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वेडिंग प्लानिंग में फूफाजी

वेडिंग प्लानर सब कुछ प्लान कर सकता है, बस यह प्लान नहीं कर सकता है कि टिपिकल फूफाजी और जीजाजी कब और क्यों रूठेंगे
वेडिंग प्लानिंग से शादी के टेंशन भी ट्रांसफर हो जाते हैं

प्लानिंग कमीशन तो अब न रहा पर प्लानिंग बढ़ गई। इसकी जगह नया धंधा आ गया वेडिंग प्लानिंग का। शादी की प्लानिंग करने का टेंशन अब पेरेंट्स न लें। इस मुल्क में अगर किसी ने रकम कमाने का ठीक-ठाक टेंशन ले लिया एक बार, तो फिर सारे टेंशन खत्म। फिर सारे टेंशन कोई और लेने को तैयार है, तय कीमत पर। किसी को रकम ट्रांसफर कर कोई भी अपने टेंशन ट्रांसफर कर सकता है। किसी सरकारी दफ्तर में किसी को लाइसेंस चाहिए तो कौन बीस चक्कर लगाने की टेंशन पाले। किसी भी कंसलटेंट कम दलाल को रकम थमा दे, लाइसेंस घर पर आ जाएगा। बात सिर्फ ड्राइविंग लाइसेंस की ही नहीं हो रही है। अक्लमंद इस मुल्क में पैसा कमाने का टेंशन ले लेते हैं, जो कामयाब हो जाते हैं, उन्हें फिर आम तौर पर किसी और टेंशन की जरूरत नहीं पड़ती। कंसलटेंट या दलाल या प्लानर टाइप के लोग लगभग हर टेंशन से मुक्त हो जाते हैं। इसलिए एक टेंशन लेकर इस मुल्क में बंदा बाकी टेंशन से मुक्त हो जाता है। समझदार लोग यही करते हैं, नासमझ लोग बाकी तरह-तरह के टेंशन में जिंदगी काट देते हैं।

वेडिंग प्लानिंग के चलते शादी के टेंशन भी ट्रांसफर हो जाते हैं। सिर्फ वो टेंशन ट्रांसफर नहीं होंगे, जो पति पत्नी शादी के बाद एक दूसरे को पूरी जिंदगी देते रहते हैं। वेडिंग प्लानिंग करने वाला फूल माला, फेरों के इंतजाम से लेकर खाने-पीने तक का चकाचक इंतजाम कर देता है। वैसे आजकल की शादियों में खाने-पीने के इंतजाम देखकर अलग तरह का टेंशन हो जाता है। कॉफी-चाय स्टाल, फिर फ्रूट स्टाल, फिर चाट-पकौड़ी स्टाल, फिर जूस-शेक स्टाल, फिर मुख्य खाना स्टाल, फिर मिठाई का स्टाल, मतलब इतनी तरह के खाने-पीने के इंतजाम देखकर इस मुल्क में इस सवाल का जवाब मिल जाता है कि आम बाबू या खास अफसर मौका मिले, तो रिश्वत क्यों खाता है, क्योंकि उसे अपने यहां शादी में इतना खिलाना पड़ता है।

देश में खाद्य समस्या क्यों है, क्योंकि जो देश शादियों में नहीं हैं, वहां वाले इतना खाना रहे हैं कि बाकी देश के लिए मुश्किल से बच पाता है। इस सवाल का जवाब भी लगभग यही है कि देश में खाद्य समस्या क्यों नहीं है, क्योंकि किसी भी शादी में जाकर देख लो, देश सिर्फ खा ही नहीं रहा ठूंस-ठूंस कर भरपूर खा रहा है। समस्या है कहां।

वेडिंग प्लानर धीमे-धीमे पूरी शादी ही कराने लगेगा। बल्कि नए तरीके के जो धंधे उभर रहे हैं, उसमें विजिटिंग कार्ड दूल्हा-दुल्हन को देकर कहेगा, “हमारी सब्सिडरी कंपनी में तलाक प्लानर का काम है, मौका दें। जिनकी शादी कराते हैं, उनसे कुछ कम लेते हैं। एक के साथ एक फ्री।” तलाक के बाद दूसरी शादी के लिए डॉट कॉम सेवा भी वेडिंग प्लानर दे सकता है। वह बताएगा हम दूसरी वेडिंग भी प्लान करते हैं। दूसरी वेडिंग के वक्त बंदा समझदार हो जाता है, इसलिए ज्यादा खर्च वगैरह के चक्कर में नहीं पड़ता। दूसरी वेडिंग ज्यादा कमाई का धंधा नहीं है, बल्कि दूसरी वेडिंग वाले क्लाइंट से वेडिंग प्लानर को खौफ खाना पड़ेगा, दूसरी शादी करने वाला बंदा इतना अनुभवी हो सकता है कि वह अपनी खुद की दुकान डाल ले। 

खैर वेडिंग प्लानर सब कुछ प्लान कर सकता है, खाना, पीना, गिफ्ट वगैरह सब। बस वह यह प्लान नहीं कर सकता है कि टिपिकल फूफाजी और जीजाजी कब और क्यों रूठेंगे और उन्हें मनाया कैसे जाएगा। उन्हें सोने की थाली में न खिलाओ तो नाराज हो सकते हैं कि हमें कायदे से पूछा नहीं। अगर सोने की थाली में खिलाओ तो इस बात पर नाराज हो सकते हैं कि हमें भिखारी समझा है क्या हमने सोना देखा नहीं जो सोने की थाली दिखाने बुलाया।

मैंने एक अनुभवी वेडिंग प्लानर से बात की, उसने भी यही कहा, “भारतीय शादियों में हर चीज की तैयारी हो सकती है बस फूफा और जीजा से निपटना मुश्किल है, इनसे इनके फूफा और जीजा ही निपट सकते हैं।”

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