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सच्ची घटना का डिजिटल वर्ल्ड

चौंकाने वाली घटनाओं पर काल्पनिक सीरियल बनाने का नया ट्रेंड, फैशन तेजी से परवान चढ़ रहा
मिला नया फॉर्मूलाः ब्रीद का दृश्य

कुछ हकीकतें वाकई फसानों से अधिक चौंकाने वाली होती हैं। शायद यही वजह है कि बॉलीवुड में हाल के वर्षों में प्रचलित तर्ज की तरह डिजिटल दुनिया में भी सच्ची कहानियों पर आधारित वेब सीरीज बनाने की होड़-सी मची है, चाहे वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जिंदगी से प्रेरित कहानियां हों या दिल्ली के निर्भया सामूहिक बलात्कार केस पर आधारित घटनाएं। हिंदी सिनेमा के फिल्मकारों की तरह वेब सीरीज के निर्माता भी इससे इत्तेफाक रखते हैं कि असल जिंदगी से जुड़े कथानकों में काल्पनिक कहानियों से अधिक ट्विस्ट और टर्न होते हैं। शायद यही वजह है कि अमेजन प्राइम वीडियो ने बॉलीवुड के शीर्ष निर्देशकों में से एक कबीर खान के 21 साल पुराने एक वृत्तचित्र को बड़े बजट की बिलकुल नई मौलिक (ओरिजिनल) सीरीज के रूप में बनाने का फैसला किया। इसी 24 जनवरी से प्रसारित द फॉरगॉटन आर्मी में नेताजी की आजाद हिंद फौज के उन गुमनाम सिपाहियों की अनकही कहानियां हैं, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान देश की आजादी के लिए लड़ते हुए जान की बाजी लगा दी थी। टाइगर जिंदा है (2012) और बजरंगी भाईजान (2015) जैसी सुपरहिट फिल्में बनाने वाले कबीर खान ने इसी नाम और विषय पर 1999 में एक डॉक्यूमेंट्री बनाकर सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन उस समय छोटे स्तर पर बनने के कारण वह उतने दर्शकों तक नहीं पहुंच पाई, जितनी वह अभिलाषा रखते थे। अमेजन प्राइम वीडियो की इस सबसे बड़े बजट की वेब सीरीज के बनने से उनकी वर्षों पुरानी ख्वाहिश पूरी हो गई। विगत एक माह में द फॉरगॉटन आर्मी एक साथ 190 देशों में दर्शकों के लिए उपलब्ध है। कबीर का मानना है कि अधिकतर लोगों को 1942 से 1945 के बीच आजाद हिंद फौज के उन गुमनाम सिपाहियों की कुर्बानियों के बारे में पता ही नहीं है, जिसे उनकी वेब सीरीज ने दुनिया के समक्ष पेश किया है। 

कबीर खान पहले फिल्मकार नहीं हैं जिन्होंने नेताजी और उनकी आजाद हिंद फौज पर आधारित महत्वाकांक्षी वेब सीरीज बनाई है। उनसे पहले एकता कपूर ने अपने ओवर-द-टॉप प्लेटफार्म पर ऑल्ट बालाजी के लिए नेताजी: डेड ऑर एलाइव नामक बहुचर्चित सीरीज बनाई, जिसमें राजकुमार राव ने सुभाष चंद्र बोस की भूमिका निभाई थी। अधिकतर सिनेमा विशेषज्ञ मानते हैं कि आजकल अधिकतर निर्माता सच्ची घटनाओं पर आधारित वेब सीरीज बनाना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें ऐसे विषय कम समय में उपलब्ध हो जाते हैं, जिनसे दर्शकों को आसानी से आकर्षित किया जा सकता है। 

काफिर का दृश्य

बॉलीवुड में पिछले कुछ साल में सत्य घटनाओं या उनसे जुड़े व्यक्तियों की निजी जिंदगी पर आधारित फिल्मों की बाढ़-सी आ गई है। उनमें अधिकांश को बॉक्स ऑफिस पर भारी सफलता भी मिली। इसके कारण डिजिटल वर्ल्ड में भी इसकी पुनरावृत्ति देखने को मिल रही है। फिल्म व्यवसाय से जुड़ी पत्रिका कंपलीट सिनेमा के संपादक अतुल मोहन के अनुसार, बॉयोपिक या सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्म या वेब सीरीज निर्माताओं को इस वजह से आकर्षित कर रही हैं कि दर्शक किसी जाने-पहचाने व्यक्ति या उनसे संबधित घटनाओं के पीछे की संघर्ष की कहानी को विस्तार से जानना चाहते हैं। मोहन कहते हैं, “यह एक आकर्षक जॉनर है, क्योंकि यह फिल्मकारों को अपनी सुविधानुसार घटनाओं में बदलाव करने को सिनेमाई लाइसेंस प्रदान करती है, जैसा बॉलीवुड में धोनी और मिल्खा सिंह के बॉयोपिक में किया गया।” उनके अनुसार फिल्में या वेब सीरीज एक वृत्तचित्र से बिलकुल अलग हैं क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य दर्शकों का मनोरंजन करना ही है। फिर भी, ऐसी फिल्में या वेब सीरीज बनाना आसान नहीं है, क्योंकि असली जिंदगी को परदे पर उतारने के लिए अत्यधिक सावधानी की जरूरत होती है। 

इसमें दो मत नहीं है कि असली जिंदगी से जुड़ी कहानियां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं लेकिन उसे बनाने के लिए बड़ी संजीदगी और संवेदनशीलता की जरूरत होती है। सिनेमाई माध्यम की जरूरतों के हिसाब से एक निर्माता कथानक में यथोचित परिवर्तन तो कर सकता है लेकिन तथ्यों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। नेटफ्लिक्स की बहुचर्चित वेब सीरीज देल्ही क्राइम दिसंबर 2012 में दिल्ली में घटित निर्भया के सामूहिक बलात्कार पर आधारित थी जिसे पुलिस के दृष्टिकोण से दर्शाया गया था। संवेदनशील विषय का संजीदगी से चित्रण करने के लिए इस सीरीज को काफी पुरस्कार भी मिले। नेटफ्लिक्स पर ही दिखाई गई हाल ही की एक अन्य वेब सीरीज जामताड़ा: सबका नंबर आएगा झारखंड के एक छोटे से जिले से चलाए जा रहे बैंक फ्रॉड की घटना पर आधारित है। पिछले कुछ वर्षों में पुलिस की जांच से यह बात सामने आई थी कि जामताड़ा ही ‘फिशिंग’ कहे जाने वाले ऑनलाइन अपराध करने वालों की विगत में हृदय- स्थली रही है।

‘जी5’ पर दिखाई जाने वाली अधिकार वेब सीरीज सत्य घटनाओं से ही प्रेरित है। इस चैनल के अनुसार, इसके पीछे की मंशा ऐसी सच्ची कहानियों को सामने लाना है जो दर्शकों को न सिर्फ चौंका सकें बल्कि उन्हें जागरूक भी बना सकें। इसकी एक प्रमुख वेब सीरीज, ऑपरेशन टेरर: छब्बीस ग्यारह नवंबर 2008 में मुंबई में घटित आतंकवादी घटना से प्रेरित है जबकि चार्जशीट: द शटल कॉक अस्सी के दशक में हुई मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या पर आधारित है। इसी चैनल पर दिखाई जा रही एक अन्य सीरीज काफिर पाकिस्तान से भारत आई एक महिला की सच्च्ची कहानी पर आधारित है, जो अपने वतन वापस नहीं जा सकती। अभी हाल में ऑपरेशन परिंदे नामक एक नई सीरीज बनाने की घोषणा की गई है जो भारत द्वारा पाकिस्तान में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की कुछ सत्य घटनाओं से प्रेरित है। इसी चैनल पर दिखाई गई रंगबाज वेब सीरीज उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ल की जिंदगी पर आधारित है। इस सीरीज में गोरखपुर के एक युवा की अपराध की दुनिया के शिखर तक पहुंचने की कहानी बयां की गई है। इसी चैनल की कुछ अन्य वेब सीरीज, जैसे बारोट हाउस, भी सत्य घटनाओं से प्रेरित रही हैं।

इसी तरह, ऑल्ट बालाजी की द वर्डिक्ट 1959 के प्रसिद्ध नानावटी केस से प्रेरित है। इसी विषय पर, अक्षय कुमार ने रुस्तम (2016) नामक फिल्म में अभिनय किया था जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। इससे पूर्व साठ के दशक में सुनील दत्त-लीला नायडू अभिनीत एक और फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के (1961) बन चुकी है। फिर भी, छह दशक पुरानी असल जिंदगी से जुड़ी इस त्रिकोणात्मक प्रेम कहानी पर एक वेब सीरीज बनाने के लोभ से एकता जैसी बड़ी फिल्म निर्माता भी नहीं बच सकीं।

सत्य घटनाओं और पात्रों पर आधारित बड़े पैमाने पर बन रही वेब सीरीज का प्रमुख कारण इस तरह के कंटेंट की रोजाना बढ़ती मांग है। पिछले कुछ वर्षों में खासकर नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम के भारतीय मनोरंजन उद्योग में प्रवेश के बाद इस क्षेत्र में क्रांति-सी आई है। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास न तो बजट की समस्या है

और न ही दर्शकों की। उनके लिए ओरिजिनल वेब सीरीज बनाने का सबसे बड़ा औचित्य कंटेंट यानी कथानक ही है। ऐसी परिस्थिति में भारतीय फिल्मकारों में तुरंत उनकी पसंद के लायक विषय वस्तु ढूंढ़ने की होड़ शुरू हो गई है। उनके लिए किसी मौलिक कहानी पर महीनों काम करने से ज्यादा यह आसान है कि वे समाज में घटित सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियां चुनें। यह बात और है कि अधिकतर फिल्मकार कानूनी पचड़े में पड़ने के बजाय इन कहानियों को काल्पनिक बताकर पेश करना बेहतर समझते हैं।

सेक्रेड गेम्स

मुंबई डायरिज

स्टेट ऑफ सीज

बोस डेड/अलाइव

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अधिकतर निर्माता सच्ची घटनाओं पर वेब सीरीज बनाना पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें ऐसे विषय आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं

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सत्य घटनाओं और पात्रों पर आधारित बड़े पैमाने पर बन रही वेब सीरीज का प्रमुख कारण इस तरह के कंटेंट की रोजाना बढ़ती मांग है

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