Advertisement

अंदरखाने

सियासी दुनिया की हलचल
नितिन गडकरी

‘‘हर कोई दुखी है। विधायक इसलिए दुखी हैं कि वे मंत्री नहीं बने। मंत्री बन गए तो इसलिए दुखी हैं कि अच्छा विभाग नहीं मिला। जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया, वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक पद पर रहेंगे’’

नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री

 

संगठन मंत्रियों की बिदाई

मध्य प्रदेश के राजगढ़ में पिछले दिनों भाजपा की राज्य इकाई की बैठक हुई। उस बैठक में संगठन को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए। एक अहम फैसला यह हुआ कि अब राज्य में संभागीय संगठन मंत्री का कोई पद नहीं होगा। अभी इस पद पर कई लोग हैं, इसलिए तय हुआ कि उन्हें भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान दिया जाएगा। इस फैसले से संगठन और पार्टी के पदाधिकारी काफी सकते में हैं। सबके अंदर यह डर बैठ गया है कि न जाने कब उन्हें हटाने का फरमान आ जाए। जिस तरह के बदलाव की लहर चल रही है उसमें किसी को अपना पद सुरक्षित नहीं लग रहा है।

फिट भी और हिट भी

पंजाब में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं, लेकिन 64 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर शिरोमणि अकाली दल ने अभी से हलचल पैदा कर दी है। सूची में पार्टी के वयोवृद्ध नेता 93 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल का नाम नहीं है, जबकि उनके पुत्र और पार्टी प्रधान सांसद सुखबीर बादल अपनी पुरानी सीट जलालाबाद से चुनाव लड़ेंगे। संकेत साफ है कि पार्टी प्रधान ही इस बार सीएम चेहरा भी होंगे। इस संकेत से कांग्रेस में भी हलचल है। सीएम कैप्टन अमरिंदर की बजाय पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू को सीएम चेहरे के तौर पर पेश करने की चर्चा सिद्धू समर्थकों ने छेड़ दी है। जहां तक सीनियर बादल की जगह जूनियर बादल को जिम्मेदारी सौंपने की बात है, तो यह काफी हद तक जायज है क्योंकि उम्रदराज सीनियर बादल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। दूसरी ओर, 82 वर्षीय कैप्टन अमरिंदर फिट भी हैं और हिट भी। पिछले छह महीने में उन्होंने वजन भी 25 किलो घटाया है ताकि आने वाले चुनाव में भी सब पर भारी पड़ें।

शिष्टाचार भी भूले

राजनीति में रिश्ते अलग-अलग तरह से निभाए जाते हैं। सिद्धांतों में धुर विरोध के बावजूद निजी रिश्ते अलग रहते हैं। एक दूसरे के काम में बाधक नहीं बनते। इह लोक से जाने के बाद तो तमाम वैचारिक मतभेद के बावजूद तारीफ के पुल बांधने में पीछे नहीं हटते। दलितों के एक बड़े नेता का पिछले साल निधन हो गया था। बरसी के मौके पर बेटे ने बड़े जुटान की व्यवस्था की। प्रधानमंत्री से लेकर बड़े-बड़े नेताओं के संदेश आए। विभिन्न दलों के नेता भी आयोजन में जुटे। नहीं आए तो मिस्टर क्लीन। लगता है उनका आदेश था, इसलिए उनकी पार्टी के दूसरे नेता भी नहीं आए। लगता है शिष्टा‍चार भी भूल गए। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले चुनाव में दोनों के रिश्ते इतने तल्ख हो गए कि विरोध सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रह गया था।

मंत्री क्यों नहीं  बन सकता

इन दिनों विधायक क्या, मुखिया भी बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं। मगर झारखंड में स्वास्थ्य मंत्री ऑटो से सदन पहुंचे। वह भी खुद चलाकर। दरअसल एक दिन पहले ही सदन में नोक-झोंक के बीच एक वरिष्ठ विरोधी विधायक ने मंत्री जी को टेंपो एजेंट कह दिया। जमशेदपुर निवासी टेंपो एजेंट की हकीकत बेहतर जानते हैं। यह टिप्पणी मंत्री जी को भीतर तक चुभ गई थी, इसलिए विरोध जताने ऑटो चलाते आए। कहा भी कि जब चाय बेचने वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो ऑटो चालकों का नेता स्वास्थ्य मंत्री क्यों नहीं।

सिफारिश करवाना पड़ा भारी

मध्य प्रदेश सरकार ने हाल में बड़ी संख्या में आइएएस के तबादले किए। कलेक्टरी की आस लगाए कुछ अधिकारियों को बड़ा धक्का लगा। उन्हें उम्मीद थी कि किसी ने किसी जिले में कलेक्टर बन ही जाएंगे, लेकिन तबादला सूची देख उनको विश्वास ही नहीं हुआ। कलेक्टर बनना तो दूर, जिस बेहतर जगह पर थे वहां से भी हटाकर लूप लाइन में बिठा दिया गया। वजह जानने के लिए खोजबीन की तो पता चला कि जिस जगह से सिफारिश करवाई थी वह भारी पड़ गई। मुख्यमंत्री यह संदेश देना चाहते थे कि आगे से कोई अधिकारी उस दरवाजे पर सिफारिश करवाने न जाए।

पार्टी बदलने की चर्चा

बिहार के एक भाकपा नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष दिन दिनों अपनी पार्टी से खफा चल रहे हैं। खफा इतने कि अब उनके पार्टी बदलने की भी चर्चा है। जिस पार्टी में जाने की चर्चा है, उसकी तरफ से ऑफर तो 2019 के लोकसभा चुनाव के समय ही दिया गया था। पार्टी के एक बड़े नेता से मुलाकात भी हुई। पेंच यह है कि वे अपने साथ अपनी टीम भी लेकर आना चाहते हैं। उसी टीम के साथ आंदोलन करेंगे और धीरे-धीरे उसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे। एक और समस्या पार्टी की अंदरूनी लड़ाई है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए खूब लॉबिंग चल रही है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement