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बस मोदी विरोध कहां जीतेगा

मोदी सरकार के सत्ता में आने के पहले दिन से ही विरोधी दलों की खेमेबंदी शुरू हो गई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अगला लोकसभा चुनाव भारत के सुनहरे भविष्य के लिए, वैश्विक परिदृश्य पर एक मजबूत और सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिहाज से बेहद निर्णायक होगा। 2019 का लोकसभा चुनाव यह तय करेगा कि भविष्य का भारत हर दृष्टिकोण से दुनिया के सबल, समर्थ और समृद्ध राष्ट्र की श्रेणी में पहुंचने का लक्ष्य कब तक हासिल कर लेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक विकास कार्य किए हैं। भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ा है। महज साढ़े चार साल में भारत को लेकर दुनिया का दृष्टिकोण काफी बदल गया है। वैश्विक मंच पर आज भारत एक मजबूत और सशक्त राष्ट्र के रूप में देखा जाने लगा है। भारत की जैसी छवि आज पूरी दुनिया में बन रही है, उसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक और अनगिनत प्रयास हैं। कुल मिलाकर पिछले साढ़े चार साल में मोदी सरकार ने देश के विकास को रफ्तार देने, वैश्विक मंच पर भारत की छवि सुधारने, सवा सौ करोड़ भारतीयों के दिलों में शक्तिशाली भारत निर्माण का विश्वास जगाने में सफलता हासिल की है।

दूसरी तरफ तमाम मोदी विरोधी पार्टियां मिलकर भी पिछले साढ़े चार साल में एक सशक्त ‘महागठबंधन’ बनाने में सफलता हासिल नहीं कर पाई, जो 2019 में केंद्र की सत्ता हासिल करने का सपना देख रहा है और देश को नई दिशा देने की बात कर रहा है। जिस महागठबंधन का अपना ही भविष्य तय नहीं, वह कैसे देश का भाग्य विधाता बन सकता है? लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस दिन से केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, उसी दिन से सभी विरोधी दलों की खेमेबंदी शुरू हो गई, जिसका एक मात्र उद्देश्य दुष्प्रचार कर, जनता को गुमराह कर, केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को बाहर करना है। चाहे इसके लिए महागठबंधन में पार्टियों का अस्थाई और अप्राकृतिक गठबंधन ही क्यों न हो! महागठबंधन जिस तरह से बार-बार बनता और बिखरता रहा है, इससे साफ हो जाता है कि ये कतई केंद्र की मजबूत मोदी सरकार के आगे खड़ा नहीं हो सकता।

2019 के लोकसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए अगर महागठबंधन का एक दिखावटी गठन चुनावी तारीख से पहले हो भी जाता है तो भी इसकी कोई गारंटी नहीं कि महागठबंधन का बंधन दो-चार महीने भी टिक पाए। देश की जनता उस महागठबंधन पर कैसे भरोसा करेगी, जिसे अपने भविष्य का ही भरोसा नहीं है।

यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए पहले से और बेहतर प्रदर्शन करेगी और देश को एक बार फिर मजबूर नहीं, बल्कि बेहद मजबूत सरकार का विकल्प देगी। एनडीए की अपार जीत से केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार के गठन के बाद देश सशक्त राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ने लगेगा, जिसकी नींव पिछले साढ़े चार साल में मोदी सरकार ने रखी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में देश की जनता को सिर्फ एक विश्वास था, जिसके दम पर उन्होंने अपार बहुमत से जिताकर देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सौंपी थी, लेकिन अब देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का काम अच्छी तरह से देख लिया है। देश की जनता ने जान लिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना थके, बिना रुके निरंतर काम करते हुए देश को विकास की राह पर तेज रफ्तार से आगे ले जा सकते हैं। नव भारत निर्माण के उनके मिशन और विजन पर देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की बड़ी ताकतों को भी पूरा भरोसा है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ अवॉर्ड’ से नवाजा गया। दुनिया की बड़ी शक्तियां भविष्यवाणी कर रही हैं कि 2030 तक भारत आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा और दुनिया का नेतृत्व करेगा।

"मोदी सरकार के विरोध में महागठबंधन को खड़ा करने में जुटी पार्टियां देश के लिए नहीं, बल्कि निजी स्वार्थ के लिए इकट्ठा हो रही हैं"

हिंदुस्तान की शक्तियों और संभावनाओं में पहले भी कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसे जगाने की जरूरत थी और सही दिशा देने की जरूरत थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में देश के हर जरूरी क्षेत्र में एक मजबूत नींव तैयार की है और उस वजह से देश की प्रगति की रफ्तार तेज हो गई है। चाहे हाइवे निर्माण हो या विद्युतीकरण, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर हो या स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को आर्थिक मदद, मोदी सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जो आने वाले कुछ वर्षों में देश की प्रगति की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए जीएसटी यानी 'एक राष्ट्र एक टैक्स' लागू कर मोदी सरकार ने साफ नीयत और सही सोच का परिचय दिया है। हर घर शौचालय, हर घर रसोई गैस और स्वच्छ भारत जैसी योजनाएं देश के गरीब और कमजोर वर्गों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कदम उठाए गए हैं। ऐसी योजनाओं के दूरगामी परिणाम होंगे।

दूसरी तरफ मोदी सरकार के विरोध में महागठबंधन को खड़ा करने में जुटी पार्टियां देश के लिए नहीं, बल्कि निजी स्वार्थ के लिए इकट्ठा हो रही हैं। उनकी नीयत खोटी है और उनका मकसद भी खोटा है।

पिछले कुछ वर्षों में देश ने एक तरफ मोदी सरकार को काम करते देखा है तो दूसरी तरफ महागठबंधन के घटक दलों का ‘एक कदम आगे और दो कदम पीछे’ वाला खेल भी देखा है। महागठबंधन बनने से पहले ही एक्सपोज हो चुका है और वह देश की जनता में विश्वास कायम करने में बुरी तरह से नाकाम रहा है।

2019 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी घटक दलों के साथ भारतीय जनता पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी और अपार बहुमत से जीत हासिल कर देश को दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)

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