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क्रिकेटः सिराज की जादुई चमक

इंग्लैंड से 2-2 पर ड्रॉ टेस्ट सीरीज में आखिरी ओवल टेस्ट में 6 रनों की चमत्कारी जीत में सिराज की गेंदों का कमाल था
मोहम्मद सिराज

भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही में समाप्त हुई एंडरसन-तेंडुलकर ट्रॉफी न केवल शुभमन गिल, जो रूट और बेन स्टोक्स के प्रदर्शन के लिए याद की जाएगी, बल्कि मोहम्मद सिराज के नाम से भी जानी जाएगी। इस पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में सिराज ने शानदार गेंदबाजी से क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। खास तौर पर पांचवें टेस्ट में, जहां भारत ने रोमांचक मुकाबले में इंग्लैंड को 6 रन से हराकर सीरीज 2-2 से बराबर की। इसमें सिराज ने 9 विकेट लेकर इतिहास रचा। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच का सम्मान भी मिला। पूरी सीरीज में उन्होंने 23 विकेट लिए, जो सबसे अधिक रहे। शुभमन गिल के बाद वे टीम के दूसरे बड़े हीरो के रूप में उभरे। इसी सीरीज के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने 200 विकेट भी पूरे किए। यह उनके करियर का एक और बड़ा माइलस्टोन है। ओवल टेस्ट में उनकी गेंदबाजी ने मैच का रुख ही पलट दिया। उन्होंने दूसरी पारी में लगभग अकेले अपने दम पर इंग्लैंड की बल्लेबाजी क्रम को ध्वस्त कर दिया। फ्लैट पिच हो या चुनौतीपूर्ण ट्रैक, उन्होंने हर बार अपनी काबिलियत साबित की। फिर भी, कई विशेषज्ञों और प्रशंसकों का मानना है कि उन्हें उनके योगदान को वैसा श्रेय नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं।

सिराज का जन्म 13 मार्च 1994 को हैदराबाद, तेलंगाना में हुआ था। साधारण परिवार से आने वाले सिराज के लिए आर्थिक तंगी हमेशा चुनौती रही। उनके पिता मिर्जा मोहम्मद गौस ऑटो रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करते थे। मां शबाना बेगम गृहिणी थीं। सिराज के पास न सही जूते थे, न बस का किराया। उन्होंने टेनिस बॉल से गेंदबाजी की शुरुआत की। 2016-17 की रणजी ट्रॉफी में 41 विकेट लेकर वे पहली बार सुर्खियों में आए। सिराज के लिए हमेशा कहा जाता है कि वे डोमेस्टिक क्रिकेट की भट्टी में पके गेंदबाज हैं। इसी संघर्ष ने उन्हें आइपीएल का टिकट भी दिलाया।

आइपीएल ने उनके करियर को नया आयाम दिया। 2017 में सनराइजर्स हैदराबाद से शुरुआत करने के बाद वे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू का अहम हिस्सा बने। गेंदबाजी में उनके अनूठे प्रदर्शन ने उन्हें फ्रेंचाइजी क्रिकेट में भी अलग पहचान दिलाई। सिराज रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू के लिए कई साल अहम भूमिका निभाते रहे। 2025 की नीलामी में गुजरात टाइटंस ने उन्हें 12.25 करोड़ रुपये में खरीदा, जो उनकी लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाता है। विश्व की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में उन्होंने अब तक 109 विकेट चटकाए हैं। आइपीएल के इसी अनुभव ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आत्मविश्वास और आक्रामकता दी। सिराज ने 2017 में टी20 क्रिकेट से ही भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था।

सिराज के करियर में विराट कोहली का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण रहा है। 2020-21 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जब उन्होंने टेस्ट डेब्यू किया, उस समय कोहली ने उनका हर कदम पर साथ दिया और उन्हें मौके दिए। सिराज कई बार कह चुके हैं कि कोहली ने मुश्किल वक्त में उनका साथ दिया। कोहली ने ही उन्हें पिच पर आक्रामकता बनाए रखने और बाहर के दबाव को नजरअंदाज करने की सलाह भी दी। टीम में एक वरिष्ठ खिलाड़ी का इतना भरोसा उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाता रहा। सिराज का टेम्परामेंट इस बात से भी पता चलता है कि 2020 में पिता के निधन के बावजूद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे में शानदार प्रदर्शन किया। यही उनके संकल्प और मानसिक मजबूती की मिसाल है।

मोहम्मद सिराज गाबा की उस प्रसिद्ध जीत में भी शामिल थे, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर उनका गुरूर तोड़कर लगातार दूसरी सीरीज अपने नाम की थी। 2023 विश्व कप में भी उन्होंने 11 विकेट चटकाए थे। इसके बाद, 2024 में जब भारत ने टी20 विश्व कप जीतकर आइसीसी ट्रॉफी का कई साल का सूखा खत्म किया, तब भी वे टीम के महत्वपूर्ण अंग थे। हालांकि, बीच में ऐसे मौके भी आए, जब सिराज की गेंदबाजी पर सवाल उठे। उन्हें इस साल आइपीएल से पहले आरसीबी ने अपने खेमे से अलग कर दिया। सबसे ताजा उदाहरण इसी साल चैंपियंस ट्रॉफी का है, जब उन्हें भारतीय टीम में नहीं चुना गया। तब भारतीय वनडे कप्तान रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलकर कहा था कि सिराज पुरानी गेंद के साथ उतने प्रभावी नहीं हैं। इसके बाद, सिराज ने जो किया वो अपने आप में मिसाल है। सिराज न केवल आइपीएल में गुजरात के लिए शानदार अवतार में दिखे, बल्कि इस बार इंग्लैंड दौरे पर भी उन्होंने खुद को कई पायदान बढ़ाकर बता दिया कि उन्हें गलतियों से सीखना आता है।

इस सीरीज में जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी ने सिराज को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी। बुमराह वर्कलोड मैनेजमेंट और चोट के कारण केवल तीन मैच खेल पाए, जबकि सिराज ने पांचों टेस्ट खेले और पूरी आक्रमकता के साथ नेतृत्व किया। बुमराह के बिना खेले गए मैचों में उनके आंकड़े और भी निखरे। उनके औसत और स्ट्राइक रेट, दोनों में सुधार दिखा। गेंदबाजी की दिशा, लगातार अनुशासित बने रहने, तेज गेंदों के साथ सटीक स्विंग और नई गेंद के साथ बेहतर मूवमेंट ने उन्हें इंग्लैंड की बल्लेबाजी के लिए सबसे बड़ा खतरा बना दिया। कई मौकों पर, खासकर निर्णायक पलों में, उन्होंने मैच को भारत की ओर मोड़ने का काम किया। विदेशी पिचों पर उनका प्रदर्शन बताता है कि वे सिर्फ घर में ही नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण बाहरी स्थितियों में भी उतने ही प्रभावी हैं।

मेलबर्न में डेब्यू टेस्ट में 5 विकेट, गाबा में 6 विकेट लेकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाना, 2025 के ओवल टेस्ट में 9 विकेट लेना ये सभी उनके करियर के ऐसे अध्याय हैं, जो दिखाते हैं कि दबाव में वे अपने खेल का स्तर ऊपर ले जा सकते हैं। उनकी गेंदबाजी में विविधता, तेजी और दोनों दिशाओं में स्विंग करने की क्षमता ने उन्हें विश्व क्रिकेट में भरोसेमंद नाम बनाया है। टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों प्रारूपों में सिराज ने भारत के लिए अहम योगदान दिया है। 2023 के एशिया कप फाइनल में 6/21 का उनका स्पेल आज भी याद किया जाता है, जिसने श्रीलंका को मात्र 50 रन पर ढेर कर दिया। यह प्रदर्शन दिखाता है कि वह सिर्फ टेस्ट में नहीं, बल्कि सीमित ओवरों में भी घातक हैं।

आज की तारीख में मोहम्मद सिराज सिर्फ एक तेज गेंदबाज का नाम नहीं है। बल्कि यह भारतीय क्रिकेट में संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास का प्रतीक बन गए हैं। 2025 की इंग्लैंड सीरीज ने यह साबित कर दिया कि वे अब टीम के सहायक नहीं, बल्कि लीडर की भूमिका में हैं। आने वाले वर्षों में उनकी और बुमराह की जोड़ी भारतीय तेज गेंदबाजी का चेहरा बन सकती है। उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखते हैं। सिराज की सूरज सी चमक अभी और तेज होना बाकी है। उनके प्रशंसक इसके इंतजार में हैं।