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पंजाब: मितरां नूं शौक हथियारां दा...

लोकप्रिय गीतों में शस्त्र-प्रदर्शन के बढ़ते चलन ने पंजाब को खतरनाक मुहाने पर पहुंचा दिया
सिद्धू मूसेवालाः अपने वीडियो में हथियार लहराने वाले हो गए उसी का शिकार

मितरां नूं शौक हथियारां दा- ‘गन कल्चर’ को बढ़ावा देते ऐसे दर्जनों पंजाबी गीत युवाओं दिलो-दिमाग पर छाए हुए हैं। अपने गीतों के वीडियो में एके-47 जैसे शस्त्र लहराने वाले पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला एक दिन इन्हीं हथियारों का शिकार हो गए। कोरोनाकाल के दौरान सिद्धू मूसेवाला की एके-47 के साथ कई तस्वीरें वायरल हुई थीं। मूसेवाला का फायरिंग रेंज में शूटिंग करते हुए एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। पंजाब पुलिस ने 2020 में ‘गन कल्चर’ को बढ़ावा देने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत उनके ऊपर मुकदमा भी दर्ज किया था। यह कार्रवाई उनके गाने ‘पंज गोलियां’ के लिए की गई थी। इसके अलावा जुलाई 2020 में अभिनेता संजय दत्त पर आधारित मूसेवाला का गाना ‘संजू’ भी विवादों में रहा था। मूसेवाला के अलावा और भी कई पंजाबी गायक अपने गीतों के एल्बम में बंदूकों के साथ नजर आते हैं। पंजाब में गीतों के जरिये बढ़ते बंदूक प्रेम को रोकने के लिए 2019 में पंजाब और हरियाणा हाइ कोर्ट ने गायकों को फटकार लगाई थी। राज्य सरकार से भी ऐसे गीतों पर नजर रखने को कहा गया था पर कोर्ट की हिदायत बेअसर रही।

पंजाब में हथियारों के प्रति शौक का आलम ये है कि सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील पाकिस्तान की सीमा से सटे इस राज्य की तीन करोड़ की आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और बीएसएफ के पास उतने हथियार नहीं हैं जितने यहां के आम और खास लोगों के पास हैं। पंजाब पुलिस के पास करीब सवा लाख हथियार हैं जबकि लोगों के पास पांच लाख से अधिक लाइसेंसी हथियार हैं। इनमें भी मामूली राइफल या बंदूक नहीं बल्कि एक से एक महंगे अत्याधुनिक विदेशी हथियार हैं जो शादी-ब्याह के मौकों पर शानो-शौकत का प्रदर्शन करने के लिए सरेआम लहराए जाते हैं।

देश की कुल आबादी के मात्र दो फीसदी लोग पंजाब में रहते हैं जबकि देश के 10 फीसदी से अधिक लाइसेंसी हथियार अकेले पंजाब में हैं। गृह मंत्रालय के जनवरी 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 13 लाइसेंसी बंदूकें हैं। सरकारी सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि देश में अवैध हथियारों की संख्या करीब 6.20 करोड़ है और 40 लाख लाइसेंस हैं। हथियारों की जब्ती हो या उनसे हत्या, लाइसेंसी हथियारों की तुलना में अवैध हथियारों का आंकड़ा काफी ज्यादा है।

अमरिंदर सिंह

13 साल तक आतंक का संताप झेलने वाले पंजाब के लोगों ने आत्मरक्षा के लिए हथियार जुटाए हैं, इसलिए उन्हें अधिक हथियार रखने की छूट हो

अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, पंजाब

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी वर्ष 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में आर्म्स एक्ट के तहत 84,623 हथियार जब्त किए गए। इनमें 4044 लाइसेंसी और 80579 अवैध हथियार थे। सबसे अधिक 14 लाख लाइसेंसी हथियार उत्तर प्रदेश में हैं। दूसरे स्थान पर पंजाब के 3.60 लाख लोगों के पास हथियारों के लाइसेंस हैं। इनमें करीब 11 हजार लाइसेंस तो महिलाओं के नाम हैं। पंजाब में लाइसेंसी हथियारों की संख्या पांच लाख के पार जा चुकी है। यह संख्या 2012 में 3.75 लाख और 2016 में 4.50 लाख थी।

पंजाब में उग्रवाद को खत्म हुए दो दशक से अधिक बीत चुके हैं पर आत्मरक्षा के नाम पर बढ़ता हथियारों का जखीरा किसी खतरे से कम नहीं है। पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक शशिकांत के मुताबिक, “लाइसेंसी हथियार का उद्देश्य आत्मरक्षा है, लेकिन पंजाब में अपराध और आत्महत्या में लाइसेंसी हथियारों का इस्तेमाल होने के मामले बढ़ रहे हैं।” एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में 2015 से 2020 के बीच 350 से ज्यादा हत्याएं और वर्ष 2021 में  724 हत्याएं हथियारों से हुईं।

