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25 जुलाई 2022 · JUL 25 , 2022

उत्तर प्रदेश: योगी के सौ दिन

दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री की प्राथमिकता प्रदेश की अर्थव्यवस्थार को 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की दिशा में तेज रफ्तार से ले जाना
सरकार के सौ दिन पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ अन्य नेता

अपने दूसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे होने के अवसर पर 4 जुलाई को राजधानी लखनऊ के लोक भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "प्रदेश में दशकों बाद औद्योगिक वातावरण देखने को मिला है। उत्तर प्रदेश में भी निवेश हो सकता है, उद्योग लग सकता है, यह 2017 के पहले एक सपना था, जो आज हकीकत में बदल रहा है। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी तृतीय में 80 करोड़ रुपये की लागत से जो उद्योग लग रहे हैं, उनसे पांच लाख प्रत्यक्ष और 20 लाख परोक्ष रोजगार पैदा होंगे। इन सौ दिनों में सरकार ने प्रदेश में 10 हजार से अधिक सरकारी नौकरियां भी दी हैं।" दरअसल योगी सरकार की सत्ता में वापसी के बाद उत्तर प्रदेश आर्थिक क्षेत्र में देश में अगुआ बनने की राह में अग्रसर है। अगले पांच वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार का महत्वाकांक्षी रोडमैप लगभग तैयार है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, लक्ष्य आसान नहीं लेकिन लगातार दूसरी बार सत्ता की बागडोर संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश के अधिकारियों को फिर से ब्लूप्रिंट तैयार करने को कहा्, ताकि राज्य 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सके।

वैसे तो 21 फरवरी, 2018 को लखनऊ में आयोजित पहले 'यूपी इन्वेस्टर्स समिट' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य निर्धारित करने के आह्वान के बाद से ही राज्य सरकार यह लक्ष्य हासिल करने में जुट गई थी। अब यह मुहिम अब रफ्तार पकड़ती दिख रही है। मुख्यमंत्री के दिशानिर्देश के बाद यूपी में ढांचागत स्तर पर कई बदलाव किए गए हैं जिससे तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रदेश की आर्थिक प्रगति को गति मिलने की आशा जगी है।

जानकारों के अनुसार इसके कई कारण हैं। योगी सरकार ने 2021-22 में वार्षिक बजट का आकार 2 लाख करोड़ रुपये से तीन गुना बढ़ाकर 6 लाख करोड़ रुपये कर दिया और सरकार के सुधारों के कारण ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में उत्तर प्रदेश देश में अब दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा, यूपी का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पिछले पांच साल में दोगुना हो गया है और बेरोजगारी दर भी 2017 की 17.5% की तुलना में 2021 में 4.4% तक पहुंच गई है। यही नहीं, राज्यों की इकोनॉमी परफॉरमेंस इंडेक्स में यूपी ने दूसरा स्थान हासिल किया है। जाहिर है, ये आंकड़े यूपी के 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता दर्शाते हैं। दरअसल, 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से प्रदेश की आर्थिक उन्नति के लिए उठाये कदमों से प्रदेश में जमीनी स्तर पर बहुत कुछ बदला है।

इज ऑफ डूइंग बिजनेस

किसी राज्य में निवेश करने से पहले कंपनियां वहां मैनपावर की उपलब्धता के साथ-साथ सरकार और उसकी नीतियों में स्थिरता का आकलन करती हैं। इसके साथ-साथ कंपनियां यह भी देखती हैं कि उस राज्य का ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी)’ के पैमाने पर प्रदर्शन कैसा रहा है। कुछ साल पहले तक ईओडीबी की रैकिंग में एक दर्जन से ज्यादा राज्य यूपी से आगे रहते थे। 2017 में ईओडीबी रैकिंग में यूपी 12वें स्थान पर था। लेकिन, यूपी अभूतपूर्व उछाल हासिल करके अब दूसरे स्थान पर काबिज हो गया है। इसके कारणों का विश्लेषण करते हुए यूपी सरकार में चीफ एडिशनल सेक्रेटरी (एमएसएमई) नवनीत सहगल आउटलुक से कहते हैं,  “उत्तर प्रदेश ने राज्य में 500 से अधिक सुधारों को बीआरएपी एक्सरसाइज के तहत लागू किया हैं। इसमें कई सुधार हुए हैं जिसका हमें साफ फायदा दिख रहा है। जैसे, सिंगल विंडो सिस्टम, निवेश समर्थक, भूमि प्रशासन और भूमि और संपत्ति का हस्तांतरण, पर्यावरण पंजीकरण, श्रम विनियमन प्रवर्तक, उपयोगिता परमिट प्राप्त करना, निर्माण परमिट सक्षमकर्ता आदि। इसके अलावा, प्रदेश सरकार ने अनावश्यक कानूनों को सरल, गैर-आपराधिक बनाने के उद्देश्य से बोझिल अनुपालन को कम करने का भी काम किया है।"

लखनऊ में तीसरा इन्वेस्टर समिट

लखनऊ में तीसरा इन्वेस्टर समिट  

यूपी सरकार के उठाए कदमों की सराहना करते हुए जून 2022 में हुई सरकार की तीसरे इन्वेस्टर समिट में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि निवेश मित्र के माध्यम से सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने से राज्य में निवेश के लिए बहुत सहायता मिली। नवनीत सहगल मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में 'निवेश मित्र' का सफल क्रियान्वयन व्यवसाय करने की सुगमता की गति बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। वे कहते हैं, “सिर्फ  चार साल की अवधि में ही, निवेश मित्र ने 85% उपयोगकर्ताओं की संतुष्टि के साथ 7.3 लाख से अधिक एनओसी लाइसेंस का निपटान किया है।"

 गौरतलब है कि यूपी की रैकिंग सुधरने के कारण राज्य में ताबड़तोड़ निवेश होने की शुरुआत होने लगी है। ब्रिटानिया, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, ब्रह्मोस, सैमसंग, माइक्रोसॉफ्ट, रिलायंस और अडाणी जैसी कंपनियां राज्य में करोड़ों की निवेश का वादा कर चुकी हैं। यही नहीं, भारत की पहली डिस्प्ले यूनिट चीन से स्थानांतरित होकर उत्तर प्रदेश के नोएडा में आ चुकी हैं। उत्तर भारत का सबसे बड़ा डेटा सेंटर भी नोएडा में स्थापित किया जा रहा है।

बढ़ते निवेश से बढ़ेगा रोजगार

जानकारों के अनुसार, योगी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि सरकार ने यूपी को लेकर निवेशकों की धारणाओं को बदला है। 1990 के दशक में देश का बाजार दुनिया के लिए खुला था। भारत के अधिकतर राज्यों में विदेशी निवेश की बारिश होने लगी लेकिन यूपी पीछे रहा, जिसका प्रमुख कारण इसकी छवि थी। उस दौर में यूपी गुंडाराज, हत्याएं, अपहरण-फिरौती का प्रयाय-सा बन गया था। लेकिन, यूपी की छवि में अब बड़ा बदलाव आया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो यूपी में अपराध पिछले सात साल के न्यूनतम स्तर पर है। हालांकि विपक्षी दल इससे इत्तेफाक नहीं रखते। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजीव राय का कहना है कि एनसीआरबी का आंकड़ा भ्रमित करने वाला है। वे कहते हैं, “थाने में प्राथमिकी दर्ज कराना आज के समय में सबसे कठिन काम है। जब थाने में केस दर्ज नहीं होगा तो एनसीआरबी के आंकड़ों में दिखेगा कैसे?"

हालांकि सरकारी आंकड़ों में फर्क साफ दिखता है। प्रदेश में साल 2013 में बलात्कार के 3,050 मामले सामने आए थे जो 2020 में घटकर 2,769 हो गए। इसी तरह, हत्याओं की संख्या साल 2013 में 5,047 थी, जो अब 25% की गिरावट के साथ 3,779 हो गई है।

लखनऊ में एक जनसभा में उमड़ा जन सैलाब

लखनऊ में एक जनसभा में उमड़ा जन सैलाब

जाहिर है, अपराध की घटती दर की वजह से यूपी में एक निवेश का माहौल बना है जो धरातल पर मूर्त रूप से दिखाई पड़ रहा है। महामारी के दौरान भी यूपी में विदेशी निवेश न सिर्फ अप्रभावित रहा बल्कि इसमें बढ़ोतरी देखी गई। वित्त वर्ष 2017-20 के बीच यूपी ने एफडीआई प्रवाह में 21% की वृद्धि दर्ज की है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी कंपनियों ने जून 2021 में निवेश 5,211.98 करोड़ रुपये से बढ़ाकर दिसंबर 2021 में 5,758.17 करोड़ रुपये कर दिया। हालांकि विपक्ष इसे भी मानने को तैयार नहीं है। राजीव राय कहते हैं कि यहां इन्वेस्टमेंट के नाम पर यह झूठा प्रचार हो रहा है।  वे कहते हैं, “सरकार आंकड़े दे कि जितने इन्वेस्टमेंट हुए हैं, उसमें से कितने प्रोजेक्ट पूरे हुए और कितनों पर काम चल रहा है? भाजपा को सपना दिखाने की आदत है। जिस तरह से बुलेट ट्रेन परियोजना फ्लॉप हुई है, यह भी फ्लॉप साबित होगा।”

सत्ता पक्ष ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज करता है। उसका कहना है कि यूपी में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार प्रत्येक दो साल पर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन करा रही है और अब तक प्रदेश में ऐसे तीन सम्मलेन हो चुके हैं। वर्ष 2018 में लखनऊ में हुई पहली ‘यूपी इन्वेस्टर्स समिट’ में 4.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव मिले। वहीं, दूसरे सम्मेलन में 67,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 290 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया। यही नहीं, हाल ही में 2022 में हुए तीसरी इन्वेस्टर समिट में सरकार ने 80,000 करोड़ रुपये की कीमत की करीब 1400 परियोजनाओं की आधारशीला रखी गई। इस अवसर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने घोषणा की कि वे यूपी में आने वाले समय में 70,000 करोड़ रुपए का इन्‍वेस्टमेंट करेंगे, जिससे 35,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। आदित्य बिड़ला ग्रुप के अध्यक्ष कुमारमंगलम बिड़ला ने प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने का ऐलान किया, जिससे 40 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का अवसर उत्पन्न होगा।

अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास में तेजी पिछले 5 वर्षों में भाजपा सरकार के कामकाज का नतीजा है

अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास में तेजी पिछले 5 वर्षों में भाजपा सरकार के कामकाज का नतीजा है

हालांकि राज्य में हो रहे भारी-भरकम निवेश के बावजूद जानकार इसे काफी नहीं मानते और सरकार को कुछ और बड़े कदम उठाने की सलाह दे रहे हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद मोहन कहते हैं कि एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य के लिए सालाना 30% ग्रोथ रेट चाहिए। वे कहते हैं, “हम भारत की ग्रोथ को हमेशा निवेश से ड्राइव करने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि उपलब्ध इन्वेस्टमेंट 7% से ज्यादा के ग्रोथ को डिफाइन नहीं कर सकता है और किसी बिजनेस घराने द्वारा भारी निवेश मात्र से भी ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता है। सरकार को स्माल टिकट इन्वेस्टमेंट पर भी ध्यान देना चाहिए।” 

हालांकि सरकार निवेशकों को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। नवनीत सहगल का कहना है कि यूपी सरकार निवेशकों को न सिर्फ स्टाम्प शुल्क और बिजली शुल्क में छूट दे रही है, बल्कि ईपीएफ और एसजीएसटी प्रतिपूर्ति जैसे कदम भी सरकार ने उठाए है। वे कहते हैं, “इसके अलावा, पूंजीगत ब्याज सब्सिडी, इंफ्रास्ट्रक्चर ब्याज सब्सिडी और भूमि सब्सिडी भी सरकार प्रदान कर रही है।” 

जीएसडीपी का खेल

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यूपी एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य तभी हासिल कर पाएगा जब उसकी जीएसडीपी में कई गुना बढ़ोतरी होगी। आने वाले पांच साल में प्रदेश की जीएसडीपी अनुमानित रूप से बढ़ेगी या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन बढ़ते निवेश के चलते राज्य की जीएसडीपी में भी हाल के वर्षों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2016-17 में राज्य का जीएसडीपी 12.47 लाख करोड़ रुपये था जो अब 17.49 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। पिछले पांच साल में यूपी की जीएसडीपी में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2019-2020 में जीएसडीपी के मामलें में यूपी, तमिलनाडु और गुजरात को पीछे छोड़ पांचवें नंबर से दूसरे स्थान पर पहुंच गया है और अब सिर्फ महाराष्ट्र से पीछे है। आने वाले समय में यूपी की नजर पहले स्थान पर पहुंचने की है।

इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार

किसी भी राज्य को सशक्त होने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, खास तौर से रोड कनेक्टिविटी का महत्वपुर्ण स्थान है। उत्तर प्रदेश में एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्‍था के नोडल अधिकारी, प्लानिंग सेक्रेटरी आलोक कुमार आउटलुक से कहते हैं कि सामान के आयात और निर्यात में कोई रुकावट न आए इसके लिए कनेक्टिविटी सुधारना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। वे कहते हैं, “यूपी के पास सबसे बड़ा रनिंग यमुना एक्सप्रेसवे है। इसके अलावा हमारे पास बुंदेलखंड, आगरा और गंगा एक्सप्रेसवे भी है। हमारा सिविल एविएशन सेक्टर भी तेजी से ग्रो कर रहा है। हमारे पास पांच एयरपोर्ट और कई लोकल एयरपोर्टस भी हैं।  बिजली की आपूर्ति बाधारहित हो, इस पर भी हमारा खासा जोर है। आने वाले पांच साल में इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर में तेजी से बदलाव दिखेगा।" अगर यूपी में सभी निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे बन जाएं तो यूपी में कुल 1,788 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का नेटवर्क होगा, जो देश में सबसे ज्यादा है।

एमएसएमई लगाएगा नैया पार

सुनियोजित तरीके से नीतिगत और ढांचागत बदलाव से यूपी के एमएसएमई को भी खासा फायदा मिला है। 11 जनवरी 2021 को लखनऊ में मुख्यमंत्री ने मध्यम और लघु उद्योग को इंडस्ट्रियल ग्रोथ का 'बैकबोन' बताया था। यूपी में एमएसएमई की संख्या देश के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा है। एमएसएमई मिनिस्ट्री की सालाना रिपोर्ट 2020-21 के अनुसार पूरे देश में एमएसएमई की संख्या करीब 6.6 करोड़ है, जिसमें से अकेले यूपी में एमएसएमई की संख्या 90 लाख है। गौरतलब है कि 2015-16 से 2017-18 के बीच यूपी में एमएसएमई सेक्टर में करीब 44 लाख यूनिट्स थीं और अब यह बढ़कर 90 लाख हो गई हैं।  यानी योगी के सरकार में आने के बाद राज्य में एमएसएमई की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।

यूपी में तेजी से हो रही अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास के कई कारण हैं। पिछले 5 वर्षों में भाजपा सरकार ने प्रदेश में आमूल-चूल परिवर्तन किया है। सुदृढ़ कानून-व्यवस्था एवं उद्यम लगाने की सुगमता में भी बदलाव आया है जिससे देश एवं विदेश में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरने में सफल हुआ है। यूपी को 'एमएसएमई हब' बनाने के लिए सरकार विभिन्न एमएसएमई इकाइयों को ऋण भी प्रदान कर रही है। यही वे कारण हैं जिससे राज्य सरपट विकास की पटरी पर दौड़ रहा है और राज्य के निर्यात में भी वृद्धि देखी गई है। नवनीत सहगल कहते हैं, "अप्रैल 2020-2021 से मार्च 2022 तक, यूपी का निर्यात 1,07,423.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,40123.5 करोड़ रुपये हो गया, जो लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि है। इसमें एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना का योगदान करीब 72 फीसदी है। गौरतलब है कि विशेष प्रयोजन के लिए प्रक्षेपित वस्तुओं के निर्यात में करीब 2,747 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"

हालांकि, अधिकांश क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद, 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह यूपी के लिए आसान नहीं है। अर्थशास्त्रियों की मानें तो मौजूदा समय में यूपी की अर्थव्यवस्था का आकार करीब 0.254 ट्रिलियन डॉलर का है। अगर इसे रुपये में बदलें तो करीब 19,10,217 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था है। इसका मतलब है कि एक ट्रिलियन के लक्ष्य को पाने के लिए अर्थव्यवस्था को चार गुना बढ़ाना होगा। वहीं, उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 71,472 रुपये है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1,49,848 रुपये का है। प्रदेश सरकार को इसको भी करीब दोगुना करना होगा। हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि साल 2016 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 46,000 थी, जो अब बढ़कर करीब दोगुनी हो गई है।

प्रोफेसर अरविंद मोहन कहते हैं, "आने वाले 5 साल नहीं तो 7-8 साल में हम इसके आसपास पहुंच सकते हैं और इसके लिए भी सरकार को कई मुद्दों पर ध्यान देना होगा।" वे कहते हैं, "सरकार 3% का ग्रोथ टोटल फैक्टर प्रोडक्टिविटी से हासिल कर सकती है। इसके अलावा एग्री प्रोडूस लीकेज को खत्म कर देने से यूपी करीब सालाना 50,000 करोड़ रुपये बचा सकता है, जहां से राज्य करीब 3.5%  हासिल कर सकता है। यही नहीं, हेल्थ सेक्टर में आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंस पर ध्यान देकर भी 3-4% ग्रोथ बढ़ाया जर सकता है।"

यूपी इस मुश्किल लक्ष्य को कैसे हासिल करेगा, इस पर आलोक कुमार कहते हैं कि सरकार हरेक सेक्टर पर फोकस कर रही है और ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छूने का रोडमैप लगभग तैयार है। उदाहरण देते हुए आलोक कहते हैं कि आगे अगर कृषि क्षेत्र 4 प्रतिशत के दर से बढ़ रहा है तो अनुमान के अनुसार हम अगले पांच साल में 12% का ग्रोथ रेट हासिल कर लेंगे और आगे हमें इसे और बढ़ाने पर जोर देना होगा। इसी तरह से हम सेक्टर दर सेक्टर फोकस कर रहे हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री कई नोडल अधिकारियों की पहचान कर लिए हैं जो अलग-अलग सेक्टरों में ग्रोथ का रोडमैप तैयार करेंगे।

जाहिर है, तमाम चुनौतियों के बावजूद यूपी सरकार ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्‍था के लक्ष्य को पाने के लिए शिद्दत से प्रयास शुरू कर दिया है लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा कि क्या यह मुमकिन है और अगर है भी, तो कितने साल बाद?

अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास

सुदृढ़ कानून-व्यवस्था एवं उद्यम लगाने की सुगमता ने लाया बदलाव। एनसीआरबी के मुताबिक राज्य में अपराध पिछले सात वर्षों में सबसे कम

देश एवं विदेश में उत्तर प्रदेश एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा। पहले, दूसरे और तीसरे इन्वेस्टर्स समिट में राज्य को मिला क्रमशः 4.68 लाख करोड़, 67 हज़ार करोड़ और 80 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश

पांच साल में पारदर्शी तरीके से 5 लाख सरकारी रोजगार मिला। विभिन्न एमएसएमई इकाइयों के माध्यम से मिला 3 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार

पूर्व की सरकार का वार्षिक बजट 2 लाख करोड़ रुपये था जो 2021-22 में 3 गुना बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये हो गया

सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 19 प्रतिशत की वृद्धि। प्रदेश के खजाने में पिछले साल की तुलना में 22,109 करोड़ रुपये ज्यादा पहुंचे

उत्तर प्रदेश में व्यापक सुधार के कारण वर्ष 2016 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में प्रदेश 14वें स्थान पर था जो आज के समय में दूसरे नंबर पर आ गया है

प्रति व्यक्ति आय 2016 में 46,000 रुपये थी जो दोगुनी होकर अब 94,000 रुपये है।

शेयर बाजार में भी यूपी छाया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में यूपी के 50 लाख से अधिक निवेशक कर रहे कारोबार। देश के शेयर बाजार में महाराष्ट्र और गुजरात के बाद यूपी बना तीसरी ताकत

सीएमआइई के आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी दर जो वर्ष 2016-17 में 17.5 प्रतिशत थी. 2022 में 3 प्रतिशत रह गई।

परंपरागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने हेतु ओडीओपी योजना प्रारम्भ की गई। ओडीओपी (एक जनपद-एक  उत्पाद) सेक्टर   में 8,875 करोड़ रु. से अधिक के ऋण वितरित। 25 लाख से अधिक को रोजगार। ओडीओपी के 11296 उत्पाद अमेजन की  वेबसाइट पर उपलब्ध

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