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खबर-चक्र

चर्चा में रहे जो
रामदास आठवले

क्रूर मजाक

लगता है, केंद्र सरकार बस 'ना' कहके सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होने की राह पर चल पड़ी है। पिछले महीने संसद में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया था कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। और अब केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पिछले पांच साल में मैला साफ करने के दौरान किसी की मृत्यु नहीं हुई है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कहा कि हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की पहचान हुई है लेकिन “हाथ से सफाई के कारण किसी की मौत होने की सूचना नहीं है।” हालांकि उन्होंने आगे जोड़ा, “शौचालय टैंक या सीवर की सफाई के दौरान मौतों की खबर है।” सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाड़ा विल्सन का कहना है, “मंत्री ने पहले स्वीकार किया था कि सीवर की सफाई के दौरान लगभग 350 लोगों की मौत हुई है। उसके बाद भी ऐसी बात करना संवेदनशून्यता है।”

सीवर-गटर साफ करने के दौरान अपने परिजनों को गवां चुके लोगों का कहना है कि इससे भयानक मजाक कुछ नहीं हो सकता। सरकार के इस दावे पर कई सवाल उठ रहे हैं। पहले ऑक्सीजन और अब हाथ से गटर साफ करने के मामले में केंद्र सरकार ने ना कहने का क्रूर मजाक किया है। सरकार के इस जवाब से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में बहुत रोष है। उनका कहना है कि एक तो हाथ से मैला ढोने की प्रथा ही अमानवीय है, तिस पर सरकार इस काम की वजह से होने वाली मौतों से मुंह फेरती है, तो इसे अस्पृश्यता के आधुनिक रूप के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता। दलितों के जीवन की वैसी ही अनदेखी होती है। लेकिन सरकार को अपने कर्तव्य से भागना नहीं चाहिए। सरकार सही जानकारी देने के दायित्व से इनकार कर रही है। यह एक मायने में लोकतांत्रिक दायित्व से पीछे हटने जैसा है।

माननीय प्रधानमंत्री जी, जुलाई में 32 लाख वेतनभोगी बेरोजगार हो गए। आप कभी वेतनभोगी नहीं रहे, इसलिए आपके लिए यह कोई मुद्दा नहीं होगा। लेकिन इन लोगों को बच्चों को पढ़ाना है, लोन चुकाना है और सपने पूरे करने हैं। उनके सपने मत तोड़िए।

कन्नन गोपीनाथन

 

माल्या दिवालिया

लंदन के हाइकोर्ट ने ऑनलाइन सुनवाई के दौरान विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया। लंदन हाइकोर्ट की चांसरी डिवीजन के जस्टिस माइकल ब्रिग्स ने अपने फैसले में कहा, “मैं माल्या को दिवालिया घोषित करता हूं।” इसके बाद भारतीय बैंक दुनियाभर में माल्या की संपत्ति जब्त कर सकेंगे। यह फैसला भगोड़े भारतीय कारोबारी माल्या के लिए बड़ा झटका है। अब भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई में भारतीय बैंकों के समूह के लिए बंद पड़ी एयरलाइन किंगफिशर के ऊपर बकाए कर्ज की वसूली को लेकर वैश्विक स्तर पर उसकी संपत्तियों की जब्ती की कार्रवाई कराने का रास्ता साफ हो गया है। 65 साल का माल्या ब्रिटेन में फिलहाल जमानत पर है। सुनवाई से पहले भारतीय बैंकों की पैरवी कर रही लॉ फर्म टीएलटी एलएलपी और बैरिस्टर मार्सिया शेकरडेमियन ने भारतीय बैंकों के पक्ष में दिवालिया आदेश जारी करने को लेकर दलीलें रखी थीं। माल्या के वकील फिलिप मार्शल ने मामले में आदेश स्थगित करने का आग्रह किया था। लेकिन अदालत ने इस आग्रह को अस्वीकार करते हुए कहा कि “इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि याचिकाकर्ताओं को उचित समय पर पूरा कर्ज वापस कर दिया जाएगा।” हालांकि देखना यह है कि इस आदेश का फायदा भारतीय बैंक उठा पाते हैं या फिर यह भी स्‍थगन के किसी भंवर जाल में उलझ कर रह जाएगा।

 

 

 

राजनीति छोड़ेंगे, सांसदी नहीं

आखिर बाबुल मान गए। केंद्र में मंत्री पद छिनने के बाद पश्चिम बंगाल के आसनसोल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने पिछले दिनों सांसद पद से इस्तीफा देने और राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने इसकी घोषणा फेसबुक पर की, इसलिए तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि 'बाबुल ड्रामा कर रहे हैं। इस्तीफा देना था तो सीधे लोकसभा अध्यक्ष को देते।' बाबुल की घोषणा के एक दिन बाद ही भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने उनसे बात की। बाबुल सांसद बने रहने पर मान गए, लेकिन अब वे सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में भी उन्हें खड़ा किया था, लेकिन हार गए। आसनसोल के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में भी पार्टी को शिकस्त मिली थी।

दहेज लोभियों पर सख्ती

केरल में महिलाओं के प्रति दहेज संबंधी हिंसा बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने सख्ती से निपटने के निर्देश के साथ कहा कि सरकारी कर्मचारियों को शादी के बाद घोषणा पत्र देना होगा कि शादी में किसी प्रकार का दहेज लेन-देन नहीं हुआ है। इस घोषणा पत्र में वधु, वधु के पिता और वर के पिता के हस्ताक्षर होंगे। राज्य में दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों का जिक्र करते हुए विधानसभा में उन्होंने इसका जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि दहेज प्रताड़ना के कारण 2011-2016 के बीच 100 मौतें हुई हैं, जिनमें आत्महत्याएं भी शामिल हैं। लेकिन 2016-2021 के बीच इसमें गिरावट दर्ज की गई। दहेज प्रताड़ना रोकने और दहेज न लेने के प्रति जागरूकता लाने के लिए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हाल ही उपवास भी किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गांधीवादी प्रयास है, जिससे लोगों में चेतना आए और लोग दहेज को 'ना' कह सकें। उन्होंने यह भी कहा कि दहेज प्रताड़ना की किसी भी तरह की शिकायत पर पुलिस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।

 

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