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अंदरखाने

सियासी दुनिया की हलचल
संजय राउत

सचिन वझे की बहाली को लेकर पार्टी के नेताओं को चेताया था कि वह पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। वही हुआ जिसका डर था। संजय राउत, सांसद शिवसेना

 

अपने ही फेर में फंसे

माननीय की झारखंड की राजनीति में अलग पहचान है। सत्‍ता में रहें या बाहर, सरकार की बखिया उधेड़ना नहीं भूलते। बखिया ऐसी उधेड़ते हैं कि घोटाले और सरकारी दस्‍तावेज किताब की शक्‍ल ले लेते हैं। ऐसी दो किताब आ चुकी हैं। अब पूर्व मुख्‍यमंत्री हो चुके नेता और नई सरकार के विभागों पर उनके हमले शुरू हो गए हैं। जानने वाले कहते हैं न उनसे दोस्‍ती बेहतर न बैर। अब एक व्‍यक्ति ने माननीय के एनजीओ को लेकर ही सवाल उठा दिया है कि उन्होंने गलत तरीके से मोटी कमाई की है। अब माननीय भीतर से बेचैन हैं। सफाई में अपने ऊपर लगे आरोपों की दिल्‍ली वाली एजेंसी से जांच की मांग कर दी है।

आग के बदले टिकट

बिहार में डेढ़ दशक तक सत्‍ता में रही पार्टी के जगत चाचा का देहावसान हो गया। लोग अंतिम संस्‍कार में घाट पहुंचे। मुखाग्नि के लिए आग डोमराजा की तरफ से दिए जाने की परंपरा है। मोल-भाव ऐसा होता है कि पूछिये मत। खैर चाचा का मामला था, युवराज भी घाट किनारे पहुंचे। वीआइपी भीड़ देख डोमराजा की आंखें चौंधिया गईं। माजरा समझ में आया तो युवराज से आग देने के एवज में दानापुर विधानसभा से टिकट का आश्‍वासन और एक लाख रुपये की मांग कर दी। दानापुर की जिस सीट से टिकट का आश्‍वासन मांग रहे थे, वहां के हिस्‍ट्रीशीटर दबंग विधायक भी घाट पर मौजूद थे। खैर आश्‍वासन मिला कि आपको संतुष्‍ट करने लायक मिलेगा। तब डोमराजा ने आग देने की परंपरा निभाई। टिकट के आश्‍वासन का क्‍या हुआ, पता नहीं।

होटल मालिक का सहारा

झारखंड के एक बड़े बाबू की पुरानी सरकार में खूब चलती थी। खनन का भी अनुभव था, सो राजा साहब भी हर तरफ की संभावनाएं ढूंढ़ते थे। राजा साहब के खास थे। खैर सत्‍ता गई तो नए राज में तलब किए गए। दो-तीन चक्‍कर लगे तो संदेश फैलने लगा कि यहां भी सेटिंग कर ली है। मीडिया में भी इसी तरह की खबरें तैरने लगीं। मगर बंद कमरे में तो साहब का पूरा इंट्रोगेशन चलता था। पुराने राजा की आर्थिक किलेबंदी को बिखेरने वाले सवाल होते थे। कहीं कुछ नहीं सूझ रहा था कि किससे पैरवी लगाएं। अंतत: एक होटल मालिक को पकड़ा तब चैन की सांस मिली। यहां दम घुटता था सो किसी तरह इंतजाम कर साहब अब दिल्‍ली चले गए हैं। अब किसकी मजाल जो कोई हाथ लगा दे।

मंत्रियों की लगेगी क्लास

मध्य प्रदेश में मंत्रियों के काम पर निगरानी मुख्यमंत्री ही नहीं, पार्टी संगठन और संघ भी रखता है। संघ को कुछ मंत्रियों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं। भ्रष्टाचार और परिवार के लोगों के विभाग के कामों में दखल देने की शिकायतें हैं। संघ ने इन शिकायतों की अपने माध्यमों से पुष्टि भी कर ली है। अब इन मंत्रियों की क्लास लगने वाली है। संघ अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देने वाला है। सभी मंत्रियों को पहले ही हिदायत दी जा चुकी है कि अपनी कार्यशैली साफ-सुथरी रखें। इसके बाद भी कई मंत्री आदत से मजबूर हैं।

प्रमोटी आइएएस की तलाश

शिवराज सिंह के पिछले कार्यकाल में प्रमोटी आइएएस का दबदबा था। वजह, मुख्यमंत्री सचिवालय में एक व्यक्ति उनके हितों का ख्याल रखता था। नए कार्यकाल में वे नहीं रहे और उनकी जगह किसी को मिली नहीं। ऐसे में कलेक्टर बनने की चाह रखने वाले प्रमोटी आइएएस नए दरवाजे तलाश रहे हैं, जहां वे अपना दुखड़ा रो सकें। शिवराज के नए कार्यकाल का एक वर्ष बीतने के बाद भी उन्हें मजबूत दरवाजा नहीं मिला है। जाहिर है परेशानी बढ़ रही है और उम्मीदें टूटती जा रही हैं।

घर वापसी का सच

केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के एक नेता की पैतृक संगठन में वापसी हुई है। कहने को तो काबिलियत के आधार पर वापस बुलाया गया है और आगे बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, लेकिन वे काफी समय से घर वापसी के लिए बेताब थे। सत्ताधारी पार्टी में उनकी हैसियत पहले जैसी नहीं रह गई थी। आगे भी बेहतरी की संभावना नहीं थी। नेता जी जिनके चहेते हुआ करते थे, वहां से भी कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहा था। इसलिए घर वापसी ही एकमात्र उम्मीद रह गई थी।

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