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स्मृति/ भारत यायावर: कवि से जीवनीकार का सफर

भारत यायावर ऐसे ही लेखक थे, जिन्होंने महावीर प्रसाद द्विवेदी और फणीश्वर नाथ रेणु के लिए अपना जीवन लगा दिया।
भारत यायावर

भारत यायावर

(29 नवंबर 1954-22 अक्टूबर 2021)

 

हिंदी की दुनिया में कवि, कथाकार और आलोचक तो बहुत हैं मगर अच्छे शोधार्थी और अध्येयता कम हैं। भारत यायावर ऐसे ही लेखक थे, जिन्होंने महावीर प्रसाद द्विवेदी और फणीश्वर नाथ रेणु के लिए अपना जीवन लगा दिया। प्रेमचंद के बारे में सोचें तो अमृत राय और कमल किशोर गोयनका की याद आना स्वाभाविक है। निराला को याद करें तो रामविलास शर्मा या गंगा प्रसाद पांडेय का नाम याद आना स्वाभाविक है। रेणु का नाम आते ही भारत यायावर का नाम याद आना स्वाभाविक है। भारत ने अपनी लगन, मेहनत और साहित्य सेवा के कारण अपने जीवन को पुराने लेखकों की स्मृति में समर्पित कर दिया। आज हिंदी में अधिकांश लेखक अपने लेखन में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं और दिन-रात उसी को प्रमोट करने में लगे रहते हैं। लेकिन भारत ने अपने निजी लेखन को एक तरह से त्याग कर महावीर प्रसाद द्विवेदी और रेणु पर अपने जीवन का कीमती समय लगाया।

भारत मूलत: कवि थे और स्वप्निल श्रीवास्तव, अनिल जनविजय के साथ उनकी काव्य यात्रा शुरू हुई थी लेकिन जल्द ही उनकी दिलचस्पी शोध कार्यों में हो गई और उनकी खोजी प्रवृत्ति ने उन्हें संपादक और जीवनीकार बना दिया। उनका पहला कविता संग्रह मैं हूं यहां हूं प्रकाशित हुआ था तो लोगों को उनके कवि व्यक्तित्व का पता चला। फिर उन्होंने अपनी पत्रिका ‘विपक्ष’ का केदारनाथ सिंह तथा रेणु पर सुंदर अंक निकाला था। तब उनके संपादकीय व्यक्तित्व का पता चला। भारत ने अपने कवि को तिलांजलि देकर अपने भीतर शोधार्थी को अधिक विकसित किया। नतीजा यह हुआ कि हिंदी साहित्य महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली और रेणु रचनावली के प्रकाशन से समृद्ध हुआ। भारत ने 15 खंड़ों में द्विवेदी जी की दुर्लभ और बिखरी सामग्री को संग्रहित किया। उसके बाद वे रेणु जी के साहित्य में डूबे तो डूबते ही चले गए और उन्होंने रेणु की समस्त रचनाओं को हिंदी साहित्य के सामने उपलब्ध कराया और आज वे सारी पुस्तकें शोधार्थियों के लिए एक आधारभूत सामग्री बन गई है।

भारत पर यह भी आरोप लगे कि उनके पास दृष्टि नहीं है और उन्होंने यह सारा काम बहुत हड़बड़ी और जल्दी में किया है। पिछले दिनों उनकी रेणु पर लिखी जीवनी का पहला खंड आया तो उसको लेकर भी हिंदी समाज में मिश्रित प्रतिक्रिया थी। बिहार के एक लेखक ने इस जीवनी को बहुत कमजोर रचना माना लेकिन कुछ लोग की राय थी कि रेणु की जीवनी भारत ही लिख सकते थे क्योंकि उन्होंने रेणु के बारे में काफी सामग्री जुटा ली थी।

बहरहाल, भारत यायावर 65 वर्ष की उम्र में अचानक चले गए। लेकिन जब भी महावीर प्रसाद द्विवेदी और रेणु की चर्चा होगी, भारत यायावर स्वाभाविक रूप से याद आएंगे।

विमल कुमार

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