Advertisement

चीन-पाक गठजोड़ भारत के लिए खतरनाक

भारत कुछ समय से विश्व के नेताओं को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश कर रहा है और काफी हद तक वह इसमें सफल भी रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ मीटिंग के दौरान जिस तरह से आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व के नेताओं को एकजुट करके उनसे एक साथ मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने का आश्वासन मिला वह काबिले तारीफ है।
चीन-पाक गठजोड़ भारत के लिए खतरनाक

वहीं कुछ देशों के नेता अब भी अपने स्वार्थ के लिए आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं। जिसका जीता जागता सबूत पाकिस्तान है और अब एक और ताजा मामला हमें यूएन की बैठक में देखने को मिला है। जब भारत जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर बैन लगाने की कोशिश कर रहा था तो चीन ने इस आतंकवादी पर बैन लगाने के विरूद्ध वोट करके भारत की उम्मीदों को नाकाम कर दिया। 
भारत पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर पर बैन लगाने की मांग कर रहा था और उसी के तहत यूएन में न्यूक्लियर सिक्युरिटी समिट के दौरान भारत की तरफ से यह विधेयक पेश किया गया था। इस विधेयक के पक्ष में 15 देशों में से 14 देशों ने इसका समर्थन किया था। बैन के पक्ष में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश थे। सिर्फ चीन ने इसके विरोध में वीटो कर दिया। यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन ने पाकिस्तान की वजह से ऐसा किया। पाकिस्तान इस कमेटी का मेंबर नहीं है। लिहाजा, चीन ने फैसले के खिलाफ वीटो कर इसे रुकवा दिया। इससे पहले भारत ने यूएन कमेटी से कहा था कि अजहर को बैन न करने से भारत और साउथ एशिया के दूसरे देशों पर खतरा मंडराता रहेगा। 
एक ओर तो पाकिस्तान और चीन आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की बात करते हैं और दूसरी तरफ वह आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं। इन दोनों देशों की इस नीति के कारण आतंकवाद पर लगाम लगाने में मुशकिलें सामने आ रही हैं। भारत का तो शुरू से ही मानना है कि आतंकवाद का न तो कोई धर्म होता है और न कोई जाति होती है जो आतंक फैलाता है वह आतंकवादी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगाह किया कि अगर संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद जैसी नए युग की घातक चुनौती का समाधान नहीं किया तो वैश्विक संस्था के अप्रासंगिक होने में देर नहीं लगेगी। उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद नए युग की चुनौती है और उसको आंकने में भी विश्व का इतना बड़ा संगठन अपना दायित्व नहीं निभा पा रहा है। भारत ने सालों से संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि आप एक प्रस्ताव पारित कीजिए और उसमें परिभाषित कीजिए कि कौन आतंकवादी है, कौन आतंकवादी देश है कौन आतंकवादियों की मदद करते हैं और कौन आतंकवादियों का समर्थन करते हैं और वह कौन सी बातें है जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। इन सब बातों पर संयुक्त राष्ट्र संघ को गौर करना जरूरी है।
भारत अपनी ओर से आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। अभी हाल ही में पठानकोट में हुए आतंकी हमले को पाकिस्तान ने अंजाम दिया था। इसी बात को सही साबित करने के लिए भारत ने पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों की टीम को भारत आने की इजाजत दी। पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों ने पठानकोट का दौरा किया। जिस स्थान पर आतंकवादियों ने हमला किया था पाकिस्तान के अधिकारी उस स्थान पर भी गये और भारत ने उन्हें आतंकवादियों के सबूत और तथ्यों की जानकारी दी। पाकिस्तान के अधिकारियों ने यहां आकर कई लोगों और भारतीय सुरक्षा अधिकारियों से भी बातचीत की ताकि आतंकवादियों की तह तक पहुंचा जा सके और सही जानकारी सब लोगों के सामने आए।
पाकिस्तान ने औपचारिक तौर पर माना है कि पठानकोट आतंकी हमला उसकी जमीन से संचालित हुआ और उसे अंजाम देने वाले आतंकवादी उनके ही नागरिक थे। इस जांच के लिए आई पाकिस्तान की संयुक्त जांच दल (जेआईटी) और नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के साझा किए गए सबूतों पर दिन भर बातचीत हुई। इस दौरान जेआईटी ने पंजाब पुलिस के एसएसपी सलविंदर सिंह और उसके दो साथियों समेत 13 गवाहों के बयान दर्ज किए। यह सभी सबूत और बयान पाकिस्तान की सीआरपीसी की धारा 188 के तहत वहां की अदालत में मान्य होगा। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से की गई जांच और भारत के दिए गए सबूत एक दूसरे के कई मायने में मिल रहे हैं। लिहाजा पाकिस्तान तकनीकी तौर पर भारत के सबूतों को ठुकरा नहीं पाएगा।
पर क्या पाकिस्तान आने वाले समय में भारत के अधिकारियों को पाकिस्तान में रह रहे कुख्यात आतंकवादियों से पूछताछ करने की इजाजत देगा ? क्योंकि यह वही आतंकवादी है जिन्होंने भारत में आतंकी हमले करवाये हैं या उन हमलों में इनकी प्रमुख भूमिका भी रही है। भारत में 1999 में हुए विमान अपहरण के मामले में पाकिस्तान के कुख्यात आतंकी अब भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं और पाकिस्तान ने इन आतंकवादियों को अपने देश में पनाह दे रही है। इसके अलावा 2008 के मुम्बई हमले का मास्टरमांइड भी पाकिस्तान में है। क्या पाकिस्तान भारत को इन आतंकवादियों से सवाल पूछने की इजाजत देगा ? यह तो आने वाला ही समय बताएगा जिस पर पूरे देश और दुनियां की नजरें टिकी रहेंगी। 
चन्दर एम शर्मा ने चीन के बारे में अपने ब्लाग में सही बातें रेखांकित की है। उनके अनुसार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीनी सैनिकों की उपस्थिति भारत के लिए खतरे की घंटी है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टस के अनुसार नौगाम सेक्टर के दूसरी तरफ पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में चीनी सैनिकों को देखा गया। पाकिस्तानी सेना के अफसरों की बातचीत भी रिकॉर्ड हुई है और इससे पता चलता है कि चीनी सेना लोप घाटी में कुछ सुरगों का निर्माण कर रही है। चीन की एक हाइड्रो कंपनी भारत की सीमा के साथ लगते पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में झेलम नदी पर 970 मेगावट परियोजना का निर्माण भी कर रही है। इस जल-विद्युत परियोजना का निर्माण भारत की किशनगंगा परियोजना के जबाव में किया जा रहा है। 
पाक अधिकृत कश्मीर में चीनी सैनिकों की उपस्थिति नई घटना नहीं है। पिछले कई सालों से चीन पाक अधिकृत कश्मीर में गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र में अपनी सामरिक जरुरतों के लिए कई परियोजनाएं चला रहा है और इन सभी में चीनी सैनिकों को इस्तेमाल किया जा रहा है। गिलगिट-बाल्टिस्तान विवादित क्षेत्र है और भारत इस पर अपना दावा जताता है। सबसे अधिक चिंताजनक बात पाकिस्तान और चीन के बीच बढता सैन्य एवं आर्थिक सहयोग है। पाकिस्तान और चीन मिलकर 46 अरब डॉलर की लागत से इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहे हैं। यह कॉरिडोर चीन के झिजियांग प्रांत को काराकोरम हाईवे के जरिए पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह से जोडेगा। पाकिस्तान के ग्वादर में चीन ने बंदरगाह बना रखी है। काराकोरम हाईवे भारतीय उपमहाद्धीप और एशिया के बीच सेतु का काम करता है। ईसिस हाइवे के कारण भारत, पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और तजाकिस्तान एक-दूसरे से 250 किमी के दायरे में आ जाते हैं। 1300 किमी लंबा काराकोरम हाईवे गिलगिट-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान से जोडने का एकमात्र आल-वैदर मार्ग है। यह हाईवे चीन के साथ-साथ पाकिस्तान के लिए भी सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। 
इकोनॉमिक कॉरिडोर से पाकिस्तान और चीन दोनों को फायदा हो रहा है। इस हाईवे के खुलने से भारत, चीन और पाकिस्तान दोनों की रडार पर आ गया है। चीन पाकिस्तान की मदद से भारत को घेरने के लिए हर विकल्प को आजमा रहा है। चीन एक ओर भारत से दोस्ती का हाथ बढाता है, तो दूसरी ओर उसके सैनिक सीमा पर लगाताार घुसपैठ करते रहते हैं। भारत और चीन मे बीच लगभग चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। 1962 में भारत पर अचानक हमला करके चीन ने भारत का काफी बडा क्षेत्र हथिया लिया था। पाकिस्तान से दोस्ती करके चीन भारत के सबसे बडे दुश्मन को अपने साथ मिला लिया है। अब समय आ गया है कि भारत को चीन और पाकिस्तान की पैंतरेबाजी से सावधान रहना होगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad