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वेनेजुएला में फिर मादुरो, विपक्ष ने लगाए धांधली के आरोप

चुनाव में धांधली के आरोपों के बीच निकोलस मादुरो फिर से वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। सोमवार को...
वेनेजुएला में फिर मादुरो, विपक्ष ने लगाए धांधली के आरोप

चुनाव में धांधली के आरोपों के बीच निकोलस मादुरो फिर से वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। सोमवार को उन्हें चुनाव में विजयी घोषित किया गया। हालांकि उनके प्रतिद्वंद्वियों ने नतीजे आने से पहले ही इस चुनाव को खारिज कर दिया था। विरोधियों ने नतीजे को पहले से तय बताते हुए इस साल के अंत में फिर से चुनाव कराने की मांग की है।

आर्थिक संकट में घिरे वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान 46 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे। राष्ट्रीय चुनाव परिषद के प्रमुख टी. लुसेना ने बताया कि 90 फीसदी से ज्यादा वोटों की गिनती हो चुकी है और मादुरो को 67.7 फीसदी मत मिले हैं। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी हेनरी फाल्कन को 21.2 फीसदी मत मिले हैं। राष्ट्रपति के छह साल के कार्यकाल के लिए पहले दिसंबर में ही चुनाव होना था। बाद में 22 अप्रैल की तारीख तय की गई और फिर मई में चुनाव का फैसला किया गया।

इस जीत ने मादुरो के 2025 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ कर दिया है। 2013 में ह्यूगो शावेज की मौत के बाद मादुरो ने वेनेजुएला की कमान संभाली थी। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी हेनरी फाल्कन ने नतीजे घोषित होने से पहले कहा था,“हम इस चुनाव को वैध नहीं मानते। हम नए सिरे से चुनाव चाहते हैं।” वहीं नतीजों के बाद समर्थकों को संबोधित करते हुए मादुरो ने इसे ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि इससे पहले कभी राष्ट्रपति उम्मीदवार को 68 फीसदी वोट नहीं मिले थे।

इससे पहले, राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी ने मादुरो को चुनौती देने वाले दो उम्मीदवारों से अनुरोध किया था कि वे नतीजों को खारिज कर दें, क्योंकि चुनाव एक धोखा है। फ्रेंटे एम्पलीओ पार्टी के विक्टर मार्केज ने कहा था कि हम चाहते हैं कि उम्मीदवार नतीजों को स्वीकार नहीं करें क्योंकि परिणाम पहले से ही तय हैं। विपक्षी सांसद जुआन एंड्रेस मेजिया ने पूर्व गर्वनर फाल्कन और जेवरियर बर्टुची से मुलाकात की और स्वतंत्र तथा लोकतांत्रिक चुनाव कराने की विपक्षी मांग का समर्थन करने का अनुरोध किया। ये दोनों व्यक्ति विवादित चुनाव में मादुरो के खिलाफ मैदान में हैं।

फ्रेंटे एम्पलीओ ने दावा किया था कि सरकार ने मतदान का आधिकारिक समय खत्म होने के बाद भी कई मतदान केंद्रों को खुले रहने का आदेश दिया, क्योंकि मतदान 30 फीसदी से भी कम हुआ था। मार्केज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सरकार की मंशा ऐसे आंकड़े पेश करने की है जिनका असलियत से कोई नाता नहीं है।

अमेरिका, यूरोपीय संघ और वेनेजुएला के कई लातिन अमेरिकी पड़ाेसियों ने कहा है कि वे चुनाव परिणामों को मान्यता नहीं देंगे, क्योंकि उन्हें नहीं लगता है कि ऐसी स्थिति में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव हो सकता है।

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