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नौकरी की आस में पाकिस्तानी छात्रों को चीनी भाषा ने क्रेजी किया रे

चाइना पाक-इकॉनमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट की पहुंच अब पाकिस्तान के आर्थिक विभागों के साथ शैक्षणिक संस्थानों में भी देखी जा रहा है। इसका अंदाजा पाकिस्तानी छात्रों की चीनी भाषा सीखने की इच्छा और मांग को लेकर लगाया जा सकता है। पाकिस्तानी छात्रों ने दोनों देशों में नौकरी के अवसरों को लेकर चीनी भाषा सीखने की इच्छा जताई है।
नौकरी की आस में पाकिस्तानी छात्रों को चीनी भाषा ने क्रेजी किया रे

न्यूज एजेंसी डॉन के अनुसार, कन्फ्यूशियस संस्थान जिसे अब इस्लामाबाद के नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ मॉडर्न लैंग्वेज (एनयूएमएल) में चीनी भाषा विभाग के रूप में जाना जाता है। जो छात्रों के बीच सक्रिय रूप से चीनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। साल 1970 एक ऐसा समय जब कुल 13 बच्चे चीनी भाषा सीखने वाले थे और आज यह विभाग (एनयूएमएल) हजारों की संख्या में छात्रों को मंदारिन भाषा की बारीकियों को प्रदान कर रहा है।

डॉन ने इंस्टीट्यूट के एक लेक्चरर झांग दाओजियन का हवाला देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पाकिस्तान और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाना है। इस वर्ष करीब 460 छात्रों ने इस इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया, जिसमें सुबह की शिफ्ट में 300 और शाम की शिफ्ट में 160 छात्र शामिल हैं। कन्फ्यूशियस संस्थान कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है, जिनमें एक ‘चीनी लालटेन उत्सव’ और 'बंदर वर्ष' शामिल है।

लेक्चरर झांग दाओजियन ने दावा किया कि पाकिस्तानी छात्र बहुत तेज हैं और थोड़े समय में मंदारिन सीखते हैं। अधिकांश छात्रों को विश्वास है कि चीनी भाषा उन्हें पाकिस्तान और चीन दोनों जगह अधिक रोजगार के अवसर दे सकता है। दिन पर दिन चीनी भाषा सीखने वालों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में अधिक कन्फ्यूशियस संस्थान खोले गए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में इन संस्थाओं का परिचालन न सिर्फ छात्रों की मांग है बल्कि यह उनकी रुचि का भी परिणाम है।

इस समय पाकिस्तान की चारों संस्थाओं इस्लामाबाद (एनयूएमएल), फैसलाबाद (कृषि विश्वविद्यालय), लाहौर (पंजाब विश्वविद्यालय) और कराची (कराची विश्वविद्यालय) में एक-एक चीनी भाषा विभाग है। गिलगित में भी एक अन्य संस्थान का निर्माण किया जा रहा है।

गौरतलब है कि चाइना पाक-इकॉनमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) महज ऐसा कॉरिडोर भर नहीं, इसके जरिए पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहा है। यह एक ऐसा प्रॉजेक्ट है, जो पाकिस्तान की माली हालत और सामाजिक संरचना में उथल-पुथल मचा सकता है।  चीन ने सीपीईसी प्रॉजेक्ट के लिए 62 अरब डॉलर के निवेश का निर्णय किया है। मास्टर प्लान के तहत, पाकिस्तान में हजारों एकड़ कृषि भूमि चीन की कंपनियों को लीज पर दी जाएगी। वे वहां बीज की किस्मों से लेकर सिंचाई परियोजना तक के बारे में 'डीमॉन्सट्रेशन प्रॉजेक्ट्स' बनाएंगी। सीपीईसी के जरिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के अधिकतर सेक्टरों और वहां के समाज में चीनी कंपनियों और चीनी संस्कृति की बड़े पैमाने पर पैठ हो जाएगी। 

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