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किसानों का ‘ड्रोनमैन’

अभी 15-20 मिनट उड़ते हैं ड्रोन, लक्ष्य एक घंटे से अधिक उड़ने वाले ड्रोन बनाने का
थानोस टेक्नोलॉजी के सीईओ प्रदीप पलेल्ली

जब भी खेतीबाड़ी की बात आती है, तो जिक्र किसानों की कम आमदनी और बढ़ती समस्या को लेकर होती है। लेकिन, हैदराबाद के प्रदीप पलेल्ली कृषि की दुनिया में आधुनिक तकनीक से किसानों की कई दिक्कतों का हल निकाल रहे हैं। उनकी इस तकनीक का नाम है थानोस टेक्नोलॉजी। इसके जरिए वह खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करने वाले ड्रोन बनाते हैं। मई 2016 में उन्होंने थानोस टेक्नोलॉजी का सफर शुरू किया और आज पांच लीटर से लेकर 15 लीटर तक कीटनाशक का छिड़काव करने वाले ड्रोन बना चुके हैं।

प्रदीप बताते हैं कि अभी एक ड्रोन 15-20 मिनट तक ही उड़ सकता है, लेकिन हमारा लक्ष्य एक घंटे से अधिक समय तक उड़ने वाले ड्रोन बनाने का है। इसका उपयोग डिफेंस, ट्रैफिक कंट्रोल, पुलिस सर्विलांस, क्राउड कंट्रोल और वन विभाग में भी हो सकता है। जब दो साल पहले उन्होंने अपनी इस कंपनी की शुरुआत की तब से लेकर अभी तक इसमें लगभग 18 लाख रुपये का निवेश कर चुके हैं। प्रदीप बताते हैं कि यह एक नया स्टार्टअप है तो रेवेन्यू अभी जनवरी से ही आना शुरू हुआ है और यह राशि 2.77 लाख रुपये के आसपास है। इस साल उनका रेवेन्यू का लक्ष्य 20 लाख रुपये का है। मार्केट शेयर के बारे में प्रदीप बताते हैं कि यह अभी नया है तो फिलहाल इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। हमारा लक्ष्य बड़े, मध्यम और सहकारी किसान हैं, क्योंकि सभी किसान इसे नहीं ले सकते हैं। एक सामान्य ड्रोन की कीमत दो लाख रुपये है, जबकि 15 लीटर की क्षमता वाले और किसानों की जरूरत की सभी सुविधाओं वाले ड्रोन की कीमत साढ़े सात लाख रुपये से शुरू होती है। ऐसे में सभी किसान इसे नहीं खरीद सकते, तो फिलहाल, हम ड्रोन से प्रति एकड़ कीटनाशक छिड़काव के आधार यह सुविधा मुहैया कराते हैं।  

2008 में बिट्स पिलानी से ग्रेजुएशन करने वाले प्रदीप पलेल्ली बताते हैं कि शुरू से ही उनकी रुचि टेक्नोलॉजी में थी। यही वजह है कि उन्होंने इंफोसिस की नौकरी छोड़कर रोबोटिक्स में ड्रोन पर काम करना शुरू किया। दो साल के इस सफर में कई उतार-चढ़ाव भी आए। लेकिन यह सभी के साथ होता है। नकारात्मक चीजें होती हैं, जैसे पैसे आने भी शुरू नहीं हुए। लेकिन यह मेरा तीसरा स्टार्टअप है, तो मुझे अंदाजा है कि कुछ चीजों में वक्त तो लगता है,  बस धैर्य रखने की जरूरत होती है। मुझे टेक्नोलॉजी में भरोसा है, इसलिए कभी ऐसा लगा नहीं कि बहुत बड़ी गलती हो गई। मैं उन भाग्यशाली लोगों में हूं, जिसे परिवार का पूरा सपोर्ट मिला। कभी-कभी घरवाले पूछते हैं कि पैसे नहीं आ रहे। लगता है, उनका धैर्य भी जवाब दे जाता है। लेकिन यह बड़ी बात है कि आर्थिक मामलों में घर में कोई मुझ पर निर्भर नहीं करता है, मुझे इसलिए भी ज्यादा परेशानी नहीं हुई। मेरी पत्नी भी काम करती हैं, उनका भी सहयोग मिलता है।

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