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“फैसले का पूरी तरह से करेंगे पालन”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषंगी संगठन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की रामजन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका रही है। विवादित स्थल पर राममंदिर बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां पर भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और धार्मिक स्थलों के दूसरे विवादास्पद मुद्दों समेत तमाम मसलों पर आउटलुक ने वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से बातचीत की। प्रशांत श्रीवास्ताव के साथ हुई बातचीत में आलोक कुमार ने कहा कि अभी वीएचपी का पूरा फोकस मंदिर निर्माण पर है। साथ ही उन्होंने इस फैसले को देशहित और सभी पक्षों के हित में बताया। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंशः
वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषंगी संगठन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की रामजन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका रही है। विवादित स्थल पर राममंदिर बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां पर भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और धार्मिक स्थलों के दूसरे विवादास्पद मुद्दों समेत तमाम मसलों पर आउटलुक ने वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से बातचीत की। प्रशांत श्रीवास्ताव के साथ हुई बातचीत में आलोक कुमार ने कहा कि अभी वीएचपी का पूरा फोकस मंदिर निर्माण पर है। साथ ही उन्होंने इस फैसले को देशहित और सभी पक्षों के हित में बताया। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंशः

अयोध्या पर आए ऐतिहासिक फैसले को आप किस तरह से देखते हैं?

मैं इसको एक ऐसा फैसला मानता हूं जो बेहद संतुलित है। सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिन तक 200 से ज्यादा घंटे सुनवाई कर यह फैसला दिया है। देश के पांच सबसे बड़े न्यायाधीशों ने अपने फैसले में सबके हित, सब की भावना और कानून, इन तीनों चीजों का ध्यान रखा है। हम लोग बेहद प्रसन्न हैं।

फैसले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि यह न तो संतुलित है और न ही न्याय वाला, कुछ सदस्य पुनर्विचार याचिका डालने की बात कर रहे हैं?

एक वकील के नजरिए से मुझे लगता है कि

पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है, पर उसमें कुछ संभावनाएं नहीं हैं। क्योंकि यह एक सर्व सम्मति से लिया गया फैसला है। इसलिए कोई अपने अनुयायियों में यह भाव रखना चाहे कि देखो लड़ाई अभी जारी है और उसके लिए पुनर्विचार याचिका दायर करे तो ऐसा किया जा सकता है। लेकिन मुझे याचिका स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं दिखती है।

वीएचपी की आगे क्या भूमिका रहेगी?

विश्व हिंदू परिषद के पास बहुत से काम हैं। हम एक लाख गांव में एकलव्य विद्यालय चलाते हैं। देशभर में गो संवर्धन के लिए काम करते हैं, संस्कृत के लिए काम करते हैं। इसके अलावा परिषद हिंदू संस्कार को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। दुनिया भर के हिंदुओं की देखभाल करती है। हम यह सब कार्य करते रहेंगे।

जब राम जन्मभूमि का आंदोलन अपने चरम पर था, उस समय कहा जाता था, ‘अयोध्या तो अभी झांकी है, काशी मथुरा बाकी है

हमारा पूरा ध्यान अभी राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाए, उस पर है। इसके अलावा कहीं और देखने की फुर्सत नहीं है।

तो इसका मतलब है कि मथुरा- काशी जैसे मुद्दे अब नहीं उठेंगे?

मैं तो कह ही रहा हूं कि हमारा पूरा ध्यान, अब राम मंदिर के निर्माण पर है।

अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए जो काम चल रहा है, वह किस स्थिति में है?

मंदिर निर्माण में जो खंबे और बीम लगने हैं उसका 60 फीसदी काम पूरा हो गया है। मंदिर कब तक बनकर तैयार हो जाएगा, इस पर अभी कुछ कहना थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि वहां जो जमीन है, उसके एक हिस्से की तरफ बड़ा गड्ढा है। उसे भरकर जीरो लेवल पर लाना होगा। उसके बाद जो भवन बनेगा, वह भूकंप रोधी होगा। उसे ऐसा बनाया जाएगा, जिससे वह सैकड़ों साल तक सुरक्षित रहे। यह एक बड़ा काम है, इसमें समय लगेगा।

कितना खर्च आएगा इसका कोई आकलन है क्या?

देखिए, मंदिर का मॉडल बना हुआ है, उसी तरह से बनाया जाएगा। खर्चा कितना होगा, वह कोई चिंता की बात नहीं है। मंदिर के लिए धन की कमी नहीं आएगी और न ही इसके लिए सरकार के पास जाएंगे।

फैसले को लेकर यह डर था कि इसके बाद देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है?

सभी पक्षों ने शांति बनाए रखने का प्रयत्न किया। फैसले में मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने की बात की गई है। ऐसे में, उनके भी पक्ष को मान लिया गया है। अब किसी के नाराज होने का सवाल नहीं पैदा होता है। केवल अपनी नेतागीरी के कारण कोई विरोध करे तो दूसरी बात है। लेकिन फैसले में सभी पक्षों को कुछ न कुछ मिला है।

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन देने की बात कही है। कई हिंदू संगठन इसके खिलाफ हैं?

अभी फैसले का विस्तृत अध्ययन नहीं कर पाए हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो भी आदेश दिया, उसे सभी को मान लेना चाहिए। यही हमारा कहना है।

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