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कटप्पा चला कपूरथला

हमारे फिल्म उद्योग की भाषायी दीवारें ढह रही हैं और इससे अखिल भारतीय सितारों का उदय हो रहा है
राणा दुग्गुबती

तेलुगु सुपरस्टार महेश बाबू के लिए शहरी शब्दकोश, स्लैंग्स और बोलचाल की आमभाषा वाली ऑनलाइन शब्दावली, भाषा के नए प्रयोग वाले लिखते हैं, “सेक्सी भारतीय तेलुगु स्टार जिससे लगभग हर लड़की प्यार करती है। उसे राजकुमार कहा जाता है क्योंकि वह दिलकश है और बेहद खूबसूरत।” बॉलीवुड के किसी भी सबसे आकर्षक व्यक्ति की ईर्ष्या बाहर निकालने के लिए इतना काफी है। इतनी तारीफ तो तब है जब 43 साल के इस अभिनेता ने अब तक हिंदी सिनेमा में कदम भी नहीं रखा है। महेश बाबू के पास सालों से उत्तर से आने वाले ऑफर की कोई कमी नहीं है। मुंबई के बड़े लोग उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, विंध्य के दोनों किनारों पर उनके बड़े प्रशंसक हैं। फिर भी, वह अपने समय को अंतहीन रूप से बांधते हुए प्रतीत होते हैं।

सोच कर देखिए, क्या हैदराबाद के सुपरस्टार को वास्तव में इस मोड़ पर करिअर के बड़े मील के पत्थर को पार करने के लिए हिंदी फिल्में साइन करने की आवश्यकता है? डब फिल्में जैसे, तेलुगु-तमिल की द्विभाषी फिल्म बाहुबली (2015/2017), मराठी की सैराट (2016) और हाल ही में आई कन्नड़ फिल्म केजीएफ: चेप्टर1 (2018) के कारण प्रांतीय सितारे, मुहावरे की भाषा में कहें तो ‘विस्फोटक’ रहे हैं। लेकिन यह उनके लिए बाध्यता नहीं है कि वे अपने घरेलू मैदान से निकल कर बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचें।  

अब यह अतीत की बात है कि क्षेत्रीय फिल्में एक खास दर्शक वर्ग के लिए होती थीं। अब, पूरे भारत में तारीफ पाने के लिए हिंदी सिनेमा के दायरे से बाहर के कंटेंट के कारण भाषाई बाधाएं टूट रही हैं। इसी ने सुदूर क्षेत्रों के सितारे प्रभास, महेश बाबू, दलकीर सलमान, राणा दुग्गुबती, दिलजीत दोसांझ आदि को राष्ट्रीय परिदृश्य पर छाने का अवसर दिया और घर-घर में जाना पहचाना नाम बना दिया। जाहिर सी बात है, इसका अधिकांश श्रेय निश्चित रूप से एसएस राजामौली की दो भागों वाली भव्य फिल्म, बाहुबली: द बिगिनिंग और इसके सीक्वल, बाहुबली 2: द कन्क्लूजन की शानदार सफलता को जाता है, जिसने दुनिया भर में 2,460 करोड़ रुपये का कारोबार किया। यह इस तथ्य के बावजूद था कि इनमें से कोई भी मूल हिंदी की फिल्म नहीं थी। यह उस उद्योग में है जहां बॉक्स ऑफिस ही किसी स्टार का निर्णायक होता है। तेलुगु स्टार प्रभास, जिन्होंने दोनों ही भागों में बाहुबली की भूमिका निभाई, का अगली किसी बड़ी चीज के लिए इंतजार किया जा रहा है। ट्रेड पंडितों को उम्मीद है कि स्वतंत्रता दिवस के दिन रिलीज होने वाली उनकी अगली बहुभाषी फिल्म सोहो से वह फिर बड़ा धमाका करेंगे भले ही वह बाहुबली से आधा कारोबार करे।

बॉलीवुड अपने बढ़ती उम्र वाले सुपरस्टारों की तेजी से घट रही शक्ति जैसे, खान तिकड़ी के साथ संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में यहां बड़े सितारों के लिए पर्याप्त जगह खाली दिखाई दे रही है। रणवीर सिंह (पद्मावत, सिंबा (2018, गली बॉय 2019) और रणबीर कपूर (संजू 2018) ने इन ब्लॉकबस्टर के जरिए पहले से ही अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है। लेकिन फिर भी बड़े क्षेत्रीय स्टारों के लिए जगह अभी भी खाली है।

इन सभी दावेदारों में प्रभास अग्रणी हो कर उभरे हैं, क्योंकि उनकी लोकप्रियता जुड़वां राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से कहीं आगे है। उनके घोर प्रशंसक पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में भी मिल जाएंगे, जहां तेलुगु नहीं बोली जाती। वह ऐसी लोकप्रियता का आनंद ले रहे हैं जिसने अतीत में दक्षिण में रहे श्रेष्ठ सितारों की चमक को फीका कर दिया है। गौर करने लायक बात यह है कि एक बड़े ऑटोमोबाइल प्रमुख ने, जिसने हमेशा अपने जांचे-परखे एक बड़े बॉलीवुड स्टार के साथ पूरे भारत में प्रचार किया, उसने अपनी एसयूवी की बिक्री बढ़ाने के लिए प्रभास को साइन कर लिया। ठीक यही एक मोटरसाइकिल ब्रांड ने किया!

