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कोरोना की वजह से बच्चों के सिर से छिना साया

कोरोना काल में 1 लाख से ज्यादा बच्चे अनाथ

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अप्रैल 2020 के बाद से देश के 1 लाख 47 हजार 492 बच्चों ने अपने माता-पिता में दोनों या किसी एक को गंवा दिया है। आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले करीब दो साल में अनाथ हुए बच्चों में ज्यादातर के माता-पिता की जान कोरोनावायरस या फिर किसी अन्य घटना में गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा था कि कोरोना महामारी के दौरान अपने माता-पिता को गंवा देने वाले बच्चों की वास्तविक संख्या क्या है। आयोग ने कोर्ट को बताया कि ये आंकड़े 11 जनवरी 2021 तक के हैं और इन आंकड़ों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से 'बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर' में दिए गए डेटा के आधार पर जुटाया गया है।

एनसीपीसीआर के मुताबिक, 11 जनवरी तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, देश में अप्रैल 2020 से लेकर अब तक माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों की संख्या 10 हजार 94 थी, जबकि सिर्फ मां या पिता में किसी एक को खोने वाले बच्चों की संख्या 1 लाख 36 हजार 910 है। इसके अलावा किसी कारणवश छोड़ दिए गए बच्चों की संख्या देश में 488 है। सभी आंकड़ों को जोड़ कर देश में अनाथ हुए बच्चों की संख्या 1 लाख 47 हजार 492 पहुंच गई है।

आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, देश में 76 हजार 508 लड़कों ने अपने माता-पिता को खो दिया, जबकि लड़कियों में यह संख्या 70 हजार 980 है। इस संख्या में चार ट्रांसजेंडर बच्चे भी शामिल हैं। महामारी के दौरान आठ से 13 साल के 59,010 बच्चे, 14-15 साल के 22 हजार 763 बच्चे, 16-18 साल के 22,626 बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। जबकि चार से सात साल के बीच के 26,080 बच्चों के माता या पिता या दोनों दुनिया छोड़ कर चले गए। कोविड और अन्य कारणों से माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों में सबसे ज्यादा संख्या ओडिशा (24,405) से है। इसके बाद महाराष्ट्र (19,623), गुजरात (14,770), तमिलनाडु (11,014), उत्तर प्रदेश (9,247), आंध्र प्रदेश (8,760), मध्य प्रदेश (7,340), पश्चिम बंगाल (6,835) दिल्ली (6,629) और राजस्थान (6,827) का नंबर है।

इन बच्चों की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए एनसीपीसीआर ने बताया कि अधिकतम बच्चे (1,25,205) माता या पिता में से किसी एक के साथ रह रहे हैं। 11,272 बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ और 8,450 बच्चे अभिभावकों के साथ रह रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि 1,529 बच्चे बाल गृहों में, 19 खुले आश्रय गृहों में, दो अवलोकन गृहों में, 188 अनाथालयों में, 66 विशेष गोद लेने वाली एजेंसियों में और 39 छात्रावासों में हैं।

नन बलात्कार मामले में बिशप बरी

बिशप मुल्लक्ल

कोट्टायम की विशेष अदालत ने नन बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुल्लकल को बरी कर दिया है। फ्रैंको मुलक्कल भारत के पहले कैथोलिक बिशप हैं, जिन्हें शोषण जैसे किसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। मुल्लकल ने अदालत से बाहर आकर कहा, “भगवान सर्वोच्च हैं, सत्य की जीत हुई।” मुल्लकल पर 2014 और 2016 के बीच कई बार नन के साथ रेप करने का आरोप लगा था। कोट्टायम की अदालत में 100 दिनों से अधिक ज्यादा समय तक यह मुकदमा चला। पीड़िता नन ने आरोप लगाया था कि 2014 और 2016 के बीच रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर के तत्कालीन बिशप फ्रेंको ने कई बार उनका यौन शोषण किया गया था।

सितंबर 2018 में बिशप को गिरफ्तार किया गया था। उनपर नन को कैद में रखने, बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाए गए थे। बिशप के बरी हो जाने पर शोषण मामले में जांच का नेतृत्व कर रहे कोट्टायम के एसपी हरीशंकर ने आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद थी कि आरोपी को सजा दी जाएगी। अब हम आगे अपील करेंगे।”

बुल्ली ऐप मामले में जमानत अर्जी खारिज

बुल्ली ऐप मामले में गिरफ्तार आरोपी बिश्नोई

 

मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले ऐप बुल्ली बाई मामले में दिल्ली की एक अदालत ने ऐप बनाने वाले नीरज बिश्नोई की जमानत अर्जी खारिज कर दी। जमानत खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि इस ऐप पर अपमानजनक एवं सांप्रदायिक सामग्री है, साथ ही इसके जरिये मुस्लिम महिलाओं के विरुद्ध मानहानिकारक अभियान चलाया जा रहा था। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने आरोपी बिश्नोई को राहत देने से इनकार कर दिया।

बुल्ली बाई ऐप पर सोशल मीडिया पर चर्चित खास समुदाय की महिला पत्रकारों, एक्टिविस्ट एवं अपनी राय जाहिर करने वाली महिलाओं को निशाना बनाया जाता था। इस ऐप पर उनकी फोटो अपलोड कर उनकी बोली लगाई जाती थी। ऐसा करने का मकसद उनका अपमान करना होता था। अपने बचाव में बिश्नोई ने अदालत से कहा कि उसे झूठे तरीके से फंसाया गया है और उसका इस ऐप से कोई लेना-देना नहीं है।

22 साल का नीरज बिश्नोई असम के जोरहाट जिले के दिगंबर इलाके का रहने वाला है और वह वेल्लूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी में बीटेक का छात्र है। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की फ्यूजन ऐंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस यूनिट की टीम ने असम से उसे गिरफ्तार किया।

अधिकारी सीखेंगे सांकेतिक भाषा

हरियाणा में अधकारी सीख रहे सांकेतिक भाषा

 

हरियाणा के करनाल में सरकारी कार्यालयों के विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मूक-बधिरों की सांकेतिक भाषा सीखेंगे। जिला प्रशासन ने यह तैयारी की है। पहले चरण में सिर्फ ऑफलाइन कक्षाएं होंगी। दूसरे चरण में कक्षा को ऑनलाइन भी रखा जाएगा, जिसमें प्रदेश के कई जिलों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकेंगे।

राज्य सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि प्रदेश में मूक बधिरों की संख्या हजारों में है। पहले चरण में स्वास्थ्य, बैंक, रोडवेज कर्मियों को शामिल किया गया है। सरकार का कहना है कि इन चारों विभागों में मूक-बधिर लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी आती है। डॉक्टरों को सांकेतिक भाषा न आने पर उन्हें मूक-बधिरों के इलाज में परेशानी आती है। बैंक और डाक घर कर्मी खाता खोलने और लेन-देन संबंधित कार्य नहीं कर पाते। इसके अलावा रोडवेज में कंडक्टर को मूक-बधिर का टिकट काटने में दिक्कत आती है।

राम गोपाल वर्मा

सितारों के तलाक, युवाओं को विवाह के खतरों के बारे में चेताने के लिए अच्छा चलन है

राम गोपाल वर्मा, फिल्मकार

कदमों के निशां

बीच बहस में

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