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श्रीकांत तिवारी का जादू: मनोज बाजपेयी पर अपर्णा पुरोहित का नजरिया

“कमतर व्यक्ति मत बनो!” इस सलाह ने श्रीकांत तिवारी को दूसरों से अलग बना दिया। कुछ कहानियां विचार के...
श्रीकांत तिवारी का जादू: मनोज बाजपेयी पर अपर्णा पुरोहित का नजरिया

“कमतर व्यक्ति मत बनो!” इस सलाह ने श्रीकांत तिवारी को दूसरों से अलग बना दिया। कुछ कहानियां विचार के स्तर पर बहुत दिलचस्प होती हैं, कागज पर उतरने के बाद वे और जानदार हो जाती हैं। लेकिन जब उन शब्दों को जीवंत करने लिए सही अभिनेता को चुना जाता है, तब वे और ऊंचाई को छूने लगते हैं। मनोज बाजपेयी ने श्रीकांत तिवारी के किरदार के साथ यही किया। उन्होंने इसमें जान फूंक दी। तिवारी के किरदार में बाजपेयी ने भावनाओं, जुनून और संवेदनाओं को बहुत बेहतर तरीके से उभारा। इस किरदार को उन्होंने ऐसा बना दिया जैसे वह आपका पड़ोसी हो और आपको कभी पता ही न चला हो कि वह एक जासूस है।

द फैमिली मैन के पहले सीजन में मैं और इसे लिखने वाले राज और डीके की जोड़ी के लिए सबसे मजेदार बात बाजपेयी के हास्य पुट को तलाशना था। अब तक उन्होंने गंभीर और गुस्सैल पात्रों की ही भूमिका निभाई थी, इसलिए सबसे बड़ी चुनौती उनकी कॉमिक टाइमिंग और गहन एक्शन दोनों को साथ लाने की थी। यह एक मौका भी था। हमेशा की तरह, मनोज ने अपनी शानदार प्रतिभा के साथ हास्य और असाधारण टाइमिंग को साथ मिलाकर जैसे श्रीकांत तिवारी की आत्मा रच दी हो।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता, बाजपेयी में हर चरित्र की तह तक पहुंचने की क्षमता है। वे वाकई हर भूमिका के लिए अपने आप को शारीरिक रूप से तैयार करते हैं। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच सामंजस्य बिठाने में श्रीकांत की निरंतर लड़ाई को उन्होंने बड़ी संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया है। बाहर से एकदम शांत, लेकिन भीतर खदबदाता तनाव। सब कुछ जैसे अंदर कैद हो, किसी भी तरह की बाहरी अभिव्यक्ति नहीं। बारीकी से देखें, तो हल्के से नीचे की ओर झुके होंठ सब कह देते हैं। श्रीकांत के रूप में बाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि वे जासूस को मानवीय रूप देने में सफल रहे। उन्होंने चरित्र की प्रचंडता और चतुराई के बीच बढ़िया संतुलन बनाया है।

क्या है, जो श्रीकांत तिवारी को एक कल्ट आइकन और द फैमिली मैन को 2021 के सबसे चर्चित शो बनाता है? यह सब कहानी से शुरू होता है। लेखकों ने विश्वस्तरीय जासूस के बारे में मनोरंजक कहानी तैयार की, जो मध्यम वर्ग का साधारण आदमी है। वह हममें से अधिकांश की तरह काम और जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। एक ओर उसे एक बड़े हमले को नाकाम करना है, तो दूसरी ओर उसे अपनी डांवाडोल शादी बचानी है। साथ में बच्चों पर पड़ने वाले उसके भावनात्मक असर से भी निपटना है। इन अंतर्विरोधों और बहुस्तरीय कथा ने द फैमिली मैन को ऐसा शो बना दिया, जिसे न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में पसंद किया जा रहा है। बाजपेयी चरित्र में एक भावनात्मक वजन लाते हैं, बने बनाए ढांचे को तोड़ते हैं जिस कारण श्रीकांत एक कल्ट आइकन बन सका।

हम आज जो देख रहे हैं, वह भारत में रचनात्मक पुनर्जागरण जैसा कुछ नहीं है। अपनी मिट्टी में रची-बसी प्रामाणिक और दमदार कहानियों की मांग खत्म होने लगी थी, जबकि ऐसी कहानियां ऑनलाइन और ऑफलाइन सांस्कृतिक वार्तालाप को शुरू करती हैं। लेकिन अब रचनाकारों और दर्शकों, दोनों का जायका बदला है। अब यह केवल मनोरंजन नहीं रह गया, बल्कि लोकप्रिय संस्कृति बन गया है।

प्राइम वीडियो में हम पारंपरिक ढांचे को तोड़ने और ऐसा कंटेंट बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो किरदारों के साथ उम्र और भाषा की सभी बाधाओं को पार कर दर्शकों के साथ समझ बना सके। द फैमिली मैन में हमने पूरी तरह से नए जॉनर के साथ प्रयोग करने की कोशिश की। इसमें पारिवारिक ड्रामा, हास्य और जासूसी का रोमांच सब कुछ है। इसमें जोखिम था, लेकिन मुझे खुशी है कि हमें इसके अच्छे नतीजे मिले। श्रीकांत तिवारी, कालीन भैया या तारा खन्ना जैसे पात्रों को काफी प्रशंसा मिली। ये पात्र पूरे माहौल में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आए हैं। भारतीय दर्शक अब स्टार पावर और फॉर्मूलाबद्ध तरीके के बजाय कहानियों और परफॉर्मेंस को देखना पसंद कर रहे हैं।

इसने विक्रांत मैसी और अली फजल (मिर्जापुर), सिद्धांत चतुर्वेदी (इनसाइड एज), जयदीप अहलावत (पाताल लोक), अभिषेक बच्चन (ब्रीद इनटू द शैडो) और सामंथा अक्किनेनी (द फैमिली मैन) जैसे अभिनेताओं को नई-नई शैलियों के साथ प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है। मुझे याद है, बाजपेयी ने मुझे बताया था कि द फैमिली मैन के लॉन्च के बाद एयरपोर्ट पर न केवल युवा, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों ने भी उन्हें जिस तरह घेर लिया था, वह हैरान करने वाला था। 25 साल के करिअर में उन्हें पहले कभी इस तरह का अनुभव नहीं हुआ था। यही तो एक सशक्त कहानी का जादू है।

अपर्णा पुरोहित

(लेखिका भारत में अमेजन प्राइम वीडियो की ‘इंडिया ओरिजनल्स’ प्रमुख हैं, यहां व्यक्त विचार निजी हैं)

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