दिलचस्प बात यह है कि भले ही प्रभास पिछले 17 सालों से तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में हैं और उनके क्रेडिट में कई हिट फिल्में हैं, लेकिन अब वे निर्देशक राजामौली के जुड़वां महाकाव्य के लिए जाने जाते हैं। 39 साल के इस अभिनेता ने आउटलुक को कहा, “यह महसूस करना वाजिब है कि बाहुबली का भारतीय सिनेमा के इतिहास पर इतना प्रभाव पड़ा है। दक्षिण भारत से आने वाली एक फिल्म को दर्शकों द्वारा पलकों पर बैठाना खुशी देता है। इसने पूरे भारत के साथ-साथ वैश्विक मंच पर भी क्षेत्रीय सिनेमा के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।” 

महेश बाबू इससे सहमत हैं। उन्होंने आउटलुक से कहा, “बाहुबली ने भारतीय सिनेमा के ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ दिए। देश भर के दर्शकों का एक दक्षिण भारतीय फिल्म पर इतना प्यार बरसाते देखना दिल को छू लेने वाला था। लेकिन बाहुबली सिर्फ दक्षिण भारतीय फिल्म नहीं थी। यह राजामौली सर की अखिल भारतीय फिल्म थी जिसने पूरे विश्व पर प्रभाव डाला।”

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि महान विषय-वस्तु की देश में हमेशा सार्वभौमिक अपील रही है, उनका कहना है कि बाहुबली की कहानी में एक भावनात्मक सार था जिससे सभी भाषाओं के दर्शकों ने बार-बार फिल्म देखी। बकौल महेश बाबू, “दृश्य, विषय, सेट, लोकेशन और वेशभूषा के मामले में इसकी तुलना हॉलीवुड की श्रेष्ठ महाकाव्य फिल्म से की जा सकती है।”

हालांकि, आलोचकों का मानना है कि किसी भी चीज से ज्यादा, बैक-टू-बैक फिल्मों की सफलता ने इस बात पर जोर दिया है कि एक वैश्विक हिट होने के लिए आपको बॉलीवुड अभिनेता होने की जरूरत नहीं है। स्थानीयता की पहचान वाला एक क्षेत्रीय सितारा भी टिकट खिड़की पर धूम मचा सकता है। यही वजह है कि आलोचक आश्चर्य करते हैं कि आखिर क्यों महेश बाबू ने अपनी बॉलीवुड की योजनाओं को मुल्तवी रखा है। महेश बाबू का कहना है, “यदि आपका काम आपको कहीं भी पहुंचाता है तो मुझे नहीं लगता कि दक्षिण या बॉलीवुड कोई मायने रखता है। जहां तक मेरा सवाल है, सभी बातें दर्शकों के प्यार पर निर्भर करती हैं।”

महेश बाबू के पास बॉलीवुड न जाने की जल्दबाजी का एक कारण है। ट्रेड एनालिस्टों के अनुसार उनकी डब की हुई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ही भीड़ नहीं जुटातीं हैं बल्कि टेलीविजन चैनलों  पर भी लगातार रिकॉर्ड तोड़ने वाली टीआरपी देती हैं। उदाहरण के लिए उनकी आखरी रिलीज भारत अने नेनू (2018) लगातार मुनाफा देती रही और हाल ही में इसके सैटेलाइट अधिकार 22 करोड़ में बिके जो किसी भी तेलुगू फिल्म के सबसे ऊंचे दाम थे। 

प्रभास और महेश बाबू के अलावा, एक और तेलुगु स्टार, जिसका नाम उल्लेखनीय रूप से बढ़ा, वह हैं राणा दुग्गुबती। राणा ने बाहुबली में खलनायक की भूमिका निभाई थी। 34 साल का यह सितारा अब अक्षय कुमार के साथ हाउसफुल 4 में काम कर रहा है। वह भी इसका श्रेय राजामौली की फिल्म को ही देते हैं। उन्होंने आउटलुक से कहा, “बाहुबली को हर जगह से खूब प्यार मिला क्योंकि इसकी कहानी हर दर्शक तक पहुंची। इसने विषयवस्तु के महत्व को समझाते हुए दर्शकों को दृश्यों की सौगात भी दी।” 

दम मारो दम (2011) से हिंदी सिनेमा में पदार्पण करने वाले दुग्गुबती बताते हैं कि बाहुबली बॉलीवुड और दक्षिणी सितारों के बीच की खाई को पाटने वाली पहली फिल्म नहीं थी। तीन भाषाओं में बन रही रोमांचक फिल्म हाथी मेरे साथी (राजेश खन्ना की 1971 की हिट की रीमेक नहीं) जिसे नवीनतम रुझानों को ध्यान में रखते हुए महागाथा की तरह रखा गया है। इसमें काम कर रहे दुग्गुबती कहते हैं, “मणिरत्नम की रोजा (1992) और बॉम्बे (1995) या इस मामले में राम गोपाल वर्मा की शुरुआती फिल्में जैसे शिवा (1990) और सत्या (1998) हमेशा अतीत में हैं, जिनमें दक्षिण भारतीय अभिनेताओं की प्रमुख भूमिकाएं थीं।”

निस्संदेह यह बाहुबली की सफलता है जिसने फंतासी और साहसिक फिल्मों के लिए एक प्रवृत्ति शुरू की और इन सितारों की मदद की। यदि बाहुबली की सफलता अभूतपूर्व नहीं होती, तो कन्नड़ फिल्म केजीएफ: चेप्टर1 के बॉक्स-ऑफिस रिटर्न (इस फिल्म ने भी अब तक दुनिया भर में लगभग 250 करोड़ रुपये कमाए हैं) ने ट्रेड पंडितों को आश्चर्यचकित किया होता। यहां तक कि केजीएफ: चेप्टर1 के हिंदी डब संस्करण की कमाई 45 करोड़ रुपये हुई, जबकि इसका मुकाबला शाहरुख खान के घरेलू प्रोडक्शन की जीरो के साथ था। केजीएफ ने इस फिल्म के नायक यश को अग्रिम पंक्ति में शुमार कर दिया है। 33 साल के यश ने इस फिल्म के सीक्वेल की शूटिंग शुरू कर दी है। उम्मीद है कि दूसरा भाग कमाई के मामले में पहले को भी पीछे छोड़ देगा।

इन सितारों की सफलता को एक तरह से बॉलीवुड में चलन के विपरीत देखा जा रहा है। अतीत में, दक्षिण से बड़े सितारे, कमल हासन, रजनीकांत और ममूटी हिंदी फिल्मों में बड़ा नाम बनने में असफल रहे थे। लेकिन अब, क्षेत्रीय सितारे मूल और डब फिल्मों के साथ अपनी उपस्थिति को हर तरफ से महसूस करा रहे हैं। पिछले साल मलयाली सितारे दलकीर सलमान ने इरफान के साथ कारवां के जरिए बढ़िया शुरुआत की थी। मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता ममूटी का यह बेटा अनुजा चौहान के सबसे ज्यादा बिकने वाले उपन्यास पर आधारित फिल्म द जोया फैक्टर में सोनम कपूर के साथ नजर आएगा।

हालांकि 32 वर्षीय इस स्टार का कहना है कि वह इस तरह से एक उद्योग से दूसरे में स्थानांतरित होने के लिए उत्सुक नहीं है। दलकीर का कहना है, “पहले मेरा ध्यान मलयालम सिनेमा पर ही रहेगा। लेकिन मैं हर जगह दिलचस्प काम करना चाहूंगा। मुझे उम्मीद है कि लोग इसे पसंद करेंगे।”

उड़ता पंजाब (2016) से बॉलीवुड में सशक्त शुरुआत करने वाले पंजाबी गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ को दो साल बाद सूरमा (2018) में भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह की भूमिका के लिए खूब तारीफ मिली थी। उन्होंने अनुष्का शर्मा की होम प्रोडक्शन फिल्म फिल्लौरी (2017) में भी शानदार भूमिका निभाई थी। अब दिलजीत की झोली में दो नए प्रोजेक्ट हैं। कीर्ति सेनन के साथ अर्जुन पटियाला और अक्षय कुमार, करीना कपूर के साथ गुड न्यूज। दिलजीत का कहना है, कि वह हर तरह के रोल करना चाहते हैं, किसी एक भूमिका में बंध कर रहना नहीं चाहते। वह कहते हैं, “हर प्रकार के रोल मुझे खुशी और संतोष देते हैं।” 

एक और लोकप्रिय पंजाबी अभिनेता जस्सी गिल ने भी सोनाक्षी सिन्हा के साथ हैप्पी फिर भाग जाएगी (2018) से बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद अब निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी की नई फिल्म पंगा में कंगना रणौत के साथ आ रहे हैं। बंगाली फिल्म, नगरकीर्तन में अपने अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले रिद्धि सेन ने पिछले साल अजय देवगन की होम प्रोडक्शन फिल्म हेलीकॉप्टर इला में काजोल के साथ काम किया था। हालांकि फिल्म नहीं चली लेकिन उनके काम को खूब सराहा गया।

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