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सियासी पिच पर नया सिद्धू शॉट

डेढ़ साल बाद अमरिंदर कैबिनेट में हो सकती है वापसी, कॉमेडी शो में भी दिख सकते हैं पूर्व क्रिकेटर
नवजोत सिंह सिद्धू

नाम है सिद्धू। सिद्धू पा जी (भाई जी)। जिद के पक्के। इसी जिद के चलते सदैव सुर्खियों में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने करीब डेढ़ साल एकांतवास में बिताए। लेकिन अब सिद्धू फिर से सियासी पिच पर जमने के लिए तैयार हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरींदर सिंह से 25 नवंबर को राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर बातचीत के लिए लंच का न्यौता मिला। अब पंजाब में बतौर कैबिनेट मंत्री उनकी वापसी हो सकती है। यही नहीं, सोनी टीवी पर कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में भी उनकी शेरो-शायरी का दौर शुरू हो सकता है।

अमरिंदर सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने और कपिल शर्मा के कॉमेडी शो से हटने के बाद सिद्धू ने अमृतसर स्थित अपने होली निवास और कटरा (वैष्णो देवी) में दिन बिताए। अमृतसर से विधायक होने के बावजूद उन्होंने डेढ़ साल तक पंजाब विधानसभा का रुख नहीं किया। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में आंदोलनरत किसानों के पक्ष में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों ‘खेती बचाओ यात्रा’ की, तो उसमें सिद्धू नजर आए। यह साफ संकेत था कि वे एक बार फिर सार्वजनिक जीवन में लौट रहे हैं।

इस बीच, अमृतसर में अपने आवास पर उनकी कपिल शर्मा से मुलाकात हुई। उसके बाद सिद्धू की कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में वापसी की चर्चा है। 10 नवंबर को सिद्धू से मुलाकात के दौरान कपिल शर्मा ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि सिद्धू पा जी जल्द हमें हंसाते नजर आएंगे। शो में उनकी कमी खल रही है।”

सिद्धू के करीबी अंगद सिंह सोही के मुताबिक करीब दो घंटे की मुलाकात में दोनों के बीच सिद्धू की शो में वापसी को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। कोविड के चलते बंद हुए इस शो को भले फिर से शुरू किया गया है, पर दर्शकों की गैर-मौजूदगी में शो पहले जैसी टीआरपी नहीं बटोर पा रहा है। इसलिए शो में जान डालने के लिए अर्चना पूरन सिंह की जगह फिर से सिद्धू को वापस लाने की तैयारी है।

साल भर पहले गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर पाकिस्तान में करतारपुर साहिब कॉरीडोर खुला तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दोस्त इमरान खान की मेहमाननवाजी से सिद्धू सुर्खियों में आए थे। मजाक में ही सही, इमरान ने कह दिया कि सिद्धू पाकिस्तान में इतने मशहूर हैं कि वे यहां चुनाव लड़ें तो जीत जाएंगे। सिद्धू और इमरान की इस गर्मजोशी भरी मुलाकात से देश में सिद्धू की सियासत और शोहरत सवालों में घिर गई।

बात तब और बिगड़ गई जब 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले के बाद सिद्धू ने एक तरह से पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी। हमले की निंदा करते हुए उन्होंने दोषी लोगों को सजा दिए जाने की मांग तो की, लेकिन इसके साथ यह भी कह दिया कि कुछ लोगों की करतूत के लिए किसी राष्ट्र को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इससे पहले इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भी वे पाकिस्तान गए थे और वहां आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को गले लगाया था। पुलवामा घटना पर टिप्पणी के बाद उनकी काफी आलोचना होने लगी तो उन्हें कपिल शर्मा के कॉमेडी शो से बाहर होना पड़ा। उधर, अमरिंदर सरकार की कैबिनेट में स्थानीय निकाय जैसा अहम महकमा छिनने के बाद सिद्धू इस्तीफा देकर कांग्रेस की सियासत से भी दूर हो गए।

कैप्टन अमरिंदर से रूठे सिद्धू सार्वजनिक मंचों से कई बार कह चुके हैं कि उनके कैप्टन तो राहुल गांधी हैं। रेत और केबल टीवी माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न किए जाने से नाराज सिद्धू कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ मुखर रहे हैं। उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क संचालकों के खिलाफ स्थानीय निकाय कर और जीएसटी की चोरी का मामला उजागर किया था। फॉस्ट-वे केबल टीवी नेटवर्क मामले में पूर्व उप-मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल के करीबी गुरदीप सिंह पर टैक्स चोरी के आरोप लगे थे। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से खिन्न सिद्धू ने राज्य सरकार पर केबल और रेत माफिया से मिलीभगत के आरोप लगाए थे।

सिद्धू डेढ़ वर्षों तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहे तो उस दौरान उनसे मिलने कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके घर नहीं गया। अमृतसर जिले की 11 विधानसभा सीटों में से 10 पर कांग्रेस के विधायक हैं, और उनमें से दो कैप्टन अमरिंदर सरकार में मंत्री हैं। लेकिन अमृतसर में रहकर भी सिद्धू ने उनसे कोई संपर्क नहीं रखा। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पंजाब में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया। कांगेस के स्टार प्रचारक के तौर पर वे देश के अन्य राज्यों में गए, पर पंजाब में उन्होंने एक भी दिन प्रचार नहीं किया।

पिछले दिनों सिद्धू की आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मेलजोल की खबरें भी आईं। इसके बाद पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू को पार्टी की मुख्यधारा में वापसी के लिए जोर लगाया।

उत्तराखंड से सबक लेते हुए रावत की कोशिश है कि मुख्यमंत्री से नाराज रहने वाले सिद्धू और प्रताप बाजवा जैसे नेताओं को मुख्यधारा में शामिल कर पंजाब कांग्रेस को मार्च 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार किया जाए। रावत दो बार सिद्धू से उनके अमृतसर स्थित निवास पर मिल चुके हैं। रावत ने आउटलुक से कहा कि नाराज साथियों को मनाकर पार्टी की मुख्यधारा में शामिल किया जा रहा है। रावत की कोशिशों का पहला असर तब दिखा जब सिद्धू 28 अक्टूबर को विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल हुए। केंद्र के कृषि कानूनों के ‌खिलाफ कैप्टन के विधेयकों की जमकर तारीफ भी की।

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