Advertisement
Home नज़रिया
नज़रिया

प्रथम दृष्टि: विपक्षी एका और नेतृत्व

  “मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के राज्य चुनावों में अगर कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो...

कोटा खुदकशी: नंबर के भंवर में डूबते बच्चे

पिछले दिनों चार घंटे के भीतर कोटा में दो विद्यार्थियों की आत्महत्या ने मुझे झकझोर कर रख दिया। आखिर यह...

शराबबंदी के आर्थिक नुकसान की चिंता का तर्क अनुचित

शराब के आगोश में पूरी दुनिया है। ठंडे मुल्कों जैसे यूरोप, अमेरिका आदि में यह जिन्दगी का हिस्सा है। वहीं...

प्रथम दृष्टि: नए मीडिया का सच

  “नए, बेसब्र मीडिया की लोकप्रियता की वजह यह है कि यह कमाई का नायाब जरिया भी बन गया है। भरपूर पैसे और...

नजरिया: राष्ट्रीय कानून की जरूरत

  “आदिवासी औरतों को डायन कह कर प्रताड़ित करने और निर्वस्त्र घुमाने की घटनाएं रिपोर्ट नहीं हो...

स्मृति: होने का हल्कापन

“हमारा समय झूठ के विस्तार और आधिपत्य का है। मिलान कुन्देरा ने हमें चेताया है कि झूठ के साम्राज्य से,...

समान नागरिक संहिता: एकीकरण का तर्क ठीक नहीं

“पर्सनल लॉ में कोई भी बदलाव भारतीय समाज में और धार्मिक टकराव ही पैदा करेगा, उसे जोड़ेगा नहीं” “सभी...

हिमालयी जन की पीड़ा

  “कुदरती आपदा का हल्ला कर देश के बुनियादी ढांचे को निजी हाथों में बेचने का मास्टरप्लान विनाश की...

दिल्लीवालों को पानी से बाहर आना होगा

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली पर शासन करने के लिए चुने गए राजनीतिक दलों की तरह मानसून आता...

नजरिया: सामाजिक संरचना की समझ जरूरी

“पौराणिक कहानियों से लेकर इतिहास तक विवाहेतर संबंधों और बहुविवाह की खूब कहानियां प्रचलित...

फिर कभी न आये आपातस्थिति का काला अध्याय

25 जून, 1975 को प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई आपातस्थिति को आज 48 वर्ष हो गये हैं परन्तु...

प्रथम दृष्टि: सबक के सवाल

आधुनिक विकास का पुल-पुलिया को प्रतीक समझा जाता है। यह नदियों के दो किनारों को जोड़ सकता है, खाइयों को पाट...

रफ्तार के शिकार लोग

“सरकार और तंत्र ज्यादा सुविधा और रफ्तार को प्राथमिकता बना चुका है, इसमें गरीब कहां हैं” ओडिशा के...

पटरियों का सियासी आईना

“हर दौर में राजनीति पर फोकस बदलने के साथ रेल नीतियां बदलती गईं, रेल यात्रा की मार्केंटिंग और निजी...


Advertisement
Advertisement