Advertisement

इंटरव्यू/मान्या सिंह : ‘‘यह ताज सिर्फ खूबसूरत लोगों को नहीं मिलता’’

जहां चाह, वहां राह! उत्तर प्रदेश के छोटे-से शहर देवरिया की मान्या सिंह ने इस कहावत को हकीकत में बदल दिया है। 20 साल की मान्या ने वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2020 रनर-अप का खिताब अपने नाम किया। उनके पिता ओमप्रकाश सिंह ऑटोरिक्शा चलाते हैं। आउटलुक के नीरज झा के साथ उन्होंने इस मंच तक पहुंचने के अपने सफर पर बात की। कुछ अंशः
मान्या सिंह

यहां तक के सफर को कैसे देखती हैं?

यहां तक का सफर चुनौतीभरा और मुश्किल रहा। कठिनाइयों ने मुझे अपने जुनून के प्रति जिद्दी होना सिखाया। मुझे विश्वास था कि मैं एक दिन यहां पहुंच जाऊंगी और मेरा संघर्ष रंग लाएगा।

इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया?

ईमानदार कोशिश और कड़ी मेहनत ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया। मैंने कभी कठिनाइयों के आगे हार नहीं मानी। इसलिए संघर्ष की शक्ति ईश्वर से मिलती गई। माता-पिता का हमेशा साथ मिला। एक्ट्रेस नताशा सूरी से मिलना इस सपने की पहली सीढ़ी थी। यहां तक पहुंचने के लिए मुझे दूसरों से पैसे और कपड़े उधार मांगने पड़े। अलेसिया और अंजली जैसे लोगों ने मुझे मिस इंडिया फेस्ट के दौरान वर्चुअल सेशन के लिए तैयार किया और अपना घर दिया। कई लोगों ने परिवार की तरह मेरा साथ दिया और मुझे हमेशा प्रेरित किया।

मिस इंडिया का मतलब है, खूबसूरत होना। सुंदरता की इस चुनौती से आपको भी गुजरना पड़ा?

यह तो सच है कि मिस इंडिया का मतलब खूबसूरत होना है। लेकिन यह ताज सिर्फ खूबसूरत लोगों को नहीं मिलता। बल्कि यहां दिल और दिमाग भी परखा जाता है। यह प्रतियोगिता सुंदर चेहरा खोजने की है, इसलिए ज्यादा लोगों का ध्यान इसी पर रहता है। मुझे लुक्स को लेकर कभी किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।

आपके पिता ऑटो चलाते हैं। क्या इस वजह से आप ज्यादा सुर्खियों में हैं? निम्न मध्य वर्ग की किसी लड़की का यहां पहुंचना क्या वाकई असाधारण बात है?

असाधरण तो नहीं लेकिन हां, अलग बात जरूर है क्योंकि जिस तरह की यह प्रतियोगिता है, उसमें समाज का अलग ही तबका अभी तक भाग लेता रहा है। इसमें अलग तरह की तैयारी की जरूरत होती है। जिस वर्ग से मैं आती हूं, वहां इस प्रतियोगिता के लायक एक्सपोजर नहीं होता। रही पापा के ऑटो चलाने की बात तो हां, यह तो सच है कि लोगों को लग रहा है कि अरे, गरीब परिवार की लड़की भी मिस इंडिया में जा सकती है। 

बॉलीवुड भी अब आपसे ज्यादा दूर नहीं है...

ऐसा अभी से कैसे कह सकती हूं। लेकिन हां, इस जीत ने इस दिशा में एक रास्ता तो बनाया ही है। अगर कोई ऑफर आएगा, तो मैं खुले दिल से, दोनों हाथ फैलाकर उसका स्वागत करूंगी।

आपकी तरह ही कोई बड़ा सपना देख रहीं, सामान्य परिवारों की लड़कियों के लिए कोई संदेश?

तू खुद की खोज में निकल, तू किसलिए हताश है। तू चल, तेरे वजूद की, समय को भी तलाश है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement