता है। उन्होंने कहा था कि गठबंधन इस डील को मंजूरी नहीं देगा और यह डील अब खत्‍म हो चुकी है।

राष्‍ट्रपति डैनी फॉरे ने इस डील को लेकर रामखिलावन से बात भी की थी। सरकार ने अपने पक्ष में कहा था कि भारत के मिलिट्री बेस से कोस्‍ट गार्ड को 1.3 मिलियन स्‍क्‍वॉयर किलोमीटर वाले इकोनॉमिक जोन में गश्‍त बढ़ाई जा सकेगी। इस जोन में गैर-कानूनी तरीके से मछली पकड़ना, ड्रग ट्रैफिकिंग और पाइरेसी जैसे अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है।

माना जा रहा है कि लोगों और विपक्ष के दबाव में सेशेल्स सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad