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अंदर खाने

सियासी दुनिया की हलचल
हेमंत बिस्वा शर्मा

“कोई मुझसे पूछता है कि क्या राज्य में मुठभेड़ का पैटर्न बन गया है तो मैं कहता हूं कि अगर आरोपी पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करता है तो मुठभेड़ पैटर्न जरूर होना चाहिए।”

हिमंत बिस्वा शर्मा, मुख्यमंत्री, असम

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निर्दलीय बने हॉट

उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने 75 में से 67 जीतने का दावा किया है। जीत से उत्साहित पार्टी की अब निर्दलीय पंचायत सदस्यों पर नजर है। चुनावों में इस बार 900 के करीब निर्दलीय पंचायत सदस्य चुने गए हैं। उनमें कई भाजपा के संपर्क में हैं। आने वाले दिनों में पार्टी उनका इस्तेमाल विधानसभा चुनावों के लिए करना चाहती है। जाहिर है, कई की किस्मत खुलने वाली है तो साथ ही कई का पत्ता कटने वाला है। ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनावों के पहले भाजपा में दिलचस्प बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

नई खिचड़ी पकेगी या नहीं

महाराष्ट्र में आजकल अटकलों का बाजार है। कभी शिवसेना के नेता भाजपा के रिश्तों पर बोलते हैं कि उनके आमिर खान और किरण राव जैसे रिश्ते हैं तो कभी भाजपा नेता कहते हैं कि हम दुश्मन नहीं है॒। असल में दोनों दलों के नेताओं के सुर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुलाकात के बाद से बदल गए हैं। चर्चा है कि दोनों दल एक बार फिर गठबंधन बनाकर सरकार बनाने की संभावना तलाश रहे हैं। नए फॉर्मूले में शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद मिलेगा और भाजपा को दो उप-मुख्यमंत्री मिलेंगे। इसके अलावा शिवसेना को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिलेगी। अब देखना है कि नई खिचड़ी पकती है या नहीं। राजनीति में कुछ भी संभव है।

सफाई मांगने वाले दे रहे सफाई

माननीय सत्ता में रहें या बाहर, हमेशा सरकार के काम पर सवाल उठाकर विपक्षी धर्म अदा करते रहे हैं। वे खुद ही कहते हैं कि तीन मुख्यमंत्रियों को जेल भिजवा चुका हूं। उनके स्वभाव का ही नतीजा रहा कि तमाम चर्चा के बावजूद नई सरकार में उन्हें जगह नहीं मिली। झारखंड के एक पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ तो वे हाथ धोकर ही पड़े हैं। रंजिश भी व्यक्तिगत हो गई थी इसलिए उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़ गए। बहरहाल, हर किसी से वे जवाब चाहते हैं। हाल में उनकी पुरानी पार्टी के कुछ लोगों ने उन्हीं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए। अब दूसरों से सफाई मांगने वाले माननीय अब मीडिया में सफाई देते फिर रहे हैं।

महाराज पर भरोसा बढ़ा

मध्य प्रदेश में जिलों के प्रभारी मंत्रियों की घोषणा हो चुकी है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक काम हो गया है। वे जिन जिलों का प्रभार अपने समर्थक मंत्रियों को देना चाहते थे, उसमें उनको सफलता मिल गई है। इसको देखते हुए उनके अन्य समर्थक जो निगम-मंडल की दावेदारी में लगे हुए हैं, उनको राहत मिली है। प्रभारी मंत्रियों की सूची में सिंधिया का दखल देखकर उनको यकीन हो गया है कि निगम-मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्तियों में भी सिंधिया की चलेगी, और सिंधिया की चलेगी तो उनका नंबर लग सकता है।

हथियार डाल दिये

झारखंड में ऐतिहासिक पार्टी से आने वाले एक माननीय हैं। खाकी छोड़ खादी अपना लिया है। गठबंधन सरकार में खजाना संभाल रहे हैं। अचानक सुर चढ़ा तो जमीन के सवाल पर अंचल सरकार के समानांतर कैंप लगवाने लगे। संदेश था कि जमीन की समस्या को लेकर लोग परेशान हैं, भ्रष्टाचार बहुत है। जमीन वाला महकमा राजा साहब के पास है। पार्टी के अंदरखाने में समीक्षा चल रही थी तो बात निकली कि जमीन वाला अभियान ठप क्यों हो गया? पता चला कि दबाव की राजनीति थी, साहब का काम निकल गया।

नसीहत से परेशान मंत्री

मध्य प्रदेश सरकार ने जुलाई के लिए तबादलों पर रोक हटा दी है। इस महीने विभिन्न स्तरों पर तबादले हो सकेंगे। इसके पहले मंत्रियों को भोज पर आमंत्रित कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने नसीहत दी कि नियमों के अनुसार ही तबादले किये जाएं। मुख्यमंत्री की यह नसीहत कई मंत्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। वे लोग तो लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे कि इस दौरान कुछ कमाई का अवसर बनेगा, इस नसीहत के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है।

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