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देशभक्ति के अपने ही पैमानों पर मात खाते भाजपाई

अति राष्ट्रवादी राजनीति के उभार के साथ-साथ देशभक्ति के नए-नए पैमाने सामने आ रहे हैं। असहमति पर...
देशभक्ति के अपने ही पैमानों पर मात खाते भाजपाई

अति राष्ट्रवादी राजनीति के उभार के साथ-साथ देशभक्ति के नए-नए पैमाने सामने आ रहे हैं। असहमति पर एंटी-नेशनल होने का ठप्पा लगा देना आम हो गया है। ऐसा लगता है मानो दुनिया “भक्त” और “एंटी-नेशनल” इन खेमों में बंट गई है। आप इधर के हैं या उधर के, बीच का कोई रास्ता नहीं है। किसी को भी देशभक्ति की अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ सकता है। लेकिन ऐसा करने वाले कई बार अपने ही जाल में उलझ भी जाते हैं। हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं हुईं जब देशभक्ति की अपनी ही कसौटियों पर भाजपा के नेता नाकाम नजर आए।

देशभक्ति की अपनी ही राजनीति में भाजपा नेता कैसे उलझ रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण मॉरीशस में देखने को मिला। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मॉरीशस में थे। अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी उनके साथ थे। इन दोनों की मौजूदगी में उलटे टंगे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की तस्वीरें समाने आई हैं। मॉरीशस में अप्रवासी धाट पर जब सीएम योगी और गिरिराज सिंह आगंतुक पुस्तिका में एंट्री कर रहे थे, तब सामने मेज पर तिरंगा उल्टा लगा था। दोनों प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं का ध्यान इस पर नहीं गया। कोई बड़ी बात नहीं है। ध्यान नहीं गया होगा। लेकिन आज के माहौल में यह बड़ी बात है। तिरंगे के अपमान का मुद्दा तुरंत तूल पकड़ गया। देशभक्ति सवाल के घेरे में आ गई। 

तिरंगे की ये तस्वीरें खुद सीएम योगी और गिरिराज सिंह के ट्वीटर एकाउंट से जारी हुई थीं। कई लोगों ने इस ओर ध्यान दिलाया और तस्वीरों को उल्टा करके शेयर करने लगे। ताकि तिरंगा सीधा हो जाए। बाद में इस चूक के लिए कार्यक्रम के आयोजकों और मॉरिशस के संस्कृति मंत्रालय ने माफी मांगी। लेकिन ट्वीटर पर राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मुद्दा खूब उछाला। क्योंकि अब तक खुद योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय ध्वज, 'वंदे मातरम' सरीखे मुद्दों पर खूब मुखर रहे हैं। योगी सरकार ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर राज्य के सभी मदरसों में तिरंगा फहराने और राष्ट्र गान बजाने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं इसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने के लिए भी कहा गया था। 

हाल में 'वंदे मातरम' को लेकर भी भाजपा की खूब किरकिरी हुई। एक टीवी बहस के दौरान भाजपा के प्रवक्ता देशभक्ति के इम्तिहान में फेल हो गए। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब घूम रहा है। भाजपा के प्रवक्ता नवीन कुमार सिंह टीवी शो के दौरान 'वंदे मातरम' गाने की चुनौती को जिस अनमने ढंग से स्वीकार करते हैं और फिर जिस अंदाज में गाते हैं, उसका खूब मजाक बन रहा है। जबकि इसी बहस में नवीन कुमार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एजाज अरशद कासमी को 'वंदे मातरम' गाने की चुनौती दे रहे थे। इसके बाद एंकर के जोर देने पर नवीन कुमार ने जिस अंदाज में 'वंदे मातरम' गाया, वह हास्यास्पद है। ऐसा करने के लिए भी उन्हें मोबाइल पर पढ़ने की जरूरत पड़ी। जाहिर है, भाजपा के नेता जिन राष्ट्रीय प्रतीकों की राजनीति कर रहे हैं, उन्हें लेकर खुद बहुत सजग नहीं हैं। इस अखाड़े में उतरने से पहले कम से कम घर पर थोड़ी प्रैक्टिस कर लेनी चाहिए।  

 

'वंदे मातरम' के टेस्ट में भाजपा नेताओं के फेल होने का यह पहला मौका नहीं है। यूपी के मंत्री बलदेव सिंह औलख के पसीने भी 'वंदे मातरम' गाने में छूट चुके हैं। उनकी काफी फजीहत भी हुई। जबकि राष्ट्र गीत गाना ही देशभक्ति का एकमात्र प्रमाण नहीं है। बहुत से लोग राष्ट्र गीत याद रखे बगैर भी देशभक्त हो सकते हैं। लेकिन जब 'वंदे मातरम' की बहस टीवी स्टूडियो तक पहुंच ही चुकी है, तब देशभक्ति की ऐसी कसौटियों से कैसे बचा जा सकता है। 'वंदे मातरम' थोपने की राजनीति को जिस तरीके से न्यूज चैनलों ने देशभक्ति के टेस्ट में तब्दील कर दिया है, वह भी कम खतरनाक नहीं है। दरअसल, वंदे मातरम थोपने की राजनीति को ये चैनल एक कदम आगे ले जा रहे हैं। बेहतर होता अगर ये चैनल 'वंदे मातरम' गवाने की प्रतियोगिता के बजाय इसे थोपे जाने को ही गलत ठहराते। 

भाजपा और संघ के नेता मदरसों में 'वंदे मातरम' गवाने की पैरवी करते रहे हैं। इसी तरह के आग्रह के चलते सिनेमा हाल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्र गान बजाना और इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य किया गया। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नोटबंदी की सालगिरह का जश्न 50 हजार लोगों से राष्ट्र गीत व राष्ट्र गान गवाकर मानने का फैसला किया है। इससे पहले जयपुर के महापौर अशोक लाहोटी ने नगर निगम में राष्ट्रगान के साथ कामकाज की शुरुआत करने और शाम को राष्ट्रगीत से कामकाज का समापन करने का आदेश जारी कर दिया था। लाहोटी का कहना है, "जो राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत नहीं गा सकते, वो पाकिस्तान चले जाएं!" लेकिन सवाल है 'वंदे मातरम' की चार लाइनें ठीक से नहीं गा पाने वाले भाजपा के प्रवक्ता कहां जाएंगे?

जाहिर है अति राष्ट्रवाद का खेल खुद भाजपा नेताओं के गले की फांस बनता जा रहा है। बीच बहस में लोगों उन्हें 'वंदे मातरम' गाकर सुनाने की चुनौती दे रहे हैं। इसका अगला पड़ाव ये हो सकता है कि कोई राह चलते आप से राष्ट्र गीत या राष्ट्र गान सुनाने को कहे और देशभक्ति का प्रमाण-पत्र थमा जाए। जाहिर है, यह राह बड़ी रपटीली है! 

 

 

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