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18 अगस्त 2025 · AUG 18 , 2025

समोसा-जलेबी प्रकरण: नहीं मंगता जलेबी बाई, समोसा भाई

स्वास्थ्य मंत्रालय का समोसा-जलेबी से परहेज करने की हिदायत, वजह: एक अनुमान से 2050 तक देश में करीब 45 करोड़ लोग की तोंद ज्यादा भारी हो जाने की फिक्र, लेकिन इससे कई तरह के सवाल उभरे
समोसा जलेबी पर कैलोरी का संकट

बहुत पुराना किस्‍सा है। कोलकाता के साइंस कॉलेज (जो दरअसल कलकत्ता विश्‍वविद्यालय का विज्ञान विभाग है) में प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु की हर शाम लैबोरेटरी के बाहर छत पर महफिल जमती थी। इसमें तमाम प्रोफेसर, छात्र या उनसे मिलने-जुलने वाले पहुंचते थे। बाहर सड़क पर खोमचे वाले से मुड़ी-तेलेभाजा (मुरमुरे-पकौड़ी अमूमन प्‍याज की) और छोटे-छोटे कुल्‍हड़ में चाय आती थी और उसके साथ गपशप शुरू हो जाती थी। एक दिन वहां बसु का कोई शिष्‍य अमेरिका से लौटकर आया। उसने शाम का नाश्‍ता देखा और बोला, ‘‘सर ये तो जहर है।’’ बसु हंसते-हंसते बोले, ‘‘यही जहर खाकर हम बड़े हुए हैं, यह हमारे खून में है, इसलिए ज्‍यादा न सोच।’’ लेकिन अब सरकार जलेबी-समोसे को लेकर ऐसे ही चेता रही है। अलबत्ता देश में आज भी बड़ी संख्‍या में लोग नाश्ते में बड़े चाव से जलेबी और समोसे का स्‍वाद लेते हैं, और जो नहीं चख पाते, उनके मुंह में उसका जिक्र सुनते ही पानी आ जाता है।

दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने समोसे, जलेबी और लड्डू जैसे लोकप्रिय भारतीय व्‍यंजनों के बारे में चेतावनी लिखने का निर्देश जारी किया है, ठीक उस तरह जैसे सिगरेट, तंबाकू के पैकेटों पर डरावनी चेतावनी दी जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स नागपुर सहित देशभर के सभी केंद्रीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे ‘तेल और चीनी का बोर्ड’ लगाएं, जिन पर पसंदीदा नाश्ते में मौजूद वसा और शक्‍कर की मात्रा साफ-साफ लिखी हो।

इस निर्देश में राहत का पहलू यह है कि यह जानकारी हर समोसे या जलेबी बेचने वाली दुकान पर लिखना जरूरी नहीं होगा। सामान्य हलवाई या बाजार की आम दुकानों पर यह नियम लागू नहीं है। यह चेतावनी सिर्फ केंद्रीय मंत्रालयों, सरकारी विभागों और सेंट्रल इंस्टीट्यूट की कैंटीन के बोर्ड पर लिखने का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि समोसा, पकौड़ा, लड्डू या जलेबी जैसे स्नैक्स में वसा और शक्‍कर की मात्रा की जानकारी देने से लोग असलियत खुद जान सकेंगे। मंत्रालय की एडवाइजरी में लॉबी, कैंटीन, कैफेटेरिया और मीटिंग रूम जैसे ऑफिस स्पेस में एजुकेशन बोर्ड लगाने की बात कही है। मंत्रालय के मुताबिक, ये बोर्ड ज्यादा ऑयल, शुगर और फैट वाले फूड प्रोडक्ट्स (पिज्जा, बर्गर, समोसा, वड़ा पाव, कचौरी) के सेहत के लिए हानिकारक असर के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करेंगे।

समोसे पर सितम

लेकिन आज इस चेतावनी की वजह क्‍या है? स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज में देश में बढ़ते मोटापे पर गंभीर चिंता जताई गई है। अनुमान है कि 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं, जिससे इस मर्ज के मामले में देश दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आ जाएगा। फिलहाल देश के शहरों में हर पांच में एक बालिग व्‍यक्ति मोटापे का शिकार है। बच्चों में बढ़ता मोटापा, गलत खानपान और घटती शारीरिक गतिविधियों की वजह से चिंता और भी ज्यादा बढ़ती जा रही है।

हालांकि ऐसी रिपोर्टें कई बार आ चुकी हैं। दुनिया भर में विवाद का विषय बनता रहा है कि बहुराष्‍ट्रीय या बड़ी कंपनियों की लॉबियां अपने उत्‍पाद को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक उत्‍पादों के खिलाफ काफी हो-हल्‍ला मचाती रही हैं। मसलन, कुछ दशक पहले शिशु के लिए मां के दूध के खिलाफ माहौल बनाया गया, ताकि बड़ी कंपनियों के डब्‍बाबंद मिल्‍क पाउडरों और बेबी फूड की बिक्री बढ़े। लेकिन बाद के अध्‍ययनों में पाया गया कि मां का दूध बच्‍चे की आजीवन रक्षा के लिए अनिवार्य है। फिर, देसी घी और सरसों के तेल को हानिकारक बताया गया, ताकि तरह-तरह के वनस्‍पति तेल की बिक्री बढ़े। बाद में वैसे अध्‍ययन बेमानी साबित हुए। फिर दुनिया भर में शराब लॉबी को बढ़ाने के लिए भांग, गांजा वगैरह पर प्रतिबंध लगाना भी बेहद विवादास्‍पद रहा है।

इसके अलावा भारत में जंक फूड या डिब्‍बा-पैकेटबंद भोजन में खासकर भारी मात्रा में प्रीजर्वेटिव और शक्‍कर, वसा तथा अन्‍य मसालों के सेहत पर हानिकारक असर पर कई अध्‍ययन आ चुके हैं। लेकिन सरकार का उस मामले में कोई खास निर्देश नहीं आया है। कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि ऐसी चेतावनियों का असर छोटे-छोटे खोमचे वालों या किसी तरह रोजी-रोटी चलाने वाले या छोटे कारोबारियों या परंपरागत पेशे पर ज्‍यादा पड़ता है। इसलिए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की मौजूदा चेतावनी पर सवाल उठ रहे हैं। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ऐसा कोई निर्देश (समोसा और जलेबी वाला) लागू नहीं करेगी। ममता ने कहा, ‘‘समोसे और जलेबी सिर्फ बंगाल में नहीं, बाकी राज्यों में भी उतने ही लोकप्रिय हैं। लोगों की खाने की आदतों में टांग न अड़ाई जाए, तो बेहतर है।’’ तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि “लगता है भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार की अब समोसा और जलेबी पर बुरी नजर है! यदि ऐसा नहीं होता, तो इसे लेकर एडवाइजरी जारी नहीं की गई होती? राज्य में जलेबी और समोसा खाने वालों को पूरी आजादी है। कौन क्या और कैसे खाता है; बंगाल में इस पर कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।”

सोशल मीडिया पर यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि भारतीय पकवानों को स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया जा रहा है, लेकिन पिज्जा, बर्गर, चाइनीज, इटालियन सहित विदेशी व्यंजनों को लेकर किसी तरह की कोई एडवाइजरी नहीं जारी की जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 2050 तक देश में करीब 45 करोड़ लोग मोटापे या ज्यादा वजन की समस्या से जूझ सकते हैं। देश में मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह खराब खानपान और कम शारीरिक मेहनत है। इसी के मद्देनजर, सरकार ने समोसा, जलेबी, वड़ा पाव जैसे फूड आइटम्स बिकने वाली जगहों पर हेल्थ वॉर्निंग बोर्ड लगाने का फैसला किया है। एडवाइजरी में हेल्थ से जुड़े कई मैसेज भी दिए गए हैं, जैसे- फलों, सब्जियों और कम फैट ऑप्शन वाले हेल्दी मील को बढ़ावा देना, फिजिकल एक्टिविटी को अपनाने के सुझाव, सीढ़ियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना, एक्सरसाइज के लिए छोटे ब्रेक का आयोजन करना और पैदल चलने के रास्ते बनाना। यह पहल नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन ऐंड कंट्रोल ऑफ नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज के अंतर्गत मंत्रालय की प्रमुख पहलों में है।

ऐसे निर्देश पहले भी जारी हो चुके हैं। इसी साल मई माह में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पूरे देश में 24,000 से ज्यादा स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने के निर्देश दिए थे। इन बोर्ड पर एक दिन में कितनी चीनी खानी चाहिए, सामान्य चीजों में कितनी चीनी होती है, स्वस्थ खाने के बेहतर विकल्प जैसी जरूरी जानकारी होगी।

गौरतलब है कि गड़बड़ आहार और उसके सेहत पर दुष्प्रभावों को लेकर किए गए तमाम अध्ययन लगातार इस बात को लेकर चिंता जताते रहे हैं कि दुनियाभर में जंक फूड का सेवन पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है। ये मोटापा तो बढ़ाता ही है, साथ ही इसके कारण लोग तेजी से हाई शुगर, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का भी शिकार होते जा रहे हैं। जंक फूड के कारण बच्चों में बढ़ते मोटापे के खतरे बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए सेहत की फिर्क जरूरी है लेकिन फैसले समझदारी से करने चाहिए।

 ममता बनर्जी

‘‘समोसा और जलेबी सिर्फ बंगाल में ही नहीं बाकी राज्यों में भी बड़े चाव से खाए जाते हैं। लोगों की खाने की आदतों में टांग न अड़ाई जाए, तो बेहतर है’’

ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

 

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