पैसे वाले लोगों के लिए शौक बड़ी चीज होती है। जिन रसूखदारों को आत्मसुरक्षा की दृष्टि से हथियारों की जरूरत नहीं है, उनके घरों के ड्राइंगरूम की दीवारों पर हथियार सजे होते हैं। यही हथियार कभी-कभार किसी की जिंदगी के लिए सजा बन जाते हैं। तीन महीने पहले 24 जून को पंजाब काडर के एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी संजय पोपली के चंडीगढ़ स्थित निजी आवास पर भ्रष्टाचार के आरोप में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की दबिश के दौरान पोपली के 26 वर्षीय जवान बेटे ने तैश में आकर घर में रखी पिस्तौल से खुदकुशी कर ली थी।    

हथियारों के मामले में अमेरिका के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। गन पॉलिसी डॉट कॉम के सर्वे के मुताबिक भारत के बाद तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर चीन, जर्मनी और फ्रांस हैं। अमेरिका में बंदूक या पिस्तौल खरीदने के लिए केवल तीन शर्तें पूरी करनी होती हैं, खरीददार की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए, उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि न हो और वह मानसिक रोग से ग्रसित नहीं होना चाहिए। इन आसान शर्तों की वजह से अमेरिका में बंदूक खरीदना सामान्य खरीदारी जैसा आसान है। भारत में जिला उपायुक्त के स्वीकृति पत्र के आधार पर गन स्टोर जाकर कोई भी बंदूक खरीद सकता है।

लोगों के बीच हथियारों के बढ़ते शौक पर लगाम कसने के लिए प्रति लाइसेंस तीन की जगह सिर्फ एक हथियार का प्रावधान संशोधित आर्म्स एक्ट, 2019 के तहत किया जाना था, जो नहीं हो पाया। 2019 में संसद में इसे कानून बनाने से पहले ही 15 सांसदों के दल ने कानून में नरमी के लिए गृहमंत्री अमित शाह पर दबाव बनाया। संशोधित कानून में एक की जगह दो हथियारों का प्रावधान भी देश के नीति-निर्धारकों को मंजूर नहीं था। नेताओं और कुछ राजघरानों के विरोध के चलते संशोधित आर्म्स एक्ट, 2019 में एक लाइसेंस पर हथियारों की संख्या तीन से घटाकर दो तो नहीं हो पाई पर अवैध हथियार रखने और उनको बनाने या बिक्री पर सात साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया। पुराने कानून में तीन से सात साल तक की सजा का ही प्रावधान था।

इस कानून की सख्ती से केवल खिलाडि़यों को बाहर रखा गया जो निशानेबाजी में राइफल, शॉटगन और हैंडगन तीनों का इस्तेमाल करते हैं। सार्वजनिक समारोह, शादी-ब्याह, धार्मिक जुलूसों, त्योहारों और दूसरे मौकों पर शानो-शौकत दिखाने के लिए फायरिंग करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना और दो साल तक जेल की सजा का प्रावधान हुआ पर फायरिंग का प्रदर्शन अभी तक जस का तस बना हुआ है।

पटियाला राजघराने से ताल्लुक रखने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने संशोधित आर्म्स एक्ट 2019 पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर एक लाइसेंस पर तीन हथियार का प्रावधान कायम रखने की मांग की थी। उनका तर्क था कि 13 साल तक आतंक का संताप झेलने वाले पंजाब के लोगों ने आत्मरक्षा के लिए हथियार जुटाए हैं, इसलिए उन्हें अधिक हथियार रखने की छूट हो। कैप्टन अमरिंदर की पत्नी परनीत कौर ने भी लोकसभा में इस कानून के खिलाफ आवाज उठाई थी। सांसद हरसिमरत कौर बादल ने तर्क दिया था कि पाकिस्तान से लगे सीमाई इलाकों की रिहाइशों में रहने वाले लोगों को अपने जानमाल की हिफाजत के लिए  हथियारों की अधिक जरूरत है।

पंजाब में हथियारों के बढ़ते शौक पर नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुत्र रणिंदर सिंह ने आउटलुक से कहा, “गुरु गोबिंद सिंह जी ने सम्मान स्वरूप पटियाला के राजसी परिवार को बहुत से हथियार दिए थे। ऐसे हथियारों का ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्व समझते हुए कुछ समुदायों के लिए हथियारों की संख्या सीमित करना सही नहीं है।”

नेशनल एसोसिएशन फॉर गन राइट्स इंडिया के सचिव अभिजीत सिंह का कहना है, “विरासत में मिले हथियार सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं। राजसी परिवार विरासत में मिले हथियार घर में रख सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें हथियारों को निष्क्रिय करना होगा ताकि उनसे फायरिंग न हो सके और इन हथियारों को लाइसेंस के दायरे से भी हटवाना पड़ेगा।”

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