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नज़रिया

‘मोदी के पूर्ववर्तियों ने जिहादी हमलों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया’

‘मोदी के पूर्ववर्तियों ने जिहादी हमलों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया’

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर पेंग्विन रैंडम हाउस से आई नई किताब 'डिफीट इज एन ऑर्फन : हाउ पाकिस्तान लॉस्ट द ग्रेट साउथएशियन वार' में कहा गया है कि अगर भारत को नियंत्रण रेखा के पार हमलों के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन है तो वह इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की ओर से जिहादियों के हमले को भारत ने 1998 से बेहद सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया हुआ है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के पूर्ववर्तियों का धन्यवाद है।
विमुद्रीकरण और अप्रवासी भारतीय

विमुद्रीकरण और अप्रवासी भारतीय

भारत में विमुद्रीकरण के करीब तीन माह पश्चात जिसमें कि 86 % चलित मुद्रा को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उस संदर्भ में अप्रवासी भारतीयों के लिए दिशानिर्देशों की घोषणा की गई, यद्यपि अधिकतर अप्रवासी भारतीय इससे अप्रभावित रहे क्योंकि वे भारतीय मुद्रा से व्यवहार नहीं करते परंतु उनके सगे-संबंधी भारत में इससे अवश्य प्रभावित रहे, लेकिन फिर भी अप्रवासी भारतीयों ने इस विमुद्रीकरण का स्वागत किया परंतु वे चाहते थे कि भारत सरकार ऐसा विचार अमल में लाए जो विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय विदेशों में मौजूद अपने दूतावास में जाकर भारतीय मुद्रा को जमा अथवा बदलवा सके।
कांग्रेस क्या सचमुच अंतिम सांसें गिन रही है?

कांग्रेस क्या सचमुच अंतिम सांसें गिन रही है?

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जिताने का पूरा दारोमदार उठाए घूम रहे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतदाताओं से कह रहे हैं कि कांग्रेस अपनी अंतिम सांसें गिन रही है, अब वह इतिहास की चीज़ हो गई है और इस डूबते जहाज को अपना समर्थन देकर वोट खराब करने की ज़रूरत नहीं है।
शास्त्री जी की मृत्यु का विवाद खत्म हो

शास्त्री जी की मृत्यु का विवाद खत्म हो

पंडित जवाहरलाल नेहरू की विरासत को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री के निधन को 51 साल हो गए हैं, पर उनके परिवार के कुछ सदस्यों को आज भी संदेह है कि उनकी मृत्यु प्राकृतिक नहीं थी। ऐसे में शास्त्री जी के परिजनों को उनके साथ गए सहयोगियों द्वारा ताशकंद समझौते के विवरणात्मक तथ्यों को एक बार अवश्य देख लेने की आवश्यकता है।
सामाजिक परिवर्तन में हमारी जिम्मेदारियों के मद्देनजर राष्ट्रीय संगोष्ठी नौ दिसंब

सामाजिक परिवर्तन में हमारी जिम्मेदारियों के मद्देनजर राष्ट्रीय संगोष्ठी नौ दिसंब

नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटैट सेंटर के गुलमोहर हॉल में सद्भावना सेवा संस्थान एवं इंटरफेथ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 9 दिसंबर, गुरुवार को किया जा रहा है। विषय है- ‘सामाजिक-धार्मिक परिदृश्य - सामाजिक परिवर्तन और जिम्मेदारियां।’
सर्जिकल हमले वक्त की जरूरत थे

सर्जिकल हमले वक्त की जरूरत थे

उरी में ब्रिगेड मुख्यालय के आतंकवादियों के हमले के 11 दिन बाद, 29 सितंबर को नियंत्रण रेखा पर सर्जिकल हमलों से निश्चित ही एक स्पष्ट संदेश गया है, ‘बस, बहुत हो चुका’।
सर्जिकल स्ट्राइक की छाया में ब्रिक्स की बैठक

सर्जिकल स्ट्राइक की छाया में ब्रिक्स की बैठक

ब्रिक्स देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका और चीन के शासनाध्यक्षों की बैठक 15 और 16 अक्टूबर को भारत के समुद्र तटीय राज्य गोवा में होने जा रही है और भारत इस बैठक की अध्यक्षता करेगा। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ब्रिक्स शासनाध्यक्षों के इस आठवें सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
जंग के बगैर करें फौजी कार्रवाई

जंग के बगैर करें फौजी कार्रवाई

हम कितनी भी कोशिश कर लें- कूटनीतिक औजार कभी पाकिस्तान के साथ काम नहीं आते। अरसे से भारत का यही अनुभव रहा है। हमारे सामने हमेशा यही स्थिति बन जाती है कि बदनाम देश को हम और कितना बदनाम करें?
राफेल: रास्ता या मुसीबत

राफेल: रास्ता या मुसीबत

पाकिस्तान की वायुसेना के उस अफसर ने कुछ साल पहले मुझसे कहा था, `सर हम चाहते हैं कि आप राफेल खरीदें। आपका (भारत का) यह कदम पाकिस्तानी एयर फोर्स के लिए बेहतर होगा... यह आपको इतना तंग करेगा, जितना हम नहीं कर पाई।’ कुछ साल पहले हल्की-फुल्के अंदाज में तर्क करते हुए पाकिस्तानी वायु सेना के एक अफसर ने जब मुझसे यह कहा तो उसकी आंखों में चमक थी।
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