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सरकार की साख पर गंभीर सवाल

यूपी शिक्षक भर्ती घोटाला: शिक्षकों की भर्ती पर अदालत की रोक से नियुक्ति संदेह के घेरे में
धोखाधड़ी की शिकारः अनामिका शुक्ल जिनके नाम के साथ हेरफेर कर हुईं कई फर्जी नियुक्तियां

उत्तर प्रदेश में 69 हजार बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2018 में हुई परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्न प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और नियुक्ति प्रकिया की विश्वसनीयता के लिए सवाल बन गए हैं। इलाहाबाद हाइकोर्ट की दखल के बाद टीचरों की नियुक्ति प्रक्रिया रुक गई है और कांग्रेस ने इसे मध्य प्रदेश जैसा व्यापम घोटाला बताकर सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस बारे में सरकार से रिपोर्ट मांगी तो आनन-फानन में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी और अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने राजभवन पहुंचकर स्थिति का बयान किया है। लेकिन विपक्ष इस मसले पर लगातार हमलावर है और सरकार बचाव की मुद्रा में। परीक्षा में पूछे गए सवालों और नियुक्ति प्रकिया पर अदालती दांवपेच के बीच नियुक्ति माफियाओं की सक्रियता की कहानियों ने इसे बेहद पेचीदा मसला बना दिया है।

प्रयागराज जिले की सोरांव पुलिस को ऐसे गिरोह के सरगनाओं की तलाश है, जिन्होंने टीचरों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों से आठ से 12 लाख रुपये तक की वसूली की है। सोरांव पुलिस ने इस सिलसिले में कई गिरफ्तारियां की हैं। आरोप है कि दर्जनों अभ्यर्थियों ने टीचरों की बहाली में सक्रिय गिरोह की मदद से परीक्षा पास की। प्रयागराज पुलिस इन सरगनाओं की तलाश में पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खाक छान रही है।

इस मामले में दर्ज एक शिकायत के आधार पर पुलिस ने जिला पंचायत सदस्य रहे कृष्णा पटेल और उसके दो साथियों को पकड़ा है। माना जा रहा है कि इन आरोपियों से मिली जानकारी के बाद बड़ा राजफाश हो सकता है। आरोपियों के पास मिली डायरी में 20 अभ्यर्थियों के नाम और संपर्क नंबर होने की बात कही जा रही है। इस आधार पर दूसरे अभ्यर्थियों की धरपकड़ भी तेज हो गई है। पुलिस ने नियुक्ति गैंग में शामिल सरगनाओं से 24 लाख रुपये और कुछ लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं।

इन सबके बीच फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक ही नाम से कई जिलों में टीचर की नौकरी कर सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का चूना लगाने का मामला भी सुर्खियों में है। अनामिका शुक्ल नाम की एक युवती के सामने आने के बाद उसके सर्टिफिकेट पर कई जिलों में कागज पर नौकरी दिखाकर सरकारी खजाने से लूट की तफ्तीश जारी है। ऐसे में, विपक्षी दल सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सबसे तीखा हमला करते हुए इसे व्यापम घोटाले की तर्ज पर बेरोजगार नौजवानों के खिलाफ बड़ी साजिश बताया है। प्रियंका ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों के साथ बाकायदा फेसबुक लाइव के जरिए जुड़कर इसे सियासी तूल दे दिया है। प्रियंका ने कहा है कि युवाओं की इस लड़ाई में वह उनके साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा है कि यह महज एक सेंटर की समस्या नहीं है।

बसपा सुप्रीमो मायवती ने भी इस मामले में सीबीआइ जांच की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि इस बारे में रोज नए खुलासे हो रहे हैं, इसलिए इसकी सीबीआइ जांच जरूरी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर खूब चुटकी ली। उन्होंने कहा कि योगी को युवकों को नौकरियों का दिव्य दान कर देना चाहिए ताकि वे मुस्कुराकर उनकी विदाई कर दें। हालांकि बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी का कहना है कि इस प्रक्रिया को अदालत के आदेश की वजह से स्थगित किया गया है, विपक्ष इसे बेवजह तूल देकर नियुक्ति रोकने की कोशिश में जुटा है।

इस बीच इस पूरे मामले को अदालत में ले जाने वाले अभ्यर्थी ऋषभ मिश्र ने आउटलुक को बताया कि हमें पूरी उम्मीद है कि अदालत से न्याय मिलेगा। अदालत से हमने दरख्वास्त की है कि वह गलत सवालों के आधार पर उत्तीर्ण होने का प्राप्तांक घटाने का निर्देश दे। अभी 97 अंक वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया था, जबकि ऋषभ को 94 अंक मिले हैं। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। विपक्ष के चौतरफा हमलों से घिरे शिक्षा विभाग की सारी उम्मीदें एसटीएफ की जांच पर टिकी हैं, लेकिन लगता नहीं कि विपक्ष इस मसले पर सत्तापक्ष को किसी तरह की रियायत देने के मूड में है।

प्रियंका ने सवाल उठाया है कि इस भर्ती परीक्षा के टॉपर और दूसरे लोग गिरफ्तार हुए हैं। अगर यह परीक्षा साफ-सुथरे ढंग से हुई है तो लोग गिरफ्तार क्यों हो रहे हैं? उन्होंने नौजवानों से कहा कि अगर हम एक साथ आवाज नहीं उठाएंगे तो यह सिलसिला बन जाएगा और सरकार समझ लेगी कि कोई आवाज नहीं उठाएगा। प्रियंका ने अनामिका शुक्ल वाले मामले में भी यूपी सरकार से उनके घर जाकर माफी मांगने की बात कही है।

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