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नेपाल के ऐतिहासिक चुनावों के बाद क्यों चर्चा में हैं रेशम चौधरी?

संविधान लागू होने के बाद नेपाल में पहली बार हुए ऐतिहासिक चुनावों में वाम गठबंधन ने एकतरफा  जीत हासिल...
नेपाल के ऐतिहासिक चुनावों के बाद क्यों चर्चा में हैं रेशम चौधरी?

संविधान लागू होने के बाद नेपाल में पहली बार हुए ऐतिहासिक चुनावों में वाम गठबंधन ने एकतरफा  जीत हासिल की है। वाम दलों ने महीने के अंत तक नई सरकार का गठन करने की बात कही है। लेकिन, संसदीय चुनावों के नतीजे आने के बाद से रेशम चौधरी का नाम अचानक से चर्चा में आ गया है।

चौधरी ने पश्चिमी नेपाल के कैलाली से संसदीय चुनाव जीता है। उन्हें कुल 34, 341 वोट मिले हैं, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को महज 13,406 वोट मिले हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि चौधरी ने एक दिन भी प्रचार किए बिना इतनी बड़ी जीत हासिल की है। असल में चौधरी 2015 के कैलाली हत्याकांड के मुख्य आरोपी हैं और घटना के बाद से फरार हैं।

2015 में संविधान में उपेक्षा से नाराज मधेसी और अन्य जातीय समूहों का जब आंदोलन चल रहा था तो कैलाली में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें आठ पुलिसकर्मी और एक बच्चे की मौत हो गई थी। चौधरी को पुलिस इस हिंसा का मास्टरमाइंड मानती हैं। पुलिस प्रवक्ता मनोज नुपाने ने बताया कि चौधरी हमारी वांछित सूची में हैं। संसद के लिए चुने जाने के बावजूद यदि वे पुलिस के हाथ लगे तो उनकी गिरफ्तारी तय है।

हालांकि चौधरी का कहना है कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। लेकिन, संसदीय समिति ने भी अपनी जांच में पाया था कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी। ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट भी बताती है कि कुछ लोग प्रदर्शन में ‌हिंसा भड़काने के इरादे से शामिल हुए थे। कई महीनों तक चले संविधान विरोधी आंदोलन में करीब 50 लोगों की मौत हुई थी। बाद में इस आंदोलन से जुड़े कई लोगों ने राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया था।

चौधरी भी इनमें से एक हैं। राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले चौधरी प्रचार के दौरान कभी भी सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए। स्‍थानीय मीडिया के अनुसार उन्होंने अपने भाषणों का ऑडियो और वीडियो जारी किया था। इसे उनके समर्थक लैपटॉप के माध्यम से सभाओं में लोगों को सुनाया करते थे। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब नेपाल की संसद में कोई भगोड़ा चुनकर पहुंचा है। 2013 में संजय साह भी संसद के लिए चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 2012 में ह‌ुए बम धमाके में पुलिस को उनकी तलाश थी। सांसद बनने के कुछ दिनों बाद वे गिरफ्तार कर लिए गए और अभी भी जेल में हैं।

नेपाल में संसद की 165 सीटों के लिए फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम के तहत हुए चुनाव में वाम गठबंधन को 117  और सत्तधारी नेपाली कांग्रेस को केवल 21 सीटों पर सफलता मिली है। आनुपातिक प्रणाली के तहत संसद के 110 सदस्यों का चुनाव इस सप्ताह के अंत तक होने की उम्मीद है। सीपीएन-यूएमएल के नेता केपी ओली के इस महीने के अंत तक प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने की उम्मीद है। 

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