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शहरनामा/चंडीगढ़

भारत का पहला सुनियोजित शहर
यादों में शहर

सिटी ब्यूटीफुल

सुंदर पहाड़ों के नजदीक झील के किनारे बसा हरा-भरा शहर चंडीगढ़ भारत का पहला सुनियोजित शहर है। जिसे ज्यादातर लोग ‘सिटी ब्यूटीफुल’ के नाम से जानते हैं।  यह बुद्धिजीवियों का भी शहर है। इसलिए इसे सिटी ऑफ इंटेलेक्चुअल भी कहते हैं। हड़प्पा और मोहे जो दाड़ो सभ्यता की तर्ज पर बने इस शहर में बहुत से लोगों का सपना है कि वे यहां अपना घर बनाकर रहे। महंगी जमीन होने के कारण ज्यादातर लोगों का यह सपना केवल सपना बनकर रह जाता है। विदेशों में तो कहा भी जाता है कि अगर आप भारत के चंडीगढ़ में रह रहे हो, तो मानो आप यूरोप में रह रहे हो। यह शहर हर किसी को खुले हाथों से अपना लेता है। ओपन हैंड का निशान आपको शहर में एंट्री करने से पहले स्वागत करते हुए हर दिशा में मिलेगा। यह ओपन हैंड का निशान इस छोटे-से शहर की पहचान है। शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे इस शहर में बहुत-सी जगह ऐसी हैं, जो मन मोह लेती हैं।

साइकिल की सवारी

इस शहर को फ्रांस के वास्तुविद ला कार्बुजिए ने डिजाइन किया था। इसलिए यह अपनी विश्व प्रसिद्ध वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। यह शहर प्राकृतिक संरक्षरण और आधुनिकीकरण का संयुक्त मिश्रण है। यहां की खुली सड़के और बड़े-बड़े गोल चक्कर यहां की पहचान हैं। सड़कों के किनारे अलग से साइकिल ट्रैक बने हैं। कहा जाता है कि इस शहर को साइकिल राइडिंग के हिसाब से ही बनाया गया था।

चंडी माता से लिया नाम

चंडीगढ़ शहर का नाम देवी चंडी माता के नाम पर है। चंडीगढ़ के बॉर्डर पर पंचकूला के पास प्रसिद्ध चंडी माता का मंदिर है। पर्यटक स्थल के रूप में बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए आते हैं। भारत-पाकिस्तान के विभाजन से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर थी। लेकिन 1947 में जब भारत विभाजन हुआ तो लाहौर पाकिस्तान में चला गया और पंजाब के लिए नई राजधानी की जरूरत पड़ी। चंडीगढ़ की नींव 1952 में रखी गई। इसके निर्माण में प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और राज्यपाल चन्देश्वर प्रसाद की बेहद अहम भूमिका थी। नेहरू चंडीगढ़ को आधुनिक भारत के सबसे सुंदर शहर के रूप में देखना चाहते थे। उन्होंने अपने इस सपने को साकार करके छोड़ा।

सुकून देती सुखना लेक

शहर की शान सुखना लेक का निर्माण 1958 में एक कृत्रिम झील के रूप में किया गया था। इससे पहले यहां सुखना चोई धारा प्रवाहित हुआ करती थी, जिसके जल को संचित कर ही झील को बनाया गया था। यह झील मछलियों, सारस और साइबेरियन बत्तख समेत कई देशी-विदेशी पक्षियों का निवास स्थल है। यहां स्केच आर्टिस्ट पर्यटकों की सुंदर तस्वीरें उकेरते हुए आम दिखाई पड़ते हैं। बारिश में यह शहर और भी खूबसूरत हो जाता है। सुखना लेक के किनारे बारिश में शिवालिक की पहाड़ियों को निहारना बहुत सुकून देता है। 

पत्थरों, गुलाबों की नगरी

पंजाबी कवि शिवकुमार बटालवी ने इस शहर को पत्थरों का शहर भी कहा है। विश्व प्रसिद्ध रॉक गार्डन इसी शहर में स्थित है, जिसे डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट मटेरियल के आधार पर बनाया गया है। इसका निर्माण स्वर्गीय नेकचंद ने किया था। यह जगह अपने झरनों और झूलों की वजह से भी जानी जाती है। एशिया का सबसे बड़ा रोज गार्डन भी यहीं है, जिसका नाम जाकिर हुसैन रोज गार्डन है। यहां गुलाब के पौधों की हजार से ज्यादा प्रजातियां हैं। हर वर्ष वैलेंटाइन डे के मौके पर यहां रोज फेस्टिवल भी होता है। प्रेमी जोड़ों के लिए यह स्थान उपयुक्त है। शहर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जहां छोटे-बड़े बगीचे न हो। अपने पेड़-पौधों, बगीचों की वजह से ही यह शहर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है। रोज गार्डन, रॉक गार्डन, जैपनीज गार्डन, टेरेस गार्डन, बर्ड पार्क आदि अनेक स्थान हैं जिन्हें देखे बिना आप रह नहीं पाएंगे। 

पृथ्वीराज कपूर की विरासत

चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स को यूनेस्को ने 2014 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया है। इस कॉम्प्लेक्स में हाइकोर्ट, सचिवालय और विधानसभा का क्षेत्र सम्मिलित है, इसकी वास्तुकला विश्व प्रसिद्ध है। यहां हरियाणा और पंजाब के अनेक प्रशासनिक भवन हैं। यहां का ओपन हैंड स्मारक कला का उत्तम नमूना है। पुलिस सिक्योरिटी में ही पर्यटकों को यह जगह दिखाई जाती हैं। चंडीगढ़ में अनेक संग्रहालय हैं। यहां के सरकारी संग्रहालय और कला दीर्घा में गांधार शैली की अनेक मूर्तियों का संग्रह देखा जा सकता है। ये मूर्तियां बौद्ध काल से संबंधित हैं। संग्रहालय में अनेक लघु चित्रों और प्रागैतिहासिक कालीन जीवाश्म को भी रखा गया है। सेक्टर दस का संग्रहालय देखने लायक है। सेक्टर 23 के अंतरराष्ट्रीय डॉल्स म्युजियम में दुनिया भर की गुड़ियाओं और कठपुतलियों को रखा गया है। पृथ्वीराज कपूर की विरासत यहां का टैगोर थिएटर साहित्य और कला की दृष्टि से शहर का सबसे चर्चित स्थान है। आए दिन विश्व प्रसिद्ध नाटक यहां के स्टेज पर खेले जाते हैं और देश के बड़े-बड़े कलाकार शिरकत करते हैं।

अजय सिंह राणा

(हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कृत उपन्यास तेरा नाम इश्क के लेखक)

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