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रूस-यूक्रेन युद्ध: जंग थमेगी या वार्ता महज छलावा

पुतिन और जेलेंस्की की बातचीत और पीछे हटने की पेशकशों की हकीकत क्या, क्या नाटो देश भी अब खतरनाक मोड़ से बचना चाह रहे
रोमानिया सीमा पर नदी के रास्ते यूक्रेन से आए शरणार्थी

यह घटना यूक्रेन की राजधानी कीव के पास एक छोटे शहर की है। कथित तौर पर रूसी सैनिक एक घर में घुस गए और विरोध करने वाले व्यक्ति को गोली मार दी। घर में उसकी पत्नी और छोटा बच्चा भी था, जिसके सामने रूसी सैनिकों ने उसकी मां के साथ बलात्कार किया। यूक्रेन की महिला सांसद मारिया मेजेन्तसेवा और लेसिया वेसिलेंको के इस आरोप से बेशक दुनिया भर में खलबली-सी है। कथित तौर पर ऐसी अनेक घटनाएं हो रही हैं, जिनसे रूसी सैनिकों की हताशा और बर्बरता की मिसालें कम से कम एक पक्ष की ओर से मिल रही हैं। आरोप ये भी हैं कि अनेक महिलाएं बलात्कार की शिकार हुईं और कुछ ने खुदकशी कर ली। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि युद्ध मानव तस्करी करने वालों के लिए मौके की तरह है। महिलाएं और बच्चे उनका निशाना हैं।

किसी भी युद्ध की सबसे जघन्य त्रासदी शायद यही होती है। यूक्रेन के अनेक शहरों में बिजली, पानी और गैस की सप्लाई बंद हो गई है। अस्पताल ध्वस्त हो गए हैं। सांसद वेसिलेंको ने टाइम्स रेडियो को बताया कि कीव में लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है, वे सीवेज का पानी पीने को मजबूर हैं।

हजारों यूक्रेन नागरिकों की मौत या घायल होने, करीब 40 लाख के दूसरे देशों में शरण लेने और कई शहरों के पूरी तरह बर्बाद हो जाने के बाद उम्मीद की एक किरण दिखी है। रूस के हमले के 34वें दिन, 29 मार्च को तुर्की के इस्तांबुल से खबर आई कि दोनों देश शांति के लिए तैयार हैं। रूस ने कहा है कि ‘आपसी भरोसा बढ़ाने’ के लिए कीव और चेरनिहीव में वह सैनिक ऑपरेशन कम करेगा। माना जा रहा है कि अपने सैनिकों पर आरोप लगने से भी रूस पर दबाव बढ़ा है। यूक्रेन भी रूस और पश्चिमी देशों के बीच ‘तटस्थ’ रहने के लिए तैयार है। यह संभावना भी जताई गई कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आने वाले दिनों में बात कर सकते हैं।

लेकिन अभी यह सब दूर की कौड़ी है। पहले दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होगी। उसमें कुछ बात बनी तभी पुतिन-जेलेंस्की वार्ता होगी। यूक्रेन भी तटस्थ रहने की भूमिका पर पहले जनमत संग्रह कराएगा। सबसे बड़ी बात एक दूसरे पर भरोसे का अभाव है। यूक्रेन ने सैनिक कम करने की रूस की बात पर संदेह जताते हुए कहा है कि यह पुराने सैनिकों को हटाकर नए सैनिक तैनात करने की चाल है। कीव से बाहर नए धमाके भी हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, “देखते हैं क्या होता है।” इंग्लैंड ने कहा कि रूस को उसके शब्दों से नहीं, कार्यों से परखा जाएगा। बातचीत के साथ मारिउपोल और दूसरे शहरों में हमले भी जारी हैं।

कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का आकलन है कि यूक्रेन के इंफ्रास्ट्रक्चर को अभी तक 63 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। संस्थान के अनुसार करीब 4,500 आवासीय इमारतों, 92 फैक्ट्रियों, 400 स्कूलों और 12 एयरपोर्ट को नुकसान पहुंचा है।

यूक्रेन के सैन्य खुफिया विभाग ने कहा है कि एक महीने बाद भी राजधानी कीव या किसी अन्य बड़े शहर पर नियंत्रण करने में नाकाम रहने के बाद रूस, यूक्रेन को दो हिस्से में तोड़ना चाहता है। रूस ने 2014 में जब यूक्रेन पर हमला किया था तब क्रीमिया अलग हुआ था। क्रीमिया के लोगों ने यूक्रेन से अलग होकर रूस के साथ जाने के लिए वोटिंग की थी। इस बार पूर्वी यूक्रेन में लुहान्स्क ने घोषणा की है कि रूस के साथ मिलने पर जनमत संग्रह कराया जाएगा। हालांकि यूक्रेन का कहना है कि इस तरह के जनमत संग्रह फर्जी हैं और उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा। रूस ने इस लड़ाई की शुरुआत में ही लुहान्स्क और दोनेत्स्क को अलग देश घोषित कर दिया था।

बाइडन का बयान

“यह आदमी सत्ता में नहीं रह सकता,” बाइडन ने चार दिवसीय यूरोप दौरे के आखरी दिन वारसॉ में अपने भाषण के अंत में पुतिन के बारे में जब यह बात कही, तो इससे समूचे पश्चिमी जगत में हलचल मच गई। पहले तो माना गया कि अमेरिका और यूरोप पुतिन को हटाने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए पुतिन के प्रवक्ता ने कहा, “यह बाइडन नहीं, रूस के लोग तय करेंगे।” व्हाइट हाउस ने भी सफाई दी, “राष्ट्रपति दरअसल यह कहना चाहते थे कि पुतिन अपने पड़ोसियों पर ताकत का इस्तेमाल नहीं कर सकते।” फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने भी खुद को अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से अलग कर लिया। स्वदेश लौटने के बाद बाइडन ने भी इस बात से इनकार किया कि अमेरिका रूस में सत्ता परिवर्तन चाहता है।

वैसे, यूरोप में बाइडन के कई बयानों ने असमंजस बढ़ाया है। ब्रसेल्स में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि अगर रूस ने यूक्रेन में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया तो अमेरिका समान रूप से उसे जवाब देगा। बाद में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में अमेरिका रासायनिक हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा। यूक्रेन के शरणार्थियों से मुलाकात के बाद बाइडन ने कहा था, “पुतिन कसाई हैं।”

खारकीव में रूसी हमले से तबाह दुकान से निकलता व्यक्ति

खारकीव में रूसी हमले से तबाह दुकान से निकलता व्यक्ति

युद्ध बीतने के साथ अमेरिका और पश्चिमी देशों पर भी दबाव बढ़ रहा है। बाइडन कह चुके हैं कि आने वाले समय में निर्णायक लड़ाई लोकतंत्र और उभरती तानाशाही के बीच होगी और यूक्रेन उस लड़ाई की अगली कतार में है। पोलैंड में पुतिन को चेतावनी देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट कहा, “नाटो के क्षेत्र में एक इंच भी घुसने की कोशिश न करें।” अमेरिका में आम लोग भी चाहते हैं कि उनकी सरकार यूक्रेन में हस्तक्षेप करे, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बाइडन को ऐसे दबाव से बचना चाहिए। इस बीच अमेरिका ने प्रतिबंधों को आगे बढ़ाते हुए रूसी संसद के निचले सदन डूमा के 450 सदस्यों में से 328 पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहां की रक्षा कंपनियों और पुतिन के करीबी उद्योगपतियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

हालांकि रूस भी मंशा जताने में पीछे नहीं है। जब बाइडन यूरोप में थे, तभी उसने पोलैंड सीमा से सिर्फ 60 किलोमीटर दूर लवीव में चार मिसाइल दागे। पुतिन ने कहा है कि इस युद्ध का लक्ष्य यूक्रेन का विसैन्यीकरण करना है और अभी तक लड़ाई योजना के मुताबिक चल रही है। हालांकि रूस को भी काफी नुकसान भी हुआ है। पश्चिमी विश्लेषकों का कहना है कि कीव, खारकीव समेत कई प्रमुख शहरों में रूसी सेनाओं का बढ़ना रुकने के बाद ही उसने हमला कम करने की बात कही है। रूस अपने कुछ सैनिकों को चेरनोबिल के रास्ते बेलारूस भेज रहा है ताकि वे नए सिरे से तैयारी कर सकें।

पश्चिम की दखल

एक महीने से ज्यादा बीतने पर भी रूस को मनमाफिक बढ़त नहीं मिली है। उसे पश्चिमी देशों की तरफ से पोलैंड के रास्ते यूक्रेन को दिए गए हथियारों का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन को हजारों अमेरिकी स्ट्रिंगर मिसाइलें भी मिली हैं। दूसरी तरफ रूस के सैनिकों को लॉजिस्टिक्स की समस्या आ रही है। सबसे बड़ी बात यह कि रूस के सैनिकों में ही लड़ाई का उत्साह नहीं है। पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में रूस जितने इलाके पर नियंत्रण करेगा उससे अधिक इलाके उसे छोड़ने पड़ेंगे।

लेकिन अमेरिकी खुफिया सूत्रों का दावा कुछ अलग है। इसके मुताबिक रूस जानबूझकर बड़े हमले नहीं कर रहा है। 28 लाख आबादी वाली राजधानी कीव में अभी तक करीब पांच दर्जन इमारतों पर ही हमले हुए हैं और लगभग 225 आम नागरिकों की जान गई है। पुतिन नागरिक ठिकानों पर हमले नहीं करके बातचीत की गुंजाइश खुली रखना चाहते हैं।

नाटो से पूरी मदद नहीं मिलने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की खीझ भी बढ़ती जा रही है। पश्चिमी नेताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हमें नाटो की ताकत का सिर्फ एक फीसदी चाहिए। आप अपने सिर्फ एक फीसदी विमान और एक फीसदी टैंक दे दीजिए।” पश्चिमी देशों ने अभी तक यूक्रेन को एंटी टैंक और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें और छोटे हथियार ही दिए हैं। एक संबोधन में उन्होंने जी7 देशों से कहा, “रूस की पैदा की गई समस्या के समाधान के लिए कितनी आपात बैठकों की जरूरत पड़ेगी?” यूरोपीय काउंसिल को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आप अब भी सोच रहे हैं कि रूस के साथ व्यापार पर रोक लगानी चाहिए या नहीं? अब सोचने का नहीं फैसला करने का वक्त है।”

भारत के लिए भी मुश्किल घड़ी है, जो अभी तक खुद को तटस्थ रखने में सफल रहा है। संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर दोनों पक्षों के छह प्रस्तावों पर मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत रूस के साथ व्यापार जारी रखने के रास्ते तलाश रहा है। रूस से भारत सबसे ज्यादा हथियारों का ही आयात करता है, लेकिन उनके कुछ पुर्जे यूक्रेन से आते रहे हैं। भुगतान समस्या का हल करने के लिए दोनों देशों के अधिकारयों की बैठक जल्दी होने वाली है।

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