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कश्मीर के विकास में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका

जम्मू कश्मीर में बुनियादी ढांचा विकसित करने में सेना का महत्वपूर्ण योगदान है। सेना लगातार राज्य को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाने के लिए प्रयत्नशील है। उग्रवाद से प्रभावित लोगों की स्थिति सुधारने के लिए चलाए गए आपरेशन सद्भावना के तहत सेना, लोगों को आत्मनिर्भर बनने और जिंदगी को नए सिरे से जीने के आत्मविश्वास से लबरेज़ बनने में मदद दे रही है।
कश्मीर के विकास में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका

अभी हाल ही में भारतीय सेना के सुपर 30 कोचिंग प्रोग्राम की मदद से घाटी के 15 छात्रों ने जेईई मेंस एग्जाम पास करने में सफलता हासिल की है। 15 कामयाब छात्रों में से 11 छात्र अब आईआईटी एडवांस परीक्षा के भी पात्र हैं। कश्मीर के बारामूला में स्थित डागर डिविजन द्वारा संचालित सुपर 30 प्रोग्राम के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर के 30 चुने गए छात्रों को इंजीनियरिंग कोर्सेंस के जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम के लिए 11 महीनों तक फ्री कोचिंग दी जाती है। वहीं सभी 15 छात्र देश के अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला ले सकते हैं। सेना अपने ट्रेनिंग पार्टनर ‘सेंटर फॉर सोशल रिसपॉन्सबिलिटी एंड लीडरशिप’ (सी.एस.आर.एल.) के सहयोग से राज्य स्तरीय परीक्षा करवाती है। इसी के आधार पर सुपर 30 में दाखिला लेने वाले छात्रों का चयन किया जाता है। कहते हैं कि जहां चाह है वहां राह है। इस कहावत को इन बच्चों ने चरितार्थ कर दिया है।

जीओसी बारामुला डिविजन के मेजर जनरल जेएस नैन ने राष्ट्रीय स्तर प्रतिष्ठित परीक्षा में कड़ी मेहनत करने और सफलता पाने के लिए छात्रों की सराहना की। मेजर जनरल नैन ने कश्मीर के नौजवानों से चिनार कोर के जरिए उचित योग्यता का विकास करने की अपील की। जिससे नौकरी के अवसर बढ़ सकें। उन्होंने जनता को भरोसा दिया कि चिनार कोर सुपर 30 प्रोग्राम को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस साल घाटी के और भी योग्य युवाओं को इसका लाभ पहुंचाया जाएगा। 

जम्मू-कश्मीर राज्य के 15 छात्रों ने आईआईटी-जेईई मेंस एग्जाम में सफलता प्राप्त करके अपने सपनों को साकार किया है। जब छात्रों से उनकी सफलता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सबसे पहले भगवान का शुक्रिया अदा किया और उसके बाद उन्होंने भारतीय सेना को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय सेना हम लोगों की मदद नहीं करती तो हम इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकते थे। 

इसके अलावा सेना द्वारा यहां के बच्चों को देश के अन्य शहरों में भ्रमण कराया जाता है। ताकि वे बच्चे वहां की तरक्की देखकर यह जान सके कि आतंकवाद ने उन्हें कितना पीछे कर दिया है और आतंकवाद के कारण उनके राज्य का विकास कितना पीछे चल रहा है। इनमें से अधिकतर बच्चे पहली बार न सिर्फ अपने गांव से बाहर निकलते है, बल्कि उन्हें किसी महानगर को पहली बार देखने का मौका और नये नये संसाधन देखने को मिलते है और यह देखकर इन बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। 

सेना द्वारा आपरेशन सद्भावना के तहत शिक्षा, महिलाओं और युवा सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान दिया जाता है। सेना के इस प्रयास के तहत कई गुडविल स्कूल चल रहे हैं, जिनमें कई हजार छात्रों को शिक्षा दी जा चुकी है। दूरदराज के जिन इलाकों में सरकारी एजेंसियों का पहुंचना कठिन होता है, वहां सेना द्वारा सुविधाओं को उपलब्ध कराने पर विशेष ज़ोर दिया जाता है। इन सब कार्यों में स्थानीय लोगों से सलाह ली जाती है क्योंकि उनका उद्देश्य लोगों के रहन-सहन का स्तर ऊंचा उठाना होता है। सेना ने इधर से उधर आवाजाही के लिए कई पुलों का भी निर्माण किया है। 

राज्य में बुनियादी ढांचा विकसित करने में सेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यहां पर सेना द्वारा चलाए जा रहे आपरेशन सद्भावना के कार्यों की जितनी भी प्रसंशा की जाए कम होगी। क्योंकि सेना ने न केवल यहां पर आतंकवाद का मुकाबला किया बल्कि यहां के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और उनका और उनके बच्चों का हौसला बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाती आ रही है। अब सेना की कोशिश और बच्चों की मेहनत रंग ला रही है और यह बच्चे अब आईआईटी जेईई परीक्षा में भी अपने राज्य का नाम रौशन कर रहे हैं। - (अडनी)

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