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पक्षी शिल्पः स्त्री सम्मान का संदेश

केरल में चट्टयामंगलम की चोटी पर स्त्रीी सुरक्षा और सम्मान को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी शिल्प
चट्टयामंगलम की चोटी पर जटायु शिल्प

यहां की हवा उसकी गाथा ही न जो गाती फिरती है/यहां का हर रजकण, उसका ही न स्मरण करता है/मृत्यु के सम्मुख, देश का मान बचाने के लिए/बलि-पुष्प-ज्यों गिरे उस पक्षी की स्मृति में/इस टीले की चोटी पर/ जब हम नम्रशीष खड़े होते हैं/तब कर लेते हैं हम मृत्यु से अमृत का मंथन...

मूल कवि- ओ.एन.वी., हिंदी अनुवाद- तंकमणि अम्मा

प्रसिद्ध फिल्मकार राजीव अंचल केरल के चट्टयामंगलम स्थित घने जंगलों से घिरी ऊंची पहाड़ी को देख रहे थे, उसकी कथा उनके मन में कौंध रही थी। लेकिन वे फिल्म बनाने की नहीं सोच रहे थे। वे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर खासे विचलित थे और कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे देश को नहीं, पूरी दुनिया को ठोस संदेश मिले कि ‌स्त्रियां सुरक्षा और सम्मान की हकदार हैं।

राजीव को आए दिन महिलाओं की असुरक्षा से जुड़ी खबरें बेचैन कर रही थीं। वे कुछ नए माध्यम की तलाश में थे। फिल्मों ने उन्हें वह सब दिया, जिसके वे हकदार थे। उनकी मलयालम फिल्म गुरु केरल की पहली फिल्म थी, जो भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए 1997 में नॉमिनेट हुई थी। अब वे सिनेमा से हटकर कला के माध्यम से कुछ सार्थक, संदेशपरक करने को बेचैन थे।

उन्हें चट्टयामंगलम की 65 एकड़ में फैली हुई पहाड़ी से जुड़ी एक पौराणिक कथा अपनी ओर खींच रही थी, जहां त्रिवेंद्रम से दो घंटे के सफर के बाद पहुंचा जा सकता है। कथा के अनुसार चट्टयामंगलम की इसी चोटी पर गिद्धराज जटायु ने सीता को अपहरण कर ले जा रहे रावण से युद्ध किया था। रावण को जटायु ने अपने नुकीली चोंच से घायल कर दिया तो रावण ने चंद्रहास कटार से जटायु के पंख काट डाले। जटायु घायल होकर उस पहाड़ी पर गिर पड़े। जहां वे गिरे, वहां उनकी चोंच से धंस कर एक छोटा-सा तालाब बन गया। कहते हैं, उसमें हर मौसम में पानी भरा रहता है। बाद में राम ने उनका अंतिम संस्कार किया।

पहाड़ी पर पहले से सिर्फ एक छोटा-सा जटायु मंदिर था। जटायु की स्मृति में यह देश का अकेला मंदिर था। मंदिर अब भी है, वह तालाब भी है और किंवदंती के मुताबिक, राम के चरण चिन्ह भी हैं जिन्हें घेर कर सुरक्षित रखा गया है। हालांकि, पहाड़ी के शिखर तक पहुंचना और वहां शिल्प की संभावनाएं तलाशना आसान नहीं था। लेकिन राजीव ने काम शुरू किया तो उसका परिणाम सामने आया दुनिया के सबसे बड़े पक्षी शिल्प के रूप में। महिला सम्मान और सुरक्षा को एक नया प्रतीक मिला और यह संदेश भी कि स्‍त्री की सुरक्षा और सम्मान में एक पक्षी ने अपनी जान दे दी, तो वह सदा के लिए अमर हो गया।

यह जगह जटायु अर्थ्स सेंटर के नाम से जानी जाती है। इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, शिल्पकार राजीव अंचल जटायु की विशालकाय मूर्ति की तरफ संकेत करके बताते हैं, “मेरी दस साल की मेहनत का नतीजा है यह शिल्प। दुनिया में ऐसी पौराणिक कथा विरली है कि एक अपहृत स्‍त्री को बचाने के लिए एक पक्षी ने लड़ाई लड़ी और अपनी जान दे दी। हम यह कथा नई पीढ़ी को बताना चाहते हैं, ताकि उनके भीतर स्‍त्री सुरक्षा और सम्मान को लेकर दायित्व बोध जगे।”

राजीव अंचल

जटायु शिल्प की दीवारों पर मलयाली कवि ओ.एन.वी. की कविता अंकित है, अंग्रेजी में भी और हिंदी में भी। हिंदी अनुवाद किया है केरल की जानी-मानी हिंदी विदुषी, अनुवादक, लेखिका तंकमणि अम्मा ने। शिल्प के ऊपर मोटे-मोटे अक्षरों में स्पष्ट लिखा है, “डेडीकेटेड टू वीमेन्स सेफ्टी एंड ऑनर।”

विदुषी तंकमणि अम्मा दो बातों से बेहद खुश हैं कि उनके द्वारा अनूदित कविता दीवारों पर अंकित है। दूसरे, यह कि जटायु अर्थ्स सेंटर महिला सुरक्षा और सम्मान को समर्पित है। वे कहती हैं, “यह पक्षी शिल्प न होता तो यह जगह पारंपरिक तीर्थस्थल में बदल कर अलग रूप ले लेती। धार्मिक प्रतीकों को लेकर संदेशपरक पर्यटन स्थल तैयार करने की देश में यह पहली घटना है।”

राजीव भी नहीं चाहते कि इस जगह को तीर्थस्थल में बदला जाए। अपनी चाहत को मूर्त रूप देने के लिए उन्हें दस साल कड़ी मेहनत करनी पड़ी। एक निर्जन और कठिन चढ़ाई वाली पहाड़ी को काट-छांट कर पक्षी शिल्प में बदल देना निस्‍संदेह चकित कर देने वाली घटना है। जंगली पशुओं, कीड़े-मकोड़ों से भरी हुई पहाड़ी पर पैदल चढ़ाई बेहद मुश्किल थी। पत्थरों को कांट-छांट करने वाले औजार कैसे ढोए होंगे। आप वहां पहुंच कर, यह सब सोच कर चकित रह जाएंगे। यह शिल्प किसी आश्चर्यलोक से कम नहीं। राजीव कहते हैं, “ये न्यू बॉर्न पर्यटन स्थल है, ये फोरेस्टेशन है...आइए, जंगल का हिस्सा बन जाइए। “वे अपनी पत्नी और डॉक्टर बेटी के साथ रोज वहां घूम कर महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का स्वप्न पालते हैं। यहां की हवा में संदेश गूंजता है कि जटायु, कोई मनुष्य नहीं, एक पक्षी, स्‍त्री सुरक्षा के लिए दुनिया के पहले शहीद थे।

बेमिसाल कारीगरी

विशालकाय चट्टान की ऊंचाई 1000 फुट 

जटायु मूर्ति की लंबाई 200 फुट, चौड़ाई-150 फुट और ऊंचाई 70 फुट 

शिल्प के भीतर पांच मंजिली इमारत में ऑडियो-विजुअल म्यूजियम बनाया गया है,  जिसमें जटायु की कथा चलती रहती है

शिल्प के पंखों के नीचे मल्टी डायमेंशनल मिनी थिएटर भी है

पहाड़ी के शिखर पर जाने के लिए केबल कार की सुविधा है और हेलीकॉप्टर राइड भी है। ट्रैकिंग करके भी जा सकते हैं 

बारिश के पानी को सहेज कर रखने के लिए अत्यधिक क्षमता वाले (15 लाख लीटर) तालाब बनाए गए हैं

पौराणिक महत्व की सारी निशानियां सुरक्षित हैं, दर्शन-पूजा हेतु उपलब्ध हैं